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खत्म होने वाला है साल 2019, नए साल के पहले रुपये-पैसे से जुड़े काम के लिए 6 बातों का रखें ध्यान

साल 2020 तेजी से नजदीक आ रहा है. यह समय आपके द्वारा 2019 में लिए गए फाइनेंस से जुड़ें निर्णयों का रिव्यू करने का है.

साल 2020 तेजी से नजदीक आ रहा है. यह समय आपके द्वारा 2019 में लिए गए फाइनेंस से जुड़ें निर्णयों का रिव्यू करने का है.

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साल 2020 तेजी से नजदीक आ रहा है. यह समय आपके द्वारा 2019 में लिए गए फाइनेंसे से जुड़ें निर्णयों का रिव्यू करने का है.

financial planning for 2020, financial review for 2019, year end financial planning, SIP, mutual fund, FD, RD, emergency fund, savings, investment, financial goal, insurance साल 2020 तेजी से नजदीक आ रहा है. यह समय आपके द्वारा 2019 में लिए गए फाइनेंसे से जुड़ें निर्णयों का रिव्यू करने का है.

साल 2020 तेजी से नजदीक आ रहा है. ऐसे में यह समय आपके द्वारा 2019 में लिए गए फाइनेंस से जुड़ें निर्णयों का रिव्यू करने का है. 2019 में आपके द्वारा लिए गए लोन, निवेश, सैलरी में बढ़ोत्तरी, लाइफ स्टाइल बेहतर करने के लिए किए गए निवेश से लेकर आपके फाइनेंशियल लाइफ में आने वाले सभी बदलावों पर अभी ध्यान देना जरूरी है. इससे आपको नए साल में न सिर्फ अपनी फाइनेंशियल स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी, बल्कि नए साल की शुरूआत सही दिशा में कर सकेंगे. नए साल में आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए कि अपने फाइनेंस को सही तरह से ट्रैक कर सकें. इसके लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

1. मौजूदा साल का रिव्यू करें

a) क्या जॉब में बदलाव किया, सैलरी बढ़ी

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अगर हां, तो बधाई. अधिक आय का मतलब खर्च करने के लिए अधिक पैसा. लेकिन लिए आपकी बचत भी अधिक होनी चाहिए. कोशिश करें की आपकी सैलरी जितनी बढ़ी है, उसी रेश्यो में आपकी बचत भी बढ़े. यह समय के साथ दौलत बढ़ाने का जरूरी रहस्य है. अपने ऑन-गोइंग SIP की समीक्षा करें और उन्हें कम से कम 10-15% तक बढ़ाएं.

b) क्या आपका खर्च इस साल बढ़ा

हो सकता है कि आपने इस साल अपने लिए कोई इमरजेंसी फंड बनाया हो या नहीं बनाया हो. अगर नहीं बनाया हो तो पहले इमरजेंसी फंड बनाएं. अगर बनाया है तो इसे टॉप अप करें यानी और बढ़ाएं. आपका यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह फंड आपके आपके 4-6 महीने के खर्च के लिए पर्याप्त हो, जिसमें आपकी सभी ईएमआई भी आती हों. इमरजेंसी फंड बनाने के लिए लिक्विड म्यूचुअल फंड या FD में निवेश कर सकते हैं.

c) लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज

अगर आपकी शादी हुई या आप पिता या माता बने हैं तो आपकी वित्तीय योजनाओं में कई बदलाव हो सकते हैं. सबसे पहले, अपने लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज को बढ़ाएं और सुनिश्चित करें कि नए डिपेंडेंट को भी कवरेज मिले. फिर देखें कि क्या आपको बच्चों की शिक्षा जैसे अन्य वित्तीय लक्ष्य शुरू करने की आवश्यकता है. अपनी जरूरतों पर ध्यान देते हुए अन्य बचत के लक्ष्य तय करें.

2. टैक्स सेविंग्स से जुड़े निवेश बढ़ाएं

हर साल आप पीपीएफ, टैक्स सेवर एफडी, टैक्स सेवर म्यूचुअल फंड आदि जैसे कुछ कर बचत इंस्ट्रूमेंट्स में 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं, जिनमें सेक्शन 80 सी के तहत कर छूट की सुविधा है. सुनिश्चित करें कि आप इनमें ज्यादा से ज्यादा निवेश कर रहे हैं. आपके एचआर को आमतौर पर दिसंबर या जनवरी के अंत तक इन्वेस्टमेंट प्रूफ की आवश्यकता होती है, इसलिए कोशिश करें कि इससे पहले ही यह काम पूरा कर लें. अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें 80 सी के तहत छूट पाने के लिए कौन सा निवेश जोखिम से मुक्त होगा.

3. अपने क्रेडिट कार्ड का लोन चुकाएं

अगर आपके पास कोई क्रेडिट कार्ड का लोन बकाया है तो इसे चुकाने को अपनी प्राथमिकता बनाएं. क्रेडिट कार्ड के लोन पर ली जाने वाली ब्याज दरें बहुत ज्यादा होती हैं और यह हर साल 40-50% (व्यक्तिगत ऋण के लिए 15% की तुलना में) तक जा सकती हैं.

4. अपने सभी वित्तीय लक्ष्यों की समीक्षा करें

आपने जो वित्तीय लक्ष्य बनाएं हैं, उस पर क्या प्रगति है, इसकी समीक्षा करें. देखें कि क्या आप अपने वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति समय पर कर लेंगे. जरूरत पड़ने पर आप उन्हें पटरी पर लाने के लिए उनमें से कुछ को टॉप पर रख सकते हैं. अगर आपने अभी तक अपने लिए कोई वित्तीय लक्ष्य नहीं रखा है, तो ऐसा करने का यह एक अच्छा समय हो सकता है. इमरजेंसी फंड, टैक्स सेविंग और रिटायरमेंट ऐसे तीन लक्ष्य हैं जिनसे आप शुरुआत कर सकते हैं.

5. अपने खर्चों की समीक्षा करें

यह महत्वपूर्ण है कि आप देखें कि इस साल आपके खर्च कैसे रहे हैं. यह कितना प्लांड था या कितना इम्पल्सिव और क्या इससे बचा जा सकता था? क्या आप अपने बचत लक्ष्य को पूरा करते हैं? अगर नहीं, तो एक बचत लक्ष्य तय करें (वेतन का 20-30%) और निवेश की प्राथमिकता के आधार पर एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड या आरडी योजना में इसे निवेश करें. सैलरी डे के एक या 2 दिन बाद एसआईपी को सेट करें ताकि आप खर्च करने से पहले बचत करें. बाकी राशि के लिए बजट की योजना बनाएं और सुनिश्चित करें कि आप नए साल में इससे अधिक खर्च नहीं करेंगे.

6. फाइनेंशियर प्लानर की सहायता लें

अगर आपको लगता है कि फाइनेंस से जुड़ें कामों के लिए एक्सपर्ट की सहायता जरूरी है तो आप फाइनेंशियल प्लानर से चर्चा करें. फाइनेंशियल प्लानर आपकी बचत बढ़ाने में मदद कर सकता है.

(लेखक: अंकुर चौधरी, को फाउंडर & CIO, Goalwise.com)

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