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Bank FD vs NBFC Deposits: एनबीएफसी देते हैं बैंक एफडी से ज्यादा रिटर्न, क्या उनमें करना चाहिए निवेश?

Balanced Debt portfolio: अपने डेट पोर्टफोलियो में नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के फिक्स्ड डिपॉजिट्स को शामिल करना कितना सही है?

Balanced Debt portfolio: अपने डेट पोर्टफोलियो में नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के फिक्स्ड डिपॉजिट्स को शामिल करना कितना सही है?

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Viplav Rahi
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Bank FD vs NBFC Deposit : बैंक एफडी के मुकाबले एनबीएफसी डिपॉजिट पर ज्यादा ब्याज मिलता है, लेकिन उनमें निवेश का फैसला बेहद सावधानी से करना चाहिए? (Image : Pixabay)

Dividing your funds in Bank FDs and NBFC to create a balanced debt portfolio: क्या आप अपने फिक्स्ड रिटर्न वाले डेट पोर्टफोलियो में बैंक एफडी और बॉन्ड्स के अलावा नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) को भी शामिल करने की सोच रहे हैं? लेकिन क्या आपको ऐसा करना चाहिए? क्या ऊंची ब्याज दरों के बावजूद गैर बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों में पैसे लगाना सुरक्षित है? या उनसे दूर रहने में ही भलाई है?

ज्यादा ब्याज पर फोकस करना कितना सही

जब अधिकांश प्रमुख बैंक एफडी पर 7 से 8 फीसदी के बीच ब्याज दे रहे हों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां 8 से 9 प्रतिशत तक इंटरेस्ट देने की पेशकश करें, तो एनबीएफसी की तरफ आकर्षित होना स्वाभाविक है. लेकिन क्या ऐसा करना सही है? क्या एफडी में पैसे लगाने का इकलौता क्राइटेरिया यही होना चाहिए कि कौन सा बैंक या वित्तीय संस्थान सबसे ज्यादा ब्याज की पेशकश कर कर रहा है? इस सवाल का सीधा जवाब तो यही होगा कि आपको निवेश का फैसला सिर्फ ब्याज दर देखकर नहीं करना चाहिए. यह भी याद रखना चाहिए कि अक्सर ज्यादा रिस्क वाले संस्थान ऊंचे इंटरेस्ट ऑफर करके निवेशकों को लुभाने की कोशिश करते हैं. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि आप इंटरेस्ट रेट को जरा भी अहमियत न दें.

पूंजी की सुरक्षा और रिटर्न की गारंटी भी महत्वपूर्ण

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एफडी में पैसे रखते समय उस पर मिलने वाले रिटर्न पर ध्यान देना तो जरूरी है. लेकिन इसके साथ ही अपनी पूंजी की सुरक्षा और रिटर्न की गारंटी पर भी गौर करना चाहिए. अगर आप ब्याज दरों के अलावा अन्य कारणों पर गौर करेंगे तो बैंक और एनबीएफसी के बीच किसी एक का चुनाव करना मुश्किल हो सकता है. लेकिन इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले कुछ बुनियादी बातों को समझ लेना बेहतर होगा.

एनबीएफसी ज्यादा ब्याज क्यों देते हैं?

बैंकों और एनबीएफसी - दोनों का कारोबार कर्ज देने से चलता है, जिसके लिए उन्हें पैसों की जरूरत होती है. इस पैसे का इंतजाम दोनों ही जमाकर्ताओं से डिपॉजिट लेकर करते हैं. लेकिन एनबीएफसी के पास बैंकों की तरह करंट अकाउंट या सेविंग अकाउंट के जरिए जीरो इंटरेस्ट या बेहद कम ब्याज दरों पर 'आसान और कम लागत पर पैसे जुटाने की इजाजत नहीं होती. इसके अलावा उनके कारोबार की संरचना और रेगुलेटरी जरूरतों की वजह से एनबीएफसी के स्ट्रक्चर में क्रेडिट जोखिम ज्यादा रहता है. यही वजह है कि एनबीएफसी आम तौर पर बैंक एफडी की तुलना में ज्यादा ब्याज दरों की पेशकश करते हैं.

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सभी एनबीएफसी एक जैसे नहीं

एनबीएफसी के लिए फंड की ऊंची लागत और उनके कारोबार में मौजूद ज्यादा जोखिम ही उनके ऊंचा ब्याज देने की मुख्य वजह है. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि सभी एनबीएफसी के कारोबार में जोखिम में हमेशा बहुत अधिक होता है. सभी एनबीएफसी एक जैसे नहीं हैं और इसलिए उनका मूल्यांकन अलग-अलग होना चाहिए. यही वजह है कि तमाम एनबीएफसी की भीड़ में बहुत कम को आम लोगों से डिपॉजिट कलेक्ट करने की छूट दी जाती है. मिसाल के तौर पर अगर कोई एनबीएफसी अधिकांश कर्ज ज्यादा रिस्क वाले छोटे बिजनेस को देता है, तो उसका कारोबार बड़ी और वित्तीय तौर पर मजबूत कंपनियों को कर्ज देने वाले एनबीएफसी से अधिक होगा.

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सावधानी से करें एनबीएफसी में निवेश

तमाम बातों पर विचार करने के बाद आप बेहतर रिटर्न के लिए एनबीएफसी में डिपॉजिट करने का फैसला कर सकते हैं. लेकिन ऐसा करते समय कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है.

क्रेडिट रेटिंग देखें : रिस्क का अनुमान लगाने का एक आसान तरीका क्रेडिट रेटिंग देखना भी हो सकता है. इस रेटिंग से निवेशक इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि उस एनबीएफसी पर निवेश के लिए कितना भरोसा किया जा सकता है. जिसकी रेटिंग जितनी ऊंची होगी, उसे निवेश के लिए उतना बेहतर माना जा सकता है. सिर्फ AAA या इसी तरह की ऊंची रेटिंग वाले सबसे भरोसेमंद संस्थान में ही पैसे लगाएं.

फाइनेंशियल हेल्थ की जांच करें : रिस्क का अनुमान लगाने का एक और तरीका एनबीएफसी की फाइनेंशियल हेल्थ की खुद से पड़ताल करना है. इसके लिए आपको उसकी बैलेंस शीट, प्रॉफिट-लॉस अकाउंट और एनपीए को देखना होगा. लेकिन ऐसा कर पाना हर निवेशक, खास तौर पर स्मॉल इन्वेस्टर के लिए हमेशा मुमकिन नहीं है.

इमरजेंसी फंड एनबीएफसी में न रखें : इमरजेंसी फंड के तौर पर रखे पैसों को बैंक एफडी में ही रखें, एनबीएफसी में नहीं. ऐसा नहीं होना चाहिए कि जब आपको अचानक पैसों की जरूरत पड़े, उस वक्त आपके पैसे किसी संकटग्रस्त एनबीएफसी या कंपनी में फंसे हों.

  • डेट पोर्टफोलियो का कम से कम 70-75 प्रतिशत हिस्सा बैंक एफडी में रखें. वह भी किसी सरकारी या बड़े प्राइवेट बैंक में.
  • डेट पोर्टफोलियो का अधिकतम 25-30 फीसदी हिस्सा ही ज्यादा ब्याज के लिए एनबीएफसी या स्मॉल फाइनेंस बैंकों में रख सकते हैं. ऐसा करते समय भी उस वित्तीय संस्थान की क्रेडिबिलिटी और आर्थिक मजबूती का अच्छी तरह आकलन कर लें.
  • अगर आपके पास एफडी में निवेश के लिए ज्यादा बड़ा फंड नहीं है, तो महज 1-2 फीसदी अधिक ब्याज से आपको इतनी बड़ी रकम नहीं मिल जाएगी, जिसके लिए ज्यादा जोखिम लेना सही हो. ऐसे में आपके लिए 7 फीसदी या उससे ज्यादा इंटरेस्ट देने वाले बड़े बैंकों के एफडी में निवेश करना ही बेहतर होगा.
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