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नई कार खरीदने के लिए फंड की व्यवस्था लोन के जरिए आसानी से की जा सकती है.
कार, बाइक या स्कूटर खरीदने के लिए फंड का इंतजाम करने का सबसे आसान तरीका है ऑटो लोन. लेकिन ऑटो लोन के जरिए गाड़ी खरीदते समय हड़बड़ी से काम नहीं लेना चाहिए. जल्दबाजी में किया गया फैसला कई बार नुकसान की वजह बन जाता है. ऑटो लोन लेने वाले अक्सर 5 ऐसी बड़ी गलतियां कर बैठते हैं, जिनका खामियाजा उन्हें लंबे समय तक उठाना पड़ सकता है. अगर इन गलतियों के बारे में पहले से जानकारी हो तो आप इन्हें दोहराने से बच सकते हैं.
1. बजट से बाहर लोन
अपने बजट से अधिक खर्च करने का लालच कई बार होता है, लेकिन इससे बचना जरूरी है. ऑटो लोन के बारे में कोई भी फैसला करने से पहले अपनी री-पेमेंट कैपेसिटी यानी लोन के भुगतान की क्षमता का आकलन जरूर कर लेना चाहिए. अगर लोन अमाउंट ज्यादा है, तो उसकी किस्तें (EMI) भी अधिक होंगी. आप उसी लोन को ज्यादा समय में चुकाने का विकल्प चुनते हैं, तो हर महीने भरने वाली EMI कम हो जाएगी, लेकिन लोन की अवधि बढ़ जाएगी, जो आपकी फाइनेंशियल हेल्थ के लिए अच्छी बात नहीं है. बेहतर यही होगा कि आप उतना ही लोन लें, जितना आपके बजट में आसानी से आ सके.
2. क्रेडिट स्कोर चेक न करना
सस्ते ब्याज दर पर लोन हासिल करने में क्रेडिट स्कोर काफी मदद करता है. अगर आप अपने क्रेडिट स्कोर के बारे में पहले से जानते हैं, तो आप कम दर या अट्रैक्टिव ऑफ़र के साथ लोन डील कर पाएंगे. इसलिए लोन के लिए अप्लाई करने से पहले अपने क्रेडिट स्कोर की जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए. इसके लिए आप गूगल पर फ्री क्रेडिट रिपोर्ट (free credit report) लिखकर सर्च कीजिए तो कुछ ही मिनटों में क्रेडिट स्कोर बताने वाले लिंक मिल जाएंगे.
3. लोन का टर्म बढ़ा लेना
लोन की अवधि जितनी लंबी होगी, हर महीने जाने वाली ईएमआई उतनी कम होगी. इस कारण कई बार लोन लेने वाले सोचते हैं कि ज्यादा से ज्यादा अवधि के लिए कर्ज लेना बेहतर है. लेकिन यहां ये समझना जरूरी है कि लोन की अवधि ज्यादा होने पर अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है. इसलिए लोन की अवधि ज्यादा नहीं रखनी चाहिए. मिसाल के तौर पर अगर आपने 10% ब्याज दर पर 5 लाख रुपये का कार लोन लिया और उसे चुकाने का टेन्योर 7 साल है, तो हर महीने ईएमआई के तौर पर आपको 8,300 रुपये चुकाने होंगे. इस हिसाब से 7 साल में आप 5 लाख रुपये के बदले 6,97,200 रुपये भरेंगे, यानी लोन अमाउंट से 1,97,200 रुपये अधिक. लेकिन आप अगर यही लोन उतनी ही ब्याज दर पर 3 साल के लिए लेते हैं, तो आपको हर महीने 16,133 रुपये ईएमआई भरनी होगी. इस तरह आप 5 लाख रुपये के लोन के बदले 3 साल में 5,80,788 रुपये चुकाएंगे, जो लोन अमाउंट से 80,788 रुपये ही अधिक होगा. जाहिर है, आप लोन की अवधि जितनी अधिक रखेंगे, कर्ज अदा करने के लिए आपको उतने ज्यादा पैसे देने होंगे.
4. ब्याज दरों की तुलना न करना
गाड़ी के लिए कर्ज लेने से पहले अलग-अलग बैंकों या वित्तीय संस्थानों की तरफ से ऑफर किए जा रहे ऑटो लोन की तुलना न करना एक बड़ी गलती है. लोन के लिए अप्लाई करने से पहले हमेशा सारे उपलब्ध विकल्पों की तुलना करके कम से कम ब्याज दर और बेहतर फीचर वाले लोन के लिए डील करनी चाहिए. ब्याज दर में 10 से 20 बेसिस प्वाइंट की कमी हो, तो भी आप पर ब्याज के बोझ में काफी अंतर देखने को मिलता है.
5. बिना डाउन पेमेंट के ऑटो लोन लेना
बिना डाउन पेमेंट किए नई कार खरीदने की बात सुनने में तो बहुत अच्छी लगती है, लेकिन ऐसा करना आर्थिक समझदारी के खिलाफ है. बिना डाउन-पेमेंट के शोरूम से कार ले आने का मतलब है, ज्यादा लोन और ज्यादा EMI. इसके अलावा कई बार लोन की रकम ज्यादा होने पर ब्याज भी अधिक देना पड़ता है. ऐसे ऑफर्स में कई बार हिडेन चार्ज भी जुड़े होते हैं, जिनकी पूरी जानकारी लोन के लिए अप्लाई करने वालों को नहीं होती. बेहतर यही होगा कि नई गाड़ी के लिए ऑटो लोन लेते समय आप उसकी कुल लागत की कम से कम 15-20% रकम डाउन पेमेंट के रूप में जरूर चुका दें. बाकी 80 से 85 फीसदी लागत अगर आप लोन के जरिए जुटाते हैं, तो आप पर ब्याज और EMI का बोझ कम पड़ेगा.
(Article: Adhil Shetty, CEO, Bankbazaar.com)