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यह बात क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कही गई है.
छोटे कर्जों के लिए ब्याज पर ब्याज माफी से 75 फीसदी कर्जदारों को फायदा होगा, वहीं सरकार को इसकी लागत लगभग 7500 करोड़ रुपये पड़ेगी. यह बात क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कही गई है. शुक्रवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि वह 2 करोड़ रुपये से तक के छोटे लोन्स पर चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) बैंकों को रिइंबर्स करेगी. फिर भले ही बॉरोअर्स ने लोन मोरेटोरियम का फायदा लिया हो या नहीं. लेकिन इसके लिये शर्त है कि कर्ज की किस्त का भुगतान फरवरी के अंत तक होता रहा हो यानी संबंधित ऋण NPA नहीं हो.
क्रिसिल ने कहा है कि छोटे कर्ज वाले लोन अकाउंट बैंक, वित्तीय संस्थान द्वारा दिये गये कर्ज का 40 फीसदी हैं और ब्याज पर ब्याज माफी से 75 फीसदी कर्जदारों को फायदा होने वाला है. लेकिन इससे सरकार के खजाने पर लगभग 7500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. यह लागत आधी रह जाती, अगर ब्याज पर ब्याज माफी केवल उन मामलों में दी जाती, जिनमें मोरेटोरियम का फायदा लिया गया.
5 नवंबर तक खाते में आएगी छूट की रकम
ब्याज पर ब्याज माफी के प्रभावी और समय से क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने बैंकों को 5 नवंबर तक पात्र कर्जदारों के खातों में धनराशि डालने को कहा है. यह धनराशि 6 माह की मोरेटोरियम अवधि में चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के बीच का अंतर होगी. वहीं कर्जदाता रिइंबर्समेंट के लिए 15 दिसंबर तक आवेदन कर सकते हैं. सरकार से बैंकों को कब तक फंड हासिल होगा, इसकी टाइमलाइन अभी अधिसूचित होनी बाकी है. चक्रवृद्धि ब्याज माफी के लिए पात्र लोन सेगमेंट में MSMEs लोन, एजुकेशन लोन, होम लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स लोन, क्रेडिट कार्ड लोन, व्हीकल लोन, पर्सनल लोन, प्रोफेशनल लोन और कंजंप्शन लोन शामिल हैं.
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पूर्ण ब्याज माफी से लागत आती 1.5 लाख करोड़
क्रिसिल के मुताबिक, 2 करोड़ रुपये तक के पात्र लोन्स के लिए ब्याज पर ब्याज समेत पूर्ण ब्याज माफी का मतलब होगा 1.5 लाख करोड़ रुपये का प्रभाव. यह सरकार और वित्तीय सेक्टर के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी कर सकता है. कर्जदार की नजर से देखें तो सरकार द्वारा दिया जा रहा फायदा उन लोगों के लिए अपेक्षाकृत उच्च है, जिन्होंने हायर यील्ड वाले लोन ले रखे हैं. लिहाजा अनसिक्योर्ड, माइक्रो और गोल्ड लोन लिए हुए लोगों को होम लोन लेने वालों से ज्यादा फायदा होगा.