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 Corporate FD : कंपनियों के एफडी देते हैं ज्यादा ब्याज लेकिन जोखिमों को समझ कर ही करें निवेश

कॉरपोरेट एफडी में निवेश करते समय ग्रुप की विश्वसनीयता पर भी ध्यान देना चाहिए. यह देखना चाहिए कि कंपनी के  कॉरपोरेट एफडी का अस्तित्व कितने समय से है.

कॉरपोरेट एफडी में निवेश करते समय ग्रुप की विश्वसनीयता पर भी ध्यान देना चाहिए. यह देखना चाहिए कि कंपनी के  कॉरपोरेट एफडी का अस्तित्व कितने समय से है.

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 Corporate FD : कंपनियों के एफडी देते हैं ज्यादा ब्याज लेकिन जोखिमों को समझ कर ही करें निवेश

कॉरपोरेट एफडी में निवेश देता है ज्यादा ब्याज लेकिन जोखिम का ध्यान रखना भी जरूरी

आजकल अक्सर ऐसे विज्ञापनों की भरमार है, जिनमें कॉरपोरेट एफडी की ज्यादा ब्याज दरों का जिक्र होता है. अक्सर ये दरें 7 और 8 फीसदी के बीच होती हैं, जबकि बैंक एफडी में ब्याज दरें अधिकतम साढ़े पांच फीसदी (सीनियर सिटीजन तक सीमित हैं) हैं. ऐसे में कॉरपोरेट एफडी की ओर निवेशकों का रुझान स्वाभाविक है. कॉरपोरेट एफडी कम जोखिम में एफडी से ज्यादा ब्याज देते हैं. चूंकि कॉरपोरेट एफडी की रेटिंग अच्छी होती है, इसलिए निवेशक इसमें जोखिम की चिंता किए बगैर निवेश करते हैं. एक साल के कॉरपोरेट एफडी पर 7.5 से 8 और पांच साल के डिपोजिट पर 8 से 9 फीसदी तक का ब्याज मिलता है.

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कॉरपोरेट एफडी का चुनाव कैसे करें? 

रेटिंग - ICRA, CARE और CRISIL जैसी रेटिंग एजेंसियां इन कॉरपोरेट एफडी की रेटिंग करती हैं. जोखिम के हिसाब से इनकी AA और AAA क्रेडिट रेटिंग होती है. जोखिम के हिसाब से रेटिंग घटती है. हालांकि कम रेटिंग वाले कॉरपोरेट एफडी में ज्यादा ब्याज हो सकता है लेकिन इसमें जोखिम ज्यादा होता है. 

पैरैंटेज - कॉरपोरेट एफडी में निवेश करते समय ग्रुप की विश्वसनीयता पर भी ध्यान देना चाहिए. यह देखना चाहिए कि कंपनी के  कॉरपोरेट एफडी का अस्तित्व कितने समय से है. कॉरपोरेट गवर्नेंस का स्टैंडर्ड भी काफी मायने रखता है. अच्छे कॉरपोरेट गवर्नेंस और रिकार्ड वाली कंपनी का एफडी रिटर्न और कम जोखिम के हिसाब से अच्छा साबित हो सकता है.

ब्याज दर : निवेशकों को उन कंपनियों से बचना चाहिए, जो अवास्तविक ब्याज दरों का वादा कर रही हैं. जैसे कोई कंपनी अगर दस फीसदी ब्याज का वादा कर रही है, तो सतर्क रहना चाहिए.यह पक्का कर लें कि ये कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हों. इनका रेगुलेशन अच्छा हो. एक ही कंपनी में सभी एफडी न कराएं. डाइवर्सिफिकेशन की रणनीति अपनाएं और लंबा लॉक-इन पीरियड का चुनाव न करें ..