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इनमें जोखिम थोड़ा ज्यादा है और उनमें विचार और आकलन करके निवेश किया जा सकता है.
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Company FD: कोरोना महामारी की वजह से आए आर्थिक संकट में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट में कटौती की है. इसके बाद बैंकों ने भी फिकस्ड डिपॉजिट (एफडी) पर ब्याज दरों को घटाया है. ज्यादातर सरकारी, निजी और विदेशी बैंक वर्तमान में अपनी एफडी पर 2.3 फीसदी से 6 फीसदी की सालाना दर से ब्याज दे रहे हैं. यह उन निवेशकों के लिए चिंता की बात है जो वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बैंक जमा पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं.
इनमें से बहुत लोग वैकल्पिक निवेश के माध्यमों की ओर देख रहे हैं, खासकर वे जिन्हें ज्यादा जोखिम नहीं चाहिए. ऐसा एक विकल्प कंपनी एफडी हो सकती हैं. इनमें जोखिम थोड़ा ज्यादा है और उनमें विचार और आकलन करके निवेश किया जा सकता है.
टेन्योर और अन्य फीचर्स
कंपनी या कॉरपोरेट एफडी बैंक एफडी के समान होती हैं. लेकिन यहां जमाकर्ता अपने पैसे को बैंकों की जगह जारी करने वाली कंपनी के पास रखते हैं. कंपनी एफडी एश्योर्ड रिटर्न देती हैं जो बैंक एफडी से ज्यादा हो सकता है. इनमें मध्य स्तर का जोखिम और 12 महीने से 120 महीने के बीच की अवधि होती है.
इसके साथ कंपनी एफडी पर सीनियर सिटीजन जमाकर्ताओं को 0.5 फीसदी तक ज्यादा ब्याज मिलता है. हालांकि, बैंक डिपॉजिट कॉरपोरेट एफडी के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होती हैं. बैंक में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन से 2 लाख रुपये तक की राशि पर सुरक्षा मिलती है, कॉरपोरेट एफडी पर ऐसा नहीं है.
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कंपनी की क्रेडिट रेटिंग का रखें ध्यान
निवेशकों को कंपनी एफडी की क्रेडिट रेटिंग को भी चेक करना चाहिए और केवल उन कंपनियों में निवेश करना चाहिए जो Crisil, ICRA, CARE आदि एजेंसी से AAA, AA and AA+ रेटिंग प्राप्त हों. निवेशकों को यह समझना चाहिए कि अगर जिस कंपनी में वे निवेश कर रहे हैं, उसमें कोई वित्तीय मुश्किलें हैं, तो उन्हें अपने मुश्किल हो सकती है. बैंकबाजार के मुताबिक, बैंक एफडी की तरह ही कंपनी एफडी रिटर्न भी निवेशक की इनकम टैक्स स्लैब के मुताबिक पूरी तरह टैक्सेबल हैं.
तो, अगर आप कपनी एफडी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो ये पांच विकल्प अभी सबसे ज्यादा रिटर्न दे रहे हैं. यह ध्यान रखें कि सूची व्यापक नहीं है और इसमें वे कंपनियां शामिल नहीं हैं जो वर्तमान में नई डिपॉजिट मंजूर नहीं कर रही हैं.
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(स्टोरी: संजीव सिन्हा)