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"The government needs to focus more on the demand side. Apart from the government's expenditure, the Centre should boost the consumer spending by extending sops," Roca Bathroom Products managing director KE Ranganathan told PTI.
बजट 2021 नजदीक आ रहा है. हर बार बजट से आस रहती है कि आयकरदाताओं के लिए इसमें कुछ एलान होंगे. आयकर से जुड़ी चीजों को समझने के लिए सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि टैक्स एग्जेंप्शन, टैक्स डिडक्शन और टैक्स रिबेट क्या हैं. हम में से बहुत से लोग हैं, जो इन तीन टर्म्स को लेकर अक्सर कन्फ्यूज रहते हैं. कई लोग टैक्स एग्जेंप्शन और डिडक्शन को एक ही समझ बैठते हैं. इन तीनों टर्म्स की परिभाषा और इस्तेमाल एक दूसरे से बहुत अलग हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में…
टैक्स एग्जेंप्शन (टैक्स छूट)
सबसे पहले समझते हैं टैक्स छूट को. आयकर कानून एक निश्चित सीमा तक कर योग्य आय को आयकर से छूट देता है. इसके अलावा कुछ खर्च, इनकम या निवेश भी हैं, जिन पर टैक्स नहीं लगता यानी वे एग्जेंप्शन कैटेगरी में आते हैं. उदाहरण के लिए खास व चुनिंदा रिश्तेदारों से मिले तोहफे. कर योग्य आय की बात करें तो 2,50,000 रुपये तक की कर योग्य आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है, इस रकम पर टैक्स निल है. इसलिए इस रकम को एग्जेंप्टेड लिमिट भी बोला जाता है.
टैक्स रिबेट (Tax Rebate)
टैक्स रिबेट से अर्थ है, वह टैक्स देनदारी जिसे सरकार माफ कर देती है. अंतरिम बजट 2019 में टैक्स रिबेट की लिमिट को 2500 से बढ़ाकर 12500 कर दिया गया. यानी अब सरकार 12500 रुपये तक की आयकर देनदारी को माफ कर देती है. इस फैसले से 5 लाख रुपये तक की कर योग्य आय पर फिलहाल कोई टैक्स नहीं देना होता है क्योंकि इस इनकम लिमिट पर बनने वाला टैक्स, रिबेट की कैटेगरी में आ जाता है. लिहाजा सरकार उसे माफ कर देती है.
यह ध्यान रखें कि टैक्स रिबेट को माइनस नहीं किया जाता है. उदाहरण के तौर पर अगर आपको कुल 13,000 रुपये का टैक्स देना है तो ऐसा नहीं हो सकता कि आप उसमें से 12500 रुपये की रिबेट लिमिट घटा दें और बचे हुए 5,000 रुपये को टैक्स के तौर पर जमा कर दें. बनने वाले टैक्स की राशि 12500 से 1 रुपये भी ज्यादा गई, तो आपको पूरे के पूरे 12501 रुपये टैक्स के तौर पर जमा करने होंगे.
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टैक्स डिडक्शन (Deduction)
जैसा कि नाम से ही पता चलता है डिडक्शन का मतलब है घटाना. टैक्स डिडक्शन यानी कर कटौती. आयकर कानून विभिन्न सेक्शंस के तहत कई तरह के टैक्स डिडक्शंस का फायदा करदाता को देता है ताकि उन पर टैक्स का बोझ कम रह सके.
एक होता है स्टैंडर्ड डिडक्शन. स्टैंडर्ड डिडक्शन एक तय रकम होती है. इसे कोई भी टैक्सपेयर अपनी ग्रॉस टोटल इनकम से सीधे—सीधे घटा सकता है. वर्तमान में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट 50000 रुपये है. बाकी कुछ निवेश व खर्च हैं जैसे PPF, NPS जैसी स्कीम में निवेश, जीवन बीमा पॉलिसी, होम लोन आदि. निवेश की रकम एक तरह से आपका खर्चा हुआ. इन पर आयकर कानून के विभिन्न सेक्शंस के तहत डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है और कर योग्य आय को कम किया जा सकता है. करदाता आयकर रिटर्न में इन निवेश/खर्चों का खुलासा कर अपनी कर देनदारी घटा सकता है. उदाहरण के तौर पर सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.