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ऐसे समय में जब बैंक के धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, यह एक रोचक मामला है. (Representational Image)
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मान लीजिए कि बैंक के ग्राहक की रजिस्टर्ड ई मेल आईडी हैक हो गई है और वह इसकी जानकारी बैंक को देता है. लेकिन इसके बाद भी बैंक उस हैक हुई आईडी से आए मेल के हिसाब से काम करना जारी रखता है. तो क्या बैंक पर इस स्थिति में कार्रवाई की जा सकती है. ऐसे ही एक केस में इस हफ्ते नेशनल कंज्यूमर रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने बैंक के खिलाफ फैसला दिया है. उसने स्टेट कमीशन के फैसले को सही ठहराया है जिसमें बैंक से ग्राहक को खोई हुई राशि ब्याज के साथ वापस लौटाने को कहा गया था. ऐसे समय में जब बैंक के धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, यह एक रोचक मामला है.
क्या है पूरा मामला ?
इस केस में कतर में बसे बिजनेसमैन विजयकुमारन राघवन को बैंक की लापरवाही की वजह से 2012 में 48 लाख रुपये का नुकसान हुआ था. बैंक को ईमेल आईडी हैक होने की जानकारी देने के बावजूद बैंक ने कोई कदम नहीं लिया. बैंक ने मामले से छूटने के लिये ग्राहक की गलती सिद्ध करने की कोशिश की. हालांकि, स्टेट कमीशन ने राघवन के हक में फैसला दिया.
राघवन एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के ग्राहक थे जहां उनके तीन NRE अकाउंट थे. राघवन बैंक से अपनी बातचीत ई मेल के जरिये करते थे. 4 अप्रैल 2012 को उन्हें पता चला कि उनकी ई मेल आईडी हैक कर ली गई है. उन्होंने दूसरी ई मेल आईडी से बैंक को अगले दिन इस बात की जानकारी दी और बैंक से हैक हुई आईडी से कोई मांग न स्वीकार करने को कहा. बैंक को मेल मिला और उसने स्वीकार किया. हालांकि, राघवन को बाद में पता चला कि उनकी NRE फिक्सड डिपॉजिट को बंद करके उनके अकाउंट से 86,500 डॉलर (48,25,671 रुपये) निकाल लिये गये हैं. इस राशि को देश के बाहर किसी दूसरे बैंक में ट्रांसफर कर लिया गया था.
इस ट्रांजैक्शन के बारे में कोई जानकारी राघवन को नहीं दी गई. राघवन ने बैंक से इसकी सफाई मांगी, तो बैंक ने कहा कि ट्रांजैक्शन उनके कहने पर ही किये गये हैं.
बैंक ने क्या दावा किया ?
बैंक ने कहा कि उसने ई मेल आईडी से मिले निर्देशों के मुताबिक ही राशि ट्रांसफर की है. राघवन ने बैंक से गलती सुधारने और उन्हें पैसे वापस करने को कहा, तो बैंक ने इस बात को स्वीकार किया कि उसने हैक हुई ई मेल आईडी के निर्देश को माना. हालांकि, उसने दावा किया कि हैक हुई ई मेल आईडी ही बैंक के रिकॉर्ड में रजिस्टर्ड ई मेल आईडी बनी रही क्योंकि दूसरी ई मेल आईडी रजिस्टर नहीं हुई थी.
बैंक ने अपने बयान में दावा किया कि उसे ई मेल आईडी हैक होने की जानकारी नहीं थी. बैंक ने कहा कि उसे ग्राहक से दूसरी आईडी से ई मेल मिला था जिसमें रजिस्टर्ड ई मेल आईडी हैक होने की जानकारी दी गई थी ओर उस मेल आईडी से कोई अनुरोध न मानने को कहा गया था. बैंक ने ई मेल मिलने के बाद ग्राहक को फोन किया और उससे एक लिखित शिकायत देने को कहा. लेकिन बैंक को यह लिखित में नहीं मिला. बैंक ने कहा कि ग्राहक ने दूसरी ई मेल आईडी को रजिस्टर नहीं किया था इसलिये बैंक के पास रजिस्टर्ड मेल आईडी से आए निर्देश को मानने का पूरा अधिकार है. बैंक को मामले का पता चलने पर उसने पुलिस को जानकारी दी.
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NCDRC ने फैसले में क्या कहा ?
NCDRC ने कहा कि बैंक को ग्राहक से ई मेल आईडी हैक होने की जानकारी मिलने के बाद सावधानी से काम करना चाहिये था. उसने कहा कि बैंक ने यह माना है कि उसे जानकारी थी, तो बैंक को सावधानी बरतनी चाहिये थी ओर शिकायतकर्ता को सूचित करना चाहिये था.
Story: Rajeev Kumar