/financial-express-hindi/media/post_banners/595ciS7jnAoWckK6D9G9.jpg)
Mutual Funds: कुछ फंड हाउस बच्चों के नाम पर भी म्यूचुअल फंड स्कीम चला रहे हैं.
Child Plan in Mutual Funds: आज के दौर में जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, खर्च भी बढ़ रहे हैं. महंगाई बढ़ने की मौजूदा दर 6 फीसदी से ज्यादा है. इसी हिसाब से महंगाई बढ़ती रही तो आज से 20 साल बाद का खर्च 2.5 से 3 गुना हो जाएगा. जिस काम पर अभी 1 लाख खर्च होते हैं, तब इसके लिए 2.5 से 3 लाख की या इससे भी ज्यादा की जरूरत होगी. यानी बच्चों की पढ़ाई लिखाई या उनपर दूसरे खर्च भी इसी अनुपात में बढ़ जाएंगे. इसी वजह से बच्चों के जन्म के समय से ही पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि उनके लिए फाइनेंशियल प्लानिंग शुरू कर दें. 20 साल बाद का खर्च सही तरीके से पूरा करना है तो आपको अपना पैसा सही विकल्प में लगाना जरूरी है, जिससे लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार किया जा सके.
कौन सा विकल्प हो सकता है बेहतर
वैसे तो भारत में सुरक्षित निवेश की बात करें तो निवेश के परंपरागत विकल्पों में एफडी, आरडी, पीपीएफ या इस तरह की सरकारी स्कीम शामिल हैं. लेकिन महंगाई से तुलना करें तो इनका रियल रेट ऑफ रिटर्न उतना प्रभावी नहीं है. दूसरा विकल्प है इक्विटी का, लेकिन बुहत से निवेशक सीधे शेयर बाजार में पैसे लगाने से घबराते हैं, क्योंकि इसमें उतार चढ़ाव का रिस्क बहुत ज्यादा है. वहीं तीसरा विकल्प म्यूचुअल फंड का है, जहां फंड हाउस मजबूत फंडामेंटल वाली अलग अलग कंपनियों के शेयरों में पैसे लगाते हैं. यह इक्विटी में पैसे लगाने का सुरक्षित और ज्यादा रिटर्न देने वाला विकल्प है.
बच्चों के लिए क्यों म्यूचुअल फंड है बेहतर
बच्चों के भविष्य के लिए फाइनेंशियल गोल है तो यह लंबी अवधि का ही होगा. आमतौर पर इसकी अवधि 10 साल से 20 साल हो सकती है. लंबी अवधि में बाजार के रिस्क कवर हो जाते हैं. ऐसे में इक्विटी फंड में सिस्टमैटिक् इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए निवेश करना समझदारी है. बच्चों के लिए किसी अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड में लंबे समय के लिए निवेश किया जा सकता है. कुछ फंड हाउस बच्चों के नाम पर भी म्यूचुअल फंड स्कीम चला रहे हैं और उनमें कई स्कीम ने लंबी अवधि में जमकर दौलत बढ़ाई है.
क्या सिर्फ चाइल्ड प्लान ही खरीदें?
एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चों के नाम से किसी भी अच्छे म्यूचुअल फंड में निवेश किया जा सकता है. जरूरी नहीं है कि बच्चे के नाम से सिर्फ उन्हीं फंड में निवेश कर सकते हैं, जिनके साथ चाइल्ड जुड़ा हुआ हो. हालांकि इनमें भी कुछ बेहतर प्लान हैं. लेकिन इनके अलावा पैरेंट्स दूसरे म्यूचुअल फंड्स की ओर भी देख सकते हैं. यह ध्यान रहे कि बच्चों के नाम से एसआईपी कर रहे हैं तो निवेश का लक्ष्य कम से कम 15 साल जरूर रहे. ईएलएसएस भी बेहतर विकल्प है, जहां 3 साल से 5 साल की लॉक इन अवधि होती है. लॉक इन खत्म होने के बाद भी अगर रिटर्न बेहतर आ रहा है तो निवेश जारी रखा जा सकता है. कुछ चाइल्ड प्लान इक्विटी और डेट के कंपोजिशन के आधार पर निवेशकों को अलग अलग विकल्प देते हैं. मसलन ज्यादा जोखिम न लेने वाले निवेशकों के लिए अधिक डेट वाला पोर्टफोलियो चुनने का विकल्प, वहीं एग्रेसिव निवेशकों को अधिक इक्विटी वाले पोर्टफोलियो को चुनने का विकल्प मिलता है.
बेस्ट रिटर्न देने वाले फंड
बच्चों के नाम से बेस्ट रिटर्न देने वाले फंड में HDFC चिल्ड्रेंस गिफ्ट फंड का 20 साल में एसआईपी रिटर्न 16 फीसदी सीएजीआर के करीब है. वहीं ICICI Prudential Child Care Fund ने 20 साल में 13.32 फीसदी सीएजीआर और Tata Young Citizens Fund ने 12 फीसदी सीएजीआर से रिटर्न दिया है. म्यूचुअल फंड की अन्य स्कीम देखें तो कुछ ने 20 साल में 15 फीसदी सीएजीआर रिटर्न दिया है.
(source: value research)
रोज बचाएं 150 रु, 20 साल में कितना मिलेगा
रोज की बचत: 150 रुपये
मंथली बचत: 4500 रुपये
सालाना एसआईपी रिटर्न: 15 फीसदी
20 साल में फंड: 70 लाख रुपये
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस किसी भी तरह के निवेश की सलाह नहीं देता है. निवेश से पहले खुद पड़ताल करें या अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें.)