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मुनाफे की तरह नुकसान की भी हारवेस्टिंग की जाती है. (Image- Pixabay)
Tax Harvesting: करीब डेढ़ महीने वैश्विक स्तर पर भारी तनाव के बावजूद इस वित्त वर्ष 2021-22 में 21 मार्च तक घरेलू इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 15.7 फीसदी और निफ्टी 16.5 फीसदी मजबूत हुआ है. इस दौरान बीएसई मिडकैप भी 17.3 फीसदी और बीएसई स्मालकैप भी 34.7 फीसदी मजबूत हुआ है. इस तेजी के चलते इक्विटी और इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशकों का मुनाफा बढ़ा. अब यह वित्त वर्ष खत्म होने में महज एक हफ्ते का ही समय बचा है तो इक्विटी निवेशकों को टैक्स हारवेस्टिंग पर ध्यान देना चाहिए और लांग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देनदारी को कम करने पर फोकस करना चाहिए.
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक टैक्स हारवेस्टिंग इक्विटी में निवेश पर टैक्स देनदारी को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है. हालांकि उनका कहना है कि मुनाफे को तुरंत फिर निवेश कर दिया जाना चाहिए ताकि कंपाउंडिंग बेनेफिट ले सकें.
टैक्स हारवेस्टिंग क्या है?
टैक्स हारवेस्टिंग इक्विटी इंवेस्टिंग में टैक्स लायबिलिटी कम करने को सबसे प्रभावी तरीका है. इसमें कुछ स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड की कुछ होल्डिंग को बेचकर मुनाफा कमाया जाता है और इस मुनाफे को फिर निवेश कर कंपाउंडिंग बेनेफिट लिया जाता है. 1 अप्रैल 2018 के बाद से यह नियम बन गया है कि किसी एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक के मुनाफे पर निवेशकों को बिना इंडेक्सेशन बेनेफिट के 10 फीसदी की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होता है. ऐसे में Nangia Andersen LLP की निदेशक नेहा मल्होत्रा के मुताबिक टैक्स देनदारी कम करने और टैक्स-फ्री रिटर्न हासिल करने के लिए जरूरी है कि किसी वित्त वर्ष में इक्विटी से एलटीसीजी किसी वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से कम रखें.
ये हैं टैक्स से जुड़े नियम
1 अप्रैल 2018 के बाद स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की अगर 12 महीने से कम की होल्डिंग को बेचते हैं तो इस पर हुए मुनाफे पर 15 फीसदी का शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा लेकिन अगर यह होल्डिंग पीरियड 12 महीने से अधिक का है तो 1 लाख से अधिक के मुनाफे पर बिना इंडेक्सेशन के बेनेफिट के 10 फीसदी की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होगा. इस साल के केंद्रीय बजट में 2 करोड़ से अधिक आय वाले हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स को एलटीसीजी पर सरचार्ज की दरों में राहत दी गई है और इसे 25 फीसदी या 37 फीसदी की बजाय अधिकतम 15 फीसदी पर कर दिया गया है.
कैपिटल लॉस की हारवेस्टिंग
मुनाफे की तरह नुकसान की भी हारवेस्टिंग की जाती है. लांग टर्म कैपिटल लॉस को अन्य लांग टर्म कैपिटल गेन्स से सेट ऑफ किया जा सकता है. आयकर अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस को शॉर्ट टर्म या लांग टर्म कैपिटल गेन से सेट ऑफ किया जा सकता है. अगर सेट ऑफ नहीं कर पा रहे हैं तो इसे अगले आठ एसेसमेंट इयर तक कैरी फारवर्ड कर सकते हैं. हालांकि कैरी फारवर्ड के लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है.
(Article: Saikat Neogi)