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बच्चों की दुर्लभ बीमारियों के फंड से जुड़े मामले में केंद्र को दिल्ली हाई कोर्ट की फटकार
दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चों की दुर्लभ बीमारियों के फंड को खर्च करने में नाकाम रहने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि केंद्र ने 193 करोड़ रुपये के इस फंड को खर्च न करने में नाकाम रहने का कोई वाजिब स्पष्टीकरण नहीं दिया है. कोर्ट ने कहा कि वह फंड होने के बावजूद बच्चों को इस तरह मरने नहीं दे सकता.
कोर्ट ने कहा, सरकार ने फंड खर्च होने का कोई वाजिब कारण नहीं बताया
हाई कोर्ट ने इस मामले में अधिकारियों की खिंचाई करते हुए कहा कि इस गंभीर मामले का मजाक बना दिया गया. यह बेहद आश्चर्यजनक है कि फंड मौजूद होते हुए भी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित बच्चों पर खर्च नहीं किया गया. हाई कोर्ट की जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो शपथपत्र दाखिल किया है उसमें इसका पर्याप्त कारण नहीं बताया है कि बच्चों की दुर्लभ बीमारियों के लिए फंड होने के बावजूद इसे खर्च क्यों नहीं किया गया. हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार के शपथपत्र में इस बात का भी कोई वाजिब कारण नहीं बताया गया है कि जिन बच्चों की ओर से याचिका दायर की गई है उनका नाम डिजिटल क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर आज तक क्यों नहीं शामिल किया गया. यह प्लेटफॉर्म बच्चों की दुर्लभ बीमारियों की दवा और इलाज के लिए शुरू किया गया था.
अदालत ने सरकार के फंड लैप्स होने की दलील खारिज की
हाई कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह यह देखे कि याचिका दायर करने वाले बच्चों का इलाज इस फंड से संभव है कि नहीं. अगर ऐसा संभव है तो यह पैसा वह क्राउड फंडिंग से हासिल पैसे से एडजस्ट करे. कोर्ट ने एडिशनल सॉलिसीटर चेतन शर्मा को इस मुद्दे पर निर्देश लेने का आदेश दिया और मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को निर्धारित कर दी. हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को स्वीकार नहीं किया, जिसमें कहा गया था खर्च न हुआ फंड लैप्स हो गया है. कोर्ट ने कहा कि आखिर यह कैसा जवाब है. सुनवाई के दौरान आम जनता से बच्चों की दुर्लभ बीमारियों के इलाज के नाम पर इकट्ठा फंड के केरल हाई कोर्ट से ट्रांसफर का मामला भी उठा. केंद्र सरकार ने इस मसले पर दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि उसने इस मामले में केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.