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डेट फंड लॉन्ग टर्म निवेश लक्ष्य के मुफीद हो सकते हैं लेकिन इनका चुनाव सावधानी से करें
म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) निवेशकों के बीच अक्सर एक गलत धारणा देखने को मिलती है कि अगर लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करना है तो इक्विटी में निवेश सही रहता है और शॉर्ट टर्म के वित्तीय लक्ष्यों के लिए डेट फंड. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि डेट फंड (Debt funds) भी लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में कारगर साबित हो सकता है.
दरअसल किसी भी निवेशक के लिए उसके उसके निवेश का डाइवर्सिफिकेशन बहुत जरूरी होता है. लेकिन निवेशक अपने निवेश के शुरुआती दौर में इसका महत्व समझ नहीं पाते हैं. ज्यादातर रिटेल निवेशकों के लिए डाइवर्सिफिकेशन का मतलब पीपीएफ या एफडी में निवेश से है. लेकिन एफडी और कॉरपोरेट बॉन्ड की तुलना में डेट म्यूचुअल फंड के अपने फायदे हैं. एफडी (Fixed Deposit) और कॉरपोरेट बॉन्ड के अपने जोखिम हैं. बैंक दिवालिया हो गया तो आपका पैसा डूब जाएगा. आपको सिर्फ पांच लाख तक की रकम (डिपोजिट इंश्योरेंस के तहत ) ही मिलेगी. लेकिन डेट म्यूचुअल फंड में फायदा यह है कि आपको एक ही फंड में डाइवर्सिफिकेशन का ऑप्शन मिल जाता है.
डेट म्यूचुअल फंड के फायदे
फिक्स्ड डिपोजिट की मैच्योरिटी पर टैक्स लगता है. उसी तरह डेट म्यूचुअल फंड को तीन साल तक होल्ड करने के बाद होने वाली इनकम पर 20 फीसदी का टैक्स लगता है. हालांकि इसमें इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है. इसमें टैक्स दर को महंगाई से एडजस्ट किया जाता है. अगर डेट फंड लॉन्ग टर्म सिक्योरिटीज में है तो इसमें ब्याज दर के उतार-चढ़ाव की आशंका ज्यादा रहती है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि निवेशकों को 3 से 5 साल तक से ज्यादा के मैच्योरिटी ड्यूरेशन के डेट फंड में निवेश नहीं करना चाहिए. 3 से 5 साल की अवधि के डेट फंड में इंटरेस्ट रेट वोलेटिलिटी की आशंका कम रहती है. इसके साथ ही फंड के डाइवर्सिफिकेशन का भी ध्यान रखना चाहिए. अगर किसी फंड में 50 से 60 तक अंडरलाइंग पेपर्स हों तो यह और भी अच्छा होगा. आपको यह देखना चाहिए कि फंड के जरिये जिन्हें पैसा मिल रहा है यानि जो कंपनियां कर्ज उठा रही हैं वे कम से कम 30 से 40 हों और इनमें से किसी की वेटेज 5 -10 फीसदी से ज्यादा न हो.
लॉन्ग टर्म डेट फंड में निवेश कहां अच्छा?
अगर लॉन्ग टर्म डेट फंड यानी 3 से 5 साल तक की मैच्योरिटी अवधि में निवेश करना हो तो फंड का चुनाव सावधानी से करना चाहिए. ऐसे में सबसे अच्छे बैंकिंग, पीएसयू और कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स हो सकते हैं. इन फंड्स के लिए हाई-क्वालिटी फंड यानी कॉमर्शियल पेपर्स या ऐसे ही डेट पेपर्स में निवेश अनिवार्य है. इसके अलावा ये फंड के परफॉरमेंस के आधार पर ड्यूरेशन घटा-बढ़ा भी सकते हैं. लॉन्ग टर्म मैच्योरिटी फंड की कैटेगरी में Gilt Fund भी आते हैं लेकिन इनमें काफी उतार-चढ़ाव आ सकता है. अगर Gilt Fund में निवेश करना चाहते हैं तो आपको संतुलन के लिए बैंकिंग पीएसयू और कॉरपोरेट बॉन्ड फंड में भी निवेश करना चाहिए.