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Budget 2022: बजट में इन फैसलों से आम आदमी को मिल सकती है राहत, जानें क्या हैं उम्मीदें

उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस बजट में करमुक्त आय की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर सकती है.

उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस बजट में करमुक्त आय की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर सकती है.

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The government has specified that a SEZ unit facing domestic market will behave like a DTA entity whereas a SEZ unit facing international market will behave as a SEZ unit. (Representative image)

The government has specified that a SEZ unit facing domestic market will behave like a DTA entity whereas a SEZ unit facing international market will behave as a SEZ unit. (Representative image)

Budget 2022: कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर और विधानसभा चुनावों के बीच 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2022 पेश होने जा रहा है, ऐसे में आम आदमी को इस बजट से कई उम्मीदें हैं. बजट 2022 में विधानसभा चुनावों के चलते मतदाताओं को खुश करने के लिए लोकलुभावन उपाय किए जा सकते हैं. कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट और बढ़ती महंगाई के बीच अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देने के लिए सरकार द्वारा बजट 2022 में जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए. ऐसे समय में एक संतुलित बजट तैयार करना वित्त मंत्री के लिए निश्चित रूप से एक कठिन कार्य है. आम आदमी को बजट 2022 के ज़रिए टैक्स में राहत और बचत में बढ़ोतरी की उम्मीद है. अगामी विधानसभा चुनावों के बीच सरकार आम आदमी को हल्के में नहीं लेगी. आइए देखते हैं कि एक आम आदमी को बजट 2022 से क्या-क्या उम्मीदें हैं.

बेसिक एग्जेम्पशन लिमिट बढ़ाए जाने की उम्मीद

आम आदमी को बजट से एक उम्मीद यह भी है. उम्मीद है कि इस बार के बजट में सरकार करमुक्त आय की सीमा (Basic Exemption Limit) को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर सकती है. इससे कोरोना महामारी के दौर में आमदनी घटने और खर्च बढ़ने से परेशान लोगों को कुछ राहत मिल सकती है.

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रियल एस्टेट मार्केट में निवेश में कुछ तेजी आई है. आरबीआई की स्टेबल मॉनेटरी पॉलिसी के चलते हाउसिंग लोन की दरें अब तक के सबसे निचले स्तर है. अगर सरकार नए बजट में इस सेक्टर को किसी भी तरह का इन्सेंटिव देती है तो इससे जुड़े अन्य उद्योगों को भी फायदा होगा और MSME व SME सेक्टर्स में रोजगार और ग्रोथ के नए अवसर पैदा होंगे.

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LTCG टैक्स में राहत की उम्मीद

शेयर बाजारों और म्यूचुअल फंड निवेशकों को अलग-अलग लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स में राहत की उम्मीद है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में लिस्टेड इक्विटी शेयरों की बिक्री पर LTCG टैक्स समाप्त होने से स्टॉक एक्सचेंज के ज़रिए निवेश को बढ़ावा मिलेगा. बजट 2018 तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन इन्वेस्टर के लिए टैक्स फ्री था. वर्तमान में, एक वित्त वर्ष में 1 लाख तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है. उसके बाद 10 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. इस कैपिटल गेन टैक्स को हटाने या कम से कम एक वर्ष में 1 लाख रुपये की मौजूदा छूट सीमा को बढ़ाने से स्टॉक एक्सचेंज के ज़रिए निवेश को बढ़ावा मिलेगा.

इक्विटी इन्वेस्टमेंट पर STT हटने की उम्मीद

STT स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड सिक्योरिटीज की खरीद और बिक्री पर वसूला जाने वाला डायरेक्ट टैक्स है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि बजट 2022 में इक्विटी ट्रेड पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax) को खत्म करने पर विचार किया जाना चाहिए. निवेशक द्वारा किए जाने वाले प्रत्येक ट्रांजेक्शन पर LTCG, STT और GST लगाने का कोई मतलब नहीं है. वित्तीय बाजारों में नए इन्वेस्टर्स को बढ़ावा देने के लिए STT को खत्म करना जरूरी है.

क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े टैक्स नियमों में बदलाव की उम्मीद

क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक विधेयक पेश किए जाने की उम्मीद थी, हालांकि इसे पेश नहीं किया गया. अब उम्मीद है कि सरकार बजट सत्र में एक विधेयक पेश कर सकती है. हालांकि, क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों, निवेशकों और ट्रेडर्स को आगामी बजट 2022 में क्रिप्टो अर्निंग पर एक प्रॉपर टैक्स पॉलिसी फ्रेमवर्क की उम्मीद है. टैक्स एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि आगामी बजट में सरकार क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय के टैक्सेशन पर उलझन को दूर कर सकती है. वर्तमान में, क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर टैक्स को लेकर आयकर कानून में कोई विशेष प्रावधान नहीं है. क्लियरटैक्स के फाउंडर और CEO अर्चित गुप्ता कहते हैं, “क्रिप्टो से जुड़े टैक्स के नियमों को लेकर कई तरह की उलझनें हैं. मसलन इसके क्लासिफिकेशन, एप्लिकेबल टैक्स रेट्स, टीडीएस/टीसीएस और क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री पर जीएसटी जैसी चीजों पर इस बजट में फैसले लिए जा सकते हैं.”

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स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिए जाने की उम्मीद

भारतीय स्टार्टअप्स ने साल 2021 में 4200 करोड़ डॉलर से अधिक की राशि जुटाई है, जिसके चलते 45 से ज्यादा यूनिकॉर्न कंपनियां (100 करोड़ डॉलर वैल्यूएशन वाली कंपनियां) बनीं. सरकार ने घोषणा की है कि डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) 20 लाख नए रोजगार पैदा करने पर काम कर रही है. इसके लिए अगले चार सालों में 50,000 नए स्टार्ट-अप को आधिकारिक रूप से रजिस्टर किया जाएगा. अब जरूरत इस बात की है कि स्टार्ट अप फ्रेंडली पॉलिसी और टैक्स में राहत दी जाए, ताकि रिसर्च और इनोवेशन में खर्च को बढ़ावा मिले.

(Article: Anupama Bhargava)

( लेखक एक फाइनेंशियल स्ट्रैटेजिस्ट हैं. यहां व्यक्त किए गए विचार उनके निजी हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता.)

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