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कोरोना संकट (Coronavirus Pandemic) को देखते हुए भारत में बड़ी संख्या में लोग देश की मदद करना चाहते हैं. इसके लिए बहुत से लोग पीएम केयर्स फंड (Pm Cares Fund) में योगदान दे रहे हैं. हालांकि, व्यक्ति को इस अच्छे काम के लिए भुगतान करते समय उसके जरिए के बारे में ध्यान रखने की जरूरत है क्योंकि साइबर क्राइम करने वासे इस मौके का लोगों के साथ फ्रॉड करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद पर्सनल कंप्यूटर नेटवर्क, मोबाइल फोन्स, VPNs और राउटर्स पर साइबर अटैक के मामले बढ़े हैं क्योंकि कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं.
इसके साथ जब से पीएम केयर्स रिलीफ फंड का एलान हुआ है, साइबर क्राइम करने वाले लोगों को जालसाज ई-मेल और मैसेज के फर्जी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पेज बनाकर फंसाने की कोशिश कर रहे हैं.
TAC सिक्योरिटी की फाउंडर और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर त्रिशनीत अरोड़ा ने कहा कि इस समय जोखिम मुख्य तौर पर डेटा चोरी से जुड़ा है जो निजी और जरूरी जानकारी को आइडेंटिटी थैफ्ट और फिशिंग से खोने का है, जो लोगों को खाते से पैसे चोरी होने का खतरा भी पैदा करता है.
अपराधी कैसे फायदा ले रहे हैं ?
साइबर अपराधी लोगों को धोखा देने के लिए इस संकट के समय का इस्तेमाल कर रहे हैं. Netrika Consulting India के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय कौशिक ने कहा कि लोग अपने घरों में फंसे हैं और वे घबराहट से गुजर रहे हैं इसलिए वे गलती कर सकते हैं जिससे उन्हें बड़े पैसे का नुकसान हो सकता है. उदाहरण के लिए हाउसिंग लोन की EMI पर मोरेटोरियम जारी करने का मुद्दा है. जहां लाखों लोग RBI द्वारा दिए गए इस मौके का फायदा लेना चाहते हैं, साइबर अपराधी इसका इस्तेमाल लोगों कसे उनकी निजी जानकारी हासिल करने में कर रहे हैं.
CERT-IN (साइबर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम- इंडिया) को कई शिकायतें मिली हैं जिसमें साइबर अपराधियों द्वारा फर्जी UPI आईडी के इस्तेमाल की बात कही गई है जिससे लोगों को फर्जी खातों में दान भेजने के लिए विश्वास दिलाया जाता है. पीएम केयर्स रिलीफ फंड में योगदान करने के लिए सही आईडी pmcares@sbi है जिसके साथ रजिस्टर्ड खाते का नाम PM CARES है. कई फर्जी आईडी मौजूद हैं जो बाजार में घूम रही हैं. इनमें से कुछ फर्जी आईडी जो CERT-IN की नजर में आईं हैं, उनमें pmcares@pnb, pmcares@hdfcbank, pmcare@yesbank, pmcare@ybl, pmcare@upi, pmcare@sbi और pmcare@icici शामिल हैं.
इस बात पर ध्यान दें कि पीएम केयर्स रिलीफ फंड के तहत डोनेशन लेने के लिए केवल एसबीआई ही अधिकृत है. इसके साथ ही योगदान करने वालों को अकाउंट की स्पेलिंग के बारे में भी ध्यान रखने की जरूरत है. कई बार स्पेलिंग में एक अतिरिक्त ‘S’ हो सकता है, जिससे आपको दुविधा हो और पैसों का नुकसान हो जाए.
इसके साथ ही लोगों को कॉल सेंटर से फोन आ रहे हैं जिसमें उन्हें होम लोन ईएमआई पर मोरेटोरियम लेने के लिए बैंक खाते की जानकारी को साझा करने के लिए कहा जा रहा है. कौशिक ने कहा कि मोरेटोरियम को लेते समय इस बात पर ध्यान दें कि कोई बैंक आपसे सीधे बैंक की डिटेल्स जानने के लिए फोन नहीं करेगा, अगर आप ईएमआई पर मोरेटोरियम ले रहे हैं, तो उस स्थिति में. कुछ लोग अपनी सेंवेदनशील वित्तीय जानकारी को साझा कर बैठते हैं और उन्हें ऐसे लिंक पर क्लिक करवाया जाता है जिससे तुरंत उनके पैसों का नुकसान हो जाता है. इसी तरह बहुत से लोगों को नकली वेबसाइट वेबसाइट पर क्लिक करके धोखा मिलता है. इन वेबसाइट का URL असली से मिलता-जुलता होता है और यूजर इंटरफेस को भी इसे असली से अलग पहचानने में मुश्किल होती है.
साइबर अपराधी अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं जिससे डिजिटल फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अरोड़ा ने कहा कि लोगों को फर्जी इंफेक्टेड मैप भी मिल रहे हैं जिसमें उन्हें सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करने और स्टेप्स को फॉलो करने के लिए कहा जाता है जिससे अधिकतर लोगों की डेटा सिक्योरिटी का उल्लंघन होता है. इसलिए यह जरूरी है कि लोग एक अच्छा एंटीवायरस या फायरवॉस सभी डिवाइस, मोबाइल, लैपटॉप पर रखें जिससे इन फर्जी वेबसाइट या URL को स्क्रीन पर पॉप अप करने से पहले ही रोक दिया जाए.
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साइबर अटैक से बचने के लिए क्या कदम लिए जा सकते हैं ?
- अगर आप अपने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर रहे हैं, तो अपनी डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स को शेयर न करें. अपने कंप्यूटर या मोबाइल बैंकिंग ऐप पर ‘AutoSave’ या ‘AutoComplete’ फीचर को डिसेबल कर दें.
- ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए पब्लिक वाईफाई का इस्तेमाल नहीं करें. इसके लिए हमेशा सुरक्षित वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें. साथ ही रैंडम वेबसाइट का भरोसा न करें. साइबर अपराधी लोगों को फिशिंग टैक्स्ट में दिए लिंक पर क्लिक करवाते हैं.
- बिना वेरिफाई वाले पॉप अप पर कभी भी क्लिक न करें. रैंडम मेल या मैसेज पर ध्यान न दें. अगर आपके पास कोई रैंडम मैसेज या ईमेल आता है, तो उसे कभी न खोलें.
- हमेशा दो वेरिफिकेशन स्टेप्स या मजबूत और जटिल पासवर्ड को सेट करें. डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए वन टाइम पासवर्ड को हमेशा सेट करें.
- अपना OTP या CVV या निजी जानकारी को साझा न करें, तब बी जब व्यक्ति कहे कि वह बैंक से फोन कर रहा है और उसे आपके बैंक अकाउंट के बारे में कुछ जानकारी हो. आपको कभी भी कोई निजी जानकारी नहीं साझा करनी चाहिए और तुरंत बैंक के कस्टमर केयर के आधिकारिक नंबर पर फोन करें.
(Story: Priyadarshini Maji)