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एनपीएस के तहत सरकार कोई योगदान नहीं करती है और पूरा योगदान सिर्फ निवेशक का होता है. इसके विपरीत एपीवाई में जितना निवेशक कांट्रिब्यूट करता है, उतनी ही राशि का योगदान सरकार भी करती है. (Image- Pixabay)
NPS vs APY: रिटायरमेंट के बाद नियमित आय के लिए Atal Pension Yojana (APY) और National Pension System (NPS)- सरकार की दो खास पेंशन स्कीम हैं. रिटायरमेंट के लिए अपनी एलिजिबिलिटी के हिसाब से इनमें से किसी विकल्प में निवेश कर अपने बुढ़ापे के लिए नियमित आय का प्रबंध कर सकते हैं. इन दोनों ही योजनाओं को पीएफआरडीए के नियमों और दिशा-निर्देशों के तहत रेगुलेट किया जाता है. इसके अलावा ये दोनों ही योजनाएं डेफर्ड पेंशन प्लान हैं यानी कि इसके तहत नियमित पेंशन पाने के लिए एक निश्चित समय तक निवेश करना होता है. इन दोनों योजनाओं में कौन-सी योजना अपने बुढ़ापे के लिए बेहतर है, इसका फैसला दोनों के बीच फर्क को समझकर लिया जा सकता है.
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NPS vs APY
- योजना से जुड़ने की उम्र: एनपीएस के तहत 18-55 वर्ष के बीच निवेश शुरू कर सकते हैं जबकि एपीवाई के तहत 18-40 वर्ष के बीच ही शुरू कर सकते हैं यानी एपीवाई के तहत 40 वर्ष की उम्र के बाद रिटायरमेंट की योजना नहीं बना सकते हैं.
- कौन कर सकता है निवेश: एनपीएस के तहत भारत में रहने वाले नागरिक समेत एनआरआई भी निवेश कर सकते हैं जबकि एपीवाई के तहत सिर्फ भारत में रहने वाले नागरिक ही निवेश कर सकते हैं.
- पेंशन की गारंटी: एनपीएस के तहत रिटायरमेंट के बाद कितनी पेंशन मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं होती है और यह एन्यूटी खरीदने के लिए इस्तेमाल राशि पर निर्भर करती है जबकि एपीवाई के तहत रिटायरमेंट के बाद न्यूनतम पेंशन (1 हजार, 2 हजार, तीन हजार, चार हजार या पांच हजार रुपये) मिलती ही है.
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- रिटर्न: एनपीएस का पैसा डेट या इक्विटी या दोनों में ही निवेश होता है जिसके चलते इससे कितना रिटर्न मिलेगा, यह बाजार की चाल पर निर्भर करेगा. इसके विपरीत एपीवाई में करीब 8 फीसदी पर रिटर्न फिक्स्ड है और यह इससे अधिक भी हो सकता है.
- टैक्स बेनेफिट: एनपीएस के तहत 2 लाख रुपये तक का टैक्स बेनेफिट हासिल कर सकते हैं जबकि एपीवाई के तहत किए गए योगदान पर ऐसा कोई फायदा नहीं मिलता है.
- खातों के प्रकार: एनपीएस के तहत दो प्रकार के खाते खुलवा सकते हैं- टियर 1 और टियर 2. इसके विपरीत एपीवाई के तहत सिर्फ एक प्रकार का ही खाता खुलता है.
- मेच्योरिटी के पहले निकासी: एनपीएस के तहत मेच्योरिटी से पहले सिर्फ टियर-2 खाते से निकासी कर सकते हैं. इसके विपरीत एपीवाई के तहत सिर्फ निवेशक की असमय मृत्यु या निवेशक के मेडिकल कंडीशन के आधार पर ही मेच्योरिटी से पहले निकासी की मंजूरी मिलती है.
- निवेश विकल्प: एनपीएस के तहत निवेशक को अपने पैसे निवेश करने के लिए विकल्प चुनने का मौका मिलता है जबकि एपीवाई के तहत ऐसा कोई विकल्प नहीं मिलता है.
- सरकार का योगदान: एनपीएस के तहत सरकार कोई योगदान नहीं करती है और पूरा योगदान सिर्फ निवेशक का होता है. इसके विपरीत एपीवाई में जितना निवेशक कांट्रिब्यूट करता है, उतनी ही राशि का योगदान सरकार भी करती है.
(इनपुट: बैंकबाजारडॉटकॉम)