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Sector Fund vs Thematic Funds: सेक्टर फंड्स और थीमैटिक फंड्स में क्या है अंतर? क्या है इनमें निवेश का नफा नुकसान?

सेक्टोरल फंड और थीमैटिक फंड दोनों ही ज्यादा जोखिम वाले निवेश हैं. इनमें पैसे लगाने से पहले इनसे जुड़े फायदे और नुकसान को समझना जरूरी है.

सेक्टोरल फंड और थीमैटिक फंड दोनों ही ज्यादा जोखिम वाले निवेश हैं. इनमें पैसे लगाने से पहले इनसे जुड़े फायदे और नुकसान को समझना जरूरी है.

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Shubham Thakur
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Sector Fund vs Thematic Funds

जब एक स्पेसिफिक सेक्टर में निवेश किया जाता है, तो उन्हें सेक्टोरल फंड कहा जाता है.

Sector Fund vs Thematic Funds: म्युचुअल फंड में जब एक स्पेसिफिक सेक्टर में निवेश किया जाता है, तो उन्हें सेक्टोरल फंड कहा जाता है. इसमें केवल उन बिजनेस में निवेश किया जाता है, जो किसी स्पेसिफिक सेक्टर या इंडस्ट्री में काम करते हैं. उदाहरण के लिए, सेक्टर फंड के तहत बैंकिंग, फार्मा, कंस्ट्रक्शन या एफएमसीजी समेत कई अन्य सेक्टरों में निवेश किया जाता है. दूसरी ओर, थीमैटिक फंड वे हैं जिसमें किसी पर्टिकुलर थीम के आधार पर शेयरों में निवेश किया जाता है. ऐसे फंडों द्वारा चुनी गई थीम रूरल कंजप्शन, कमोडिटी, डिफेंस जैसे सेक्टरों के इर्द-गिर्द घूम सकती है. उदाहरण के लिए, थीमैटिक फंड में रूरल कंजप्शन पर फोकस किया जा सकता है और इस थीम के तहत सभी सेक्टरों के फंड में निवेश किया जा सकता है. इन दोनों फंडों के बीच बड़ा अंतर यह है कि सेक्टोरल फंड केवल एक सेक्टर में निवेश करते हैं, जबकि थीमैटिक फंड कई सेक्टरों में निवेश करते हैं, जो एक कॉमन थीम पर आधारित होते हैं.

सेक्टोरल फंड क्या होते हैं

सेक्टोरल फंड केवल स्पेसिफिक सेक्टरों जैसे फार्मा, कंस्ट्रक्शन, एफएमसीजी में निवेश करने के लिए जाने जाते हैं. सेबी द्वारा निर्धारित गाइडलाइन्स के अनुसार, सेक्टोरल फंड में संपत्ति का कम से कम 80% हिस्सा स्पेसिफाइड सेक्टरों में निवेश करना जरूरी है. शेष 20% हिस्सा अन्य डेट या हाइब्रिड सिक्योरिटीज में आवंटित किया जा सकता है. सेक्टोरल फंड अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं. यह मार्केट कैपिटलाइजेशन, इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव और सिक्योरिटीज के सेट में अलग-अलग हो सकते हैं.

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इस फंड के तहत प्राकृतिक संसाधनों, उपयोगिताओं, रियल एस्टेट, वित्त, हेल्थ केयर, टेक्नोलॉजी, कन्यूनिकेशन जैसे कई सेक्टरों में निवेश किया जा सकता है. कुछ सेक्टर फंड बैंकिंग जैसी सब-कैटेगरी पर भी फोकस करते हैं. सेक्टर फंड आदर्श रूप से एक्टिव और एजुकेटेड निवेशकों के लिए होते हैं जो अक्सर कई सेक्टरों की मैक्रो-इकोनॉमिक सिचुएशन का विश्लेषण करते हैं.

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थीमैटिक फंड क्या हैं

थीमैटिक फंड वे होते हैं जो किसी खास थीम के आधार पर शेयरों में निवेश करते हैं. ये फंड उन सेक्टरों में निवेश करते हैं जो एक स्पेसिफिक थीम का पालन करते हैं. सेबी के गाइडलाइन्स के अनुसार, थीमैटिक फंडों को अपनी संपत्ति का 80% किसी पर्टिकुलर थीम के शेयरों में, अलग-अलग सेक्टरों में निवेश करना होता है. स्टॉक और पोर्टफोलियो कंस्ट्रक्शन की संख्या के संदर्भ में, थीमैटिक फंड इक्विटी स्कीम्स के समान ही डायवर्सिफाइड हैं. थीमैटिक फंड अलग-अलग थीम जैसे मल्टी-सेक्टर, इंटरनेशनल एक्सपोजर, एक्सपोर्ट ओरिएंटेड, रूरल इंडिया समेत कई सेक्टरों में निवेश करते हैं. इन फंडों को डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड या लार्ज कैप इक्विटी फंड की तुलना में जोखिम भरा माना जाता है.

थीमैटिक फंड के निवेशकों को स्कीम में एंट्री करने और बाहर निकलने के लिए कम से कम 5 साल का समय लेना चाहिए और फंड को सकारात्मक प्रदर्शन करने देना चाहिए. यह सुझाव दिया जाता है कि केवल मध्यम रूप से उच्च जोखिम लेने की क्षमता वाले निवेशकों को थीमैटिक फंड में निवेश करने पर विचार करना चाहिए.

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सेक्टोरल फंड और थीमैटिक फंड में क्या है अंतर

  • सेक्टोरल फंड में स्पेसिफिक सेक्टर में निवेश किया जाता है, जबकि थीमैटिक फंड में थीम के आधार पर अलग-अलग कई सेक्टरों में निवेश किया जाता है.
  • सेक्टोरल फंड में रिस्क काफी ज्यादा होता है, जबकि थीमैटिक फंड में रिस्क मध्यम से लेकर काफी ज्यादा भी हो सकता है.
  • रिटर्न की बात करें तो दोनों ही फंड में रिटर्न काफी ज्यादा मिल सकता है.
  • वोलैटिलिटी की बात करें तो सेक्टोरल फंड के साथ ही थीमैटिक फंड में भी उतार-चढ़ाव काफी ज्यादा होता है.
  • एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेक्टोरल फंड में 3 से 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए, वहीं थीमैटिक फंड में 5 से 7 साल के लिए निवेश किया जाना चाहिए.
  • सेक्टोरल फंड में किसी भी तरह का डायवर्सिफिकेशन ऑफर नहीं किया जाता, जबकि थीमैटिक फंड में सेक्टरों के बीच डायवर्सिफिकेशन किया जाता है.
  • एक्सपर्ट्स का मानना है कि स्पेसिफिक सेक्टरों की अच्छी जानकारी रखने वालों को सेक्टोरल फंड में निवेश करना चाहिए. वहीं, थीम की अच्छी जानकारी रखने वाले निवेशकों को थीमैटिक फंड में निवेश करना चाहिए.
  • एसेट एलोकेशन की बात करें तो सेक्टोरल फंड में स्पेसिफिक सेक्टर में एसेट का 80 फीसदी हिस्सा एलोकेट करना होता है. वहीं, थीमैटिक फंडों को अपनी संपत्ति का 80% किसी पर्टिकुलर थीम के शेयरों में, अलग-अलग सेक्टरों में निवेश करना होता है.

इन बातों का ध्यान रखना है जरूरी

  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि निवेश विकल्प के रूप में सेक्टोरल फंड और थीमैटिक फंड दोनों ही अत्यधिक जोखिम वाले फंड हैं.
  • एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि वोलैटिलिटी के स्तर को देखते हुए, इनमें से प्रत्येक फंड आपके पोर्टफोलियो के 5-10% से अधिक नहीं होना चाहिए.
  • निवेश करते समय, आपको अपने पोर्टफोलियो को कई लार्ज कैप और मिड कैप फंडों में डायवर्सिफाइड रखना चाहिए.
  • चूंकि ये दोनों फंड सेक्टर के प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं, इस बात की संभावना काफी ज्यादा है कि तेजी और मंदी दोनों बाजारों में आपके पोर्टफोलियो को उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा.
  • सेक्टोरल और थीमैटिक फंड में निवेश केवल उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो एक्टिव हैं और बाजार व मैक्रो- इकनॉमिक कंडीशन की स्पष्ट समझ रखते हैं.

(इनपुट - पैसाबाजारडॉटकॉम)

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