/financial-express-hindi/media/post_banners/VmvB92yKJ7ldn9Nh9ihO.jpg)
निर्मला सीतारमण ने साल 2022 का बजट पेश करते हुए एलान किया कि रिजर्व बैंक (RBI) अगले वित्त वर्ष में डिजिटल रुपया लॉन्च करेगा.
RBI Digital currency: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2022 का बजट पेश करते हुए एलान किया कि रिजर्व बैंक (RBI) अगले वित्त वर्ष में डिजिटल रुपया लॉन्च करेगा. यह सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC होगी. ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल है कि आखिर यह CBDC क्या है और यह कैसे काम करेगी. CBDC दरअसल, आरबीआई द्वारा जारी की गई एक डिजिटल करेंसी है. सरल शब्दों में कहें तो सीबीडीसी किसी देश का लीगल टेंडर है क्योंकि इसे सेंट्रल बैंक द्वारा डिजिटल रूप में जारी किया जाता है. यह किसी देश के मॉनिटरी अथॉरिटी द्वारा जारी ऑफिशियल करेंसी का एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या डिजिटल टोकन है.
बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) द्वारा 2021 में किए गए एक सर्वे से पता चला है कि 86 प्रतिशत केंद्रीय बैंक सीबीडीसी को अपनाने की तैयारी में हैं. वहीं, लगभग 15 प्रतिशत देश इसे लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं. CBDC केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक करेंसी ही है, लेकिन यह कागज (या पॉलीमर) नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि आरबीआई द्वारा शुरू की गई सीबीडीसी भारत की फिएट करेंसी - भारतीय राष्ट्रीय रुपया (INR) जैसी होगी और इसे फिजिकल करेंसी से एक्सचेंज (विनिमय) किया जा सकेगा. आरबीआई की वेबसाइट के मुताबिक, यह एक इलेक्ट्रॉनिक रूप में सॉवरेन करेंसी है और केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट पर लायबिलिटी (चलन में मुद्रा) के रूप में दिखाई देगी.
क्यों है सीबीडीसी की जरूरत
CBDC डिस्ट्रीब्यूटेड लेज़र टेक्नोलॉजी (DLT) द्वारा समर्थित होगा, लेकिन यह एक लाइसेंस प्राप्त ब्लॉकचेन होगा जो इसे ऐसे क्रिप्टो एसेट्स से अलग करेगा, जिन्हें लाइसेंस प्राप्त नहीं होता है. सेंट्रल मॉनीटरी अथॉरिटी के पास ब्लॉकचेन का कंट्रोल होगा. कागजी मुद्रा के इस्तेमाल में लगातार कमी आ रही है अब आरबीआई इसके इलेक्ट्रॉनिक रूप को और अधिक लोकप्रिय बनाना चाहता है. डिजिटल मुद्रा अधिक एफिशिएंट होगी और प्राइवेट करेंसी के खतरे और होने वाले नुकसान से बचने में मदद करेगी. डिजिटल करेंसी को जलाया या डैमेज नहीं किया जा सकता है, इसलिए एक बार जारी किए जाने के बाद ये हमेशा रहेंगे.
CBDC के क्या हैं फायदे
सीबीडीसी फाइनल पेमेंट होगा और फाइनेंशियल सिस्टम, खास तौर पर बैंकों में सेटलमेंट के जोखिम को समाप्त करेगा. सीबीडीसी वैल्यू का एक्चुअल स्टोर होगा और वैल्यू को एक एंटिटी से दूसरे में ट्रांसफर करेगा. इससे लेन-देन की लागत कम होगी और पैसे का फ्लो आसान होगा. सीबीडीसी के ज़रिए रियल टाइम ट्रांजेक्शन और एक ग्लोबलाइज़ कॉस्ट इफेक्टिव पेमेंट सेटलमेंट सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा. उदाहरण के लिए, इसके ज़रिए भारतीय आयातक किसी बिचौलिए के बिना ही डिजिटल डॉलर में रियल टाइम में निर्यात किए गए अमेरिकी सामान का भुगतान कर सकते हैं. इसमें यह भी जरूरी नहीं होगा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व सिस्टम सेटमेंट के लिए खुली हो. करेंसी सेटलमेंट में टाइम जोन के अंतर से अब कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. यह लेन-देन फाइनल होगा.
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा जारी एक नोट के अनुसार, सीबीडीसी में पैसे के मौजूदा फॉर्म की तुलना में लिक्विडिटी, एक्सेप्टेंस, लेनदेन में आसानी और फास्ट सेटलमेंट में मदद मिलेगी. यह निकट भविष्य में कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर एक व्यावहारिक बदलाव हो सकता है. सीबीडीसी को अपनाने से लोगों के लिए सरकार द्वारा प्रदान किए गए सपोर्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करना आसान हो जाएगा. यह डिजिटल इकनॉमी की ओर बढ़ने में सरकार की मदद करेगा.
अन्य देशों में क्या है स्थिति
भारत में वित्तीय वर्ष 2022-23 में सीबीडीसी या डिजिटल रुपये को लॉन्च किए जाने की उम्मीद है. इसे दो वर्ज़न - रिटेल डिजिटल रुपी (Retail Digital Rupee) और होलसेल डिजिटल रुपी (Wholesale Digital Rupee) में लॉन्च करने की योजना है. वैश्विक तौर पर देखें तो नाइजीरिया Naira नाम की अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च करने के लिए तैयार है. वेनेजुएला भी अपना CBDC, यानी डिजिटल Bolivar लॉन्च करने की योजना बना रहा है. साउथ कोरिया डिजिटल युआन का पायलट परीक्षण कर रहा है. यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी), अमेरिका, रूस, चीन और तुर्की भी सीबीडीसी को लेकर अपनी योजनाओं पर विचार कर रहे हैं.
(By Kunal Jagdale, Founder, BitsAir Exchange)