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इनमें से लगभग सभी करदाताओं को कोविड काल में राहत देने के लिए थे. Image: Reuters
Tax Related Changes of 2020: साल 2020 बड़े बदलावों का गवाह बना. इस साल को कोरोनावायरस महामारी के कारण याद रखा जाएगा. भारत में गुजरे साल लागू हुए ज्यादातर बदलावों की वजह यह महामारी ही रही. कोविड19 के चलते देश में टैक्स के मोर्चे पर भी कई बदलाव देखने को मिले. इनमें से लगभग सभी करदाताओं को कोविड काल में राहत देने के लिए थे. करदाताओं के लिए कुछ नई पहलों की भी घोषणा की गई. आइए डालते हैं इनमें से कुछ पर एक नजर...
विवाद से विश्वास योजना
बजट 2020 में सरकार ने ‘विवाद से विश्वास’ (Vivad se Vishwas) स्कीम की घोषणा की थी. इस समाधान योजना का मकसद देश में लंबित कर विवादों का समाधान करना है. इस स्कीम के तहत करदाताओं को केवल विवादित टैक्स राशि का भुगतान करना होगा. उन्हें ब्याज और जुर्माने पर पूरी छूट मिलेगी. करदाता इस योजना का लाभ उठाकर तुंरत विवादों का समाधान कर सकते हैं. उन्हें जुर्माना, ब्याज और मुकदमेबाजी से राहत मिलेगी. फिलहाल कोविड19 महामारी को देखते हुए विवाद से विश्वास स्कीम के तहत भुगतान की समय सीमा को बढ़ाकर 31 मार्च 2021 कर दिया गया है. वहीं ताजा आदेश में स्कीम के तहत ऑर्डर्स की पासिंग डेट को बढ़ाकर 31 जनवरी 2021 कर दिया गया है.
वैकल्पिक टैक्स स्लैब
फरवरी में पेश हुए बजट 2020 में वैकल्पिक आयकर स्लैब्स की घोषणा की गई थी. अब करदाताओं को पुराना परंपरागत इनकम टैक्स स्लैब और नया वैकल्पिक टैक्स स्लैब दोनों उपलब्ध हैं. वैकल्पिक टैक्स स्लैब इस तरह है-
इंस्टैंट PAN
बजट 2020 में घोषणा किए जाने के बाद नागरिकों के लिए इंस्टैंट पैन कार्ड (PAN Card) की सुविधा लागू हुई. अब घर बैठे ऑनलाइन इंस्टैंट पैन पाया जा सकता है. इंस्टैंट पैन में आपके पास पैन कार्ड की सॉफ्ट कॉपी यानी ई-पैन अप्लाई करने के केवल 10 मिनट के अंदर आ जाता है. यह फिजिकल पैन कार्ड जितना ही मान्य है. इंस्टैंट पैन की सुविधा उन आवेदकों के लिए उपलब्ध है, जिनके पास मान्य आधार नंबर मौजूद है और उनका मोबाइल नंबर आधार के साथ रजिस्टर्ड है. इलेक्ट्रॉनिक पैन (ई-पैन) बिना कोई शुल्क लिए जारी किया जाता है. प्रॉसेस डिटेल में जानने के लिए पढ़ें..
बैठे 10 मिनट में बनेगा पैन कार्ड, नहीं लगेगा एक भी पैसा; ऐसे करें अप्लाई
होम लोन पर अतिरिक्त टैक्स बेनिफिट एक साल और
सरकार ने बजट 2019 में होम लोन के ब्याज पेमेंट पर 1.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त कटौती के लिए प्रावधान किया था. हालांकि इसका फायदा केवल वही लोग ले सकते थे, जिन्होंने अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच लोन लिया हो. बजट 2020 में इस डेडलाइन को एक साल के लिए बढ़ाया गया. होम लोन के ब्याज पेमेंट पर पहले से सेक्शन 24 के तहत 2 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन मिलता है. वहीं प्रिंसिपल अमाउंट पर सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन मिलता है.
म्यूचुअल फंड से मिला डिविडेंड टैक्सेबल
बजट 2020 में कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स की ओर से दिए जाने वाले डिविडेंड पर DDT खत्म कर दिया गया है. अब म्युचुअल फंड्स और घरेलू कंपनियों से मिला डिविडेंड प्राप्तकर्ता के लिए कर योग्य होगा.
PF में नियोक्ता का लिमिटेड योगदान टैक्स फ्री
अगर एनपीएस, ईपीएफ और पेंशन फंड में एक साल में नियोक्ता का योगदान 7.5 लाख रुपये को पार करता है, तो यह कर्मचारी के सिरे पर कर योग्य होगा. आयकर नियम में यह परिवर्तन नए और पुराने दोनों टैक्स स्लैब्स में लागू होगा.
टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट की डेडलाइन बढ़ना
वित्तीय वर्ष 2019-20 केंद्र सरकार ने टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट्स के लिए समय सीमा को बढ़ाते हुए 31 जुलाई 2020 तक का समय दिया था. यानी इस तारीख तक किए गए टैक्स सेविंग इंवेस्टमेंट्स पर वित्त वर्ष 2019-20 के लिए डिडक्शन क्लेम किया जा सकता था.
ITR फाइलिंग डेडलाइन आगे बढ़ना
सरकार वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आयकर रिटर्न भरने की तारीख को अब तक तीन बार आगे बढ़ा चुकी है. व्यक्तिगत करदाताओं के मामले में आईटीआर भरने की आखिरी तारीख को सबसे पहले 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 किया गया. फिर इसे बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 किया गया. अब नए आदेश में सरकार ने एक बार फिर इस डेडलाइन को बढ़ाकर 10 जनवरी 2021 कर दिया है. ऐसे व्यक्तिगत आयकरदाताओं जिन्हें अपने खातों का ऑडिट कराने की जरूरत है, उनके लिए रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा अब 15 फरवरी हो चुकी है. कंपनियों के लिए रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 15 जनवरी, 2021 हो गई है.
ITR: आयकरदाताओं को राहत, एक बार फिर बढ़ी टैक्स रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन
लेट आयकर रिटर्न की डेडलाइन बढ़ना
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वित्त वर्ष 2018-19 (AY 2019-20) के लिए विलंबित और संशोधित ITR प्रस्तुत करने की आखिरी तारीख को बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 किया. इससे पहले भी डेडलाइन बढ़ाई गई. वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ITR भरने की वास्तविक आखिरी तारीख 31 मार्च 2020 थी, जिसे बढ़ाकर पहले 30 जून 2020 और फिर 31 जुलाई 2020 कर दिया गया था. इसके बाद एक बार फिर इसे आगे करके 30 सितंबर और फिर 30 नवंबर 2020 किया. इसके अलावा वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ITR के लेट पेमेंट पर ब्याज दर को 12 फीसदी से घटाकर 9 फीसदी किया गया.
इन विशेष भुगतान के लिए 25% कम TDS, TCS
मई माह में सरकार ने बचे हुए मौजूदा वित्त वर्ष के लिए नॉन सैलरीड पेमेंट के लिए TDS (Tax Deducted at source) और स्पेसिफाइड रेसिप्टस के लिए TCS (Tax Collected at Source) रेट को 25 फीसदी घटाने का फैसला किया. करदाताओं के हाथ में ज्यादा पैसे बचें, इसलिए रेजिडेंट्स को किए जाने वाले नॉन सैलरीड स्पेसिफाइड पेमेंट के लिए टीडीएस और स्पेसिफाइड रेसिप्टस के लिए टीसीएस की रेट को 31 मार्च 2021 तक मौजूदा रेट से 25% घटाया गया.
फॉर्म 15G/15H के मामले में मिली राहत
लॉकडाउन में लोगों के बाहर निकलने पर लगी पाबंदी के चलते CBDT ने निवेशकों को राहत प्रदान की. CBDT ने तय किया कि वित्त वर्ष 2019-20 में जमा किए गए फॉर्म 15G/15H 30 जून 2020 तक मान्य रहेंगे और बैंक/फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन निवेशकों की ब्याज आय पर जून आखिर तक टैक्स नहीं काटेंगे.
कर चोरी पकड़ने के लिए बैंक/डाकघरों को नई सुविधा
CBDT ने बैंकों और डाकघरों को एक नई सुविधा इस साल उपलब्ध कराई. इसकी मदद से आयकर रिटर्न नहीं भरने वालों (नॉन फाइलर्स) के मामले में 20 लाख रुपये से अधिक और आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों के मामले में एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी पर लागू टीडीएस की उपयुक्त दरों का पता लगाया जा सकता है. यह नई सुविधा https://incometaxindiaefiling.gov.in पर “वेरिफिकेशन ऑफ एप्लीकेबिलिटी u/s 194N” के रूप में 1 जुलाई 2020 से उपलब्ध हो गई.
ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन प्रोग्राम का एलान
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अगस्त माह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ईमानदार करदाताओं के लिए ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन प्रोग्राम (पारदर्शी टैक्सेशन व्यवस्था-ईमानदारों को सम्मान) की शुरुआत की. इसके तहत फेसलेस असेसमेंट (Faceless Assessment), फेसलेस अपील (Faceless Appeal) और टैक्सपेयर्स चार्टर (Taxpayers Charter) को लाया गया. फेसलेस असेसमेंट और टैक्सपेयर्स चार्टर तुरंत लागू हो गए, जबकि फेसलेस अपील को 25 सितंबर से लागू किया गया. इस बारे में डिटेल में पढ़ें...
AY 2015-16 से 2019-20 तक का ITR वेरिफिकेशन
जिन करदाताओं ने आकलन वर्ष 2015-16 से लेकर 2019-20 तक ई-फाइल किए गए टैक्स रिटर्न को वेरिफाई नहीं किया था, उन्हें आयकर विभाग ने जुलाई माह में एकबारगी छूट यानी वन टाइम रिलैक्सेशन दिया. ऐसे करदाताओं को 30 सितंबर 2020 तक अपने रिटर्न्स के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी करने का मौका दिया गया.
विक्रेता द्वारा TCS कलेक्शन पर नया नियम
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इस साल नया नियम लागू किया कि कोई भी विक्रेता स्रोत पर कर की कटौती (TCS) तभी कर सकेगा, जब पिछले वित्त वर्ष में उसका कारोबार 10 करोड़ रुपये से अधिक रहा हो. वित्त विधेयक 2020 में TCS से संबंधित प्रावधानों में संशोधन किया गया, जिन्हें एक अक्टूबर 2020 से लागू किया गया. सामान के विक्रेता की किसी खरीदार को बिक्री से होने वाली प्राप्ति वित्त वर्ष में 50 लाख रुपये से अधिक होने पर 0.1 फीसदी (0.075 फीसदी 31 मार्च 2021 तक) की दर से टैक्स कलेक्ट करेगा. यह TCS इस साल 1 अक्टूबर 2020 को अथवा उसके बाद प्राप्त होने वाली राशि पर ही लागू होगा.
ओवरसीज रेमिटेंस पर TCS
ओवरसीज रेमिटेंस और ओवरसीज टूर पैकेज की बिक्री पर TCS वसूल करने के लिए आयकर कानून के सेक्शन 206C में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया. सेक्शन 206C के तहत नए नियमों के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति 7 लाख रुपये या इससे ज्यादा अमाउंट एक वित्त वर्ष में भारत के बाहर LRS के तहत रेमिटेंस के रूप में भेजता है तो 5 फीसदी की दर से TCS देय होगा. अगर ऑथराइज्ड डीलर या टूर पैकेज विक्रेता को PAN या आधार उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो TCS की दर 10 फीसदी होगी. हालांकि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर इसका रिफंड पाया जा सकेगा.