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Similarly, only 5,72,634 new subscribers joined the scheme in May, down 22.8% from 7,41,270 in April, EPFO’s latest payroll data showed.
EPFO Covid-19 Advance Scheme: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने एक बार फिर सोमवार को 5 करोड़ से अधिक ईपीएफओ सब्सक्राइबर को अपने प्रोविडेंट फंड से पैसे निकालने की मंजूरी दी है. ईपीएफओ ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित हुए लोगों को आर्थिक सहारे के लिए यह फैसला लिया है. इस फैसले के मुताबिक जिन सब्सक्राइबर्स को पैसे की जरूरत है, वे अपने फंड से 3 महीने की सैलरी के बराबर पैसे निकाल सकते हैं और इसे वापस करने की जरूरत भी नहीं होगी.
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इस फंड से पैसे बहुत जरूरत होने पर ही निकालें जैसे कि कोई कर्ज चुकता करना हो या अपने क्रेडिट स्कोर को बनाए रखना हो या अन्य स्रोत की अनुपलब्धता की स्थिति में इमरजेंसी फंड के लिए. एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि अधिक रिटर्न के लालच में ईपीएफ खाते से निकासी कर इसे इक्विटी में नहीं इनवेस्ट किया जाना चाहिए.
पिछले साल मार्च में भी कोरोना महामारी के चलते आर्थिक तौर पर प्रभावित हुए लोगों को अपने पीएफ खाते से पैसे निकालने की मंजूरी दी गई थी. इसके तहत सब्सक्राइबर्स को तीन महीने के मूल वेतन और महंगाई भत्ता या खाते में जमा रकम का 75 फीसदी, जो भी कम हो, उतना निकालने की मंजूरी दी गई. सोमवार को ईपीएफओ ने एक बार फिर इसकी मंजूरी दे दी है. 31 मई 2021 तक ईपीएफओ ने 76.31 लाख कोविड-19 एडवांस क्लेम्स का निपटारा किया और 18698.15 करोड़ रुपये सब्सक्राइबर्स के बैंक खाते में भेजे हैं.
एफडी और अन्य छोटी बचत योजनाओं से अधिक दर पर ब्याज
ईपीएफ पर बैंक एफडी या छोटी बचत योजनाओं की तुलना में अधिक दर पर ब्याज मिलता है. वित्त वर्ष 2020-21 में ईपीएफ खाते में जमा राशि पर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा था जो कि टैक्स कटने के बाद की ब्याज आय और यह टैक्स कटने से पहले की 12.5 फीसदी आय के बराबर है जो 30 फीसदी की सबसे ऊंची टैक्स रेट स्लैब में आने वालों को होती. यह एक बहुत बड़ा कारण है कि अधिकतर लोग घर खरीदने, बच्चों की शिक्षा या उनकी शादी के अलावा अन्य किसी मौके पर पीएफ खाते से नहीं निकालते हैं.
इन परिस्थितियों में निकालें पैसे
- अगर मेडिकल एक्सपेंसेज या अन्य किसी स्थिति में पैसों की बहुत जरूरत आ पड़ी है और आपके सामने पर्सनल लोन या अन्य ऐसे विकल्प ही बच रहे हैं जिन पर महंगी दरों पर ब्याज चुकाना पड़ सकता है तो ऐसी परिस्थितियों में ईपीएफ खाते से पैसे निकालना सही रहेगा. ऐसी परिस्थिति में अतिरिक्त कर्ज लेकर खुद पर अधिक कर्ज लादकर आर्थिक बोझ नहीं बढ़ाना चाहिए, जब आय नहीं हो रही है अपने वर्तमान कर्जों को चुकता करने में दिक्कतें आ रही हैं.
- पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि ईपीएफ खाते से निकासी को डिफॉल्ट ऑप्शन नहीं बनाना चाहिए. इस खाते से तभी निकासी करनी चाहिए जब अन्य सभी विकल्प का प्रयोग कर चुके हों. प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के फाउंडर्स और सीईओ विशाल धवन ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में सुझाव दिया कि अगर एफडी, डेट म्यूचुअल फंड्स या अन्य प्रकार की छोटी बचत योजनाओं से पैसे की जरूरतें नहीं पूरी हुई हैं तो ही ईपीएफ खाते से निकासी करनी चाहिए.
- अगर किसी इंडिविजुअल को अपने वर्तमान कर्ज को चुकता करने में समस्या आ रही है और इसके भुगतान के लिए फंड को कोई अतिरिक्त सोर्स नहीं है तो विशेषज्ञों का मानना है कि ईपीएफ खाते से निकासी कर कर्ज के कुछ हिस्से को चुकता कर देना चाहिए ताकि क्रेडिट हिस्ट्री पर बुरा प्रभाव न पड़े. धवन के मुताबिक क्रेडिट हिस्ट्री से भविष्य में किसी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से कर्ज लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है.
- धवन के मुताबिक अगर ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज की दर से अधिक आप किसी कर्ज पर ब्याज चुका रहे हैं तो इसे पीएफ खाते से निकासी कर चुकता करना चाहिए.