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Shares in Haleon - GSK's recently spun off consumer health unit - fell as much as 12 percent on Thursday. (File)
Stock Market Listed Companies: हाल ही में वेदांता लिमिटेड, NMDC और Sanofi India जैसी कंपनियों ने डिविडेंड देने का फैसला किया है. आमतौर पर डिविडेंड वे कंपनियां देती हैं, जो मुनाफा कमा रही होती हैं. डिविडेंड उन कंपनियों के आय का कुछ हिस्सा है, जिसे शेयरधारकों में बांटा जाता है. डिविडेंड देने का फैसला कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा किया जाता है. कंपनियां डिविडेंड ही नहीं बल्कि समय समय पर ऐसे कुछ फैसले लेती रहती हैं, जिसका असर शेयर ही नहीं शेयरधारकों पर भी होता है. जैसे डिविडेंड (Dividend) देने का फैसला, राइट्स इश्यू लाने या शेयर बाय बैक का फैसला. इन फैसलों के आधार पर आप कंपनी के शेयर बेचने और खरीदने का निर्णय भी कर सकते हैं.
Dividend
डिविडेंड देने का फैसला कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा किया जाता है. बोर्ड ही यह तय करता है कि निवेशकों को कितना डिविडेंड देना है. आमतौर पर डिविडेंड वे कंपनियां देती हैं जो मुनाफा कमा रही होती हैं. वे अपने आय का एक हिस्सा निवेशकों को डिविडेंड के रूप में देती हैं. अगर कोई कंपनी डिविडेंड देने का एलान करती है तो उसे लेकर सेंटीमेंट बेहतर बनते हैं. माना जाता है कि कंपनी के पास पर्याप्त कैश आ रहा है. यह निवेशकों के अतिरिक्त आय कमाने का भी अच्छा जरिया है. मान लिया आपके पास कंपनी के 1000 शेयर हैं और 10 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड मिलता है तो आपको शेयर में ग्रोथ के अलावा 10,000 रुपये का अतरिक्त फायदा होगा.
Rights Issue
शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां फंड जुटाने के लिए राइट्स इश्यू लाती हैं. राइट्स इश्यू के तहत कंपनी के ही शेयरधारक एक तय अनुपात में शेयर खरीद सकते हैं. अगर कंपनी ने राइट्स इश्यू के लिए 1:4 का अनुपात तय किया है तो शेयरधारक अपने पास पहले से मौजूद 4 शेयर पर एक अतिरिक्त शेयर खरीद सकता है. फंड का इस्तेमाल कंपनियां कारोबार के विस्तार या कर्ज की भरपाई के लिए करती हैं. राइट्स इश्यू से कंपनी का इक्विटी बेस बढ़ जाता है, स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी के शेयरों की लिक्विडिटी बढ़ जाती है. राइट्स इश्यू के जरिए शेयर खरीदने पर कंपनियां अपने शेयरधारकों को डिस्काउंट भी देती हैं.
Share Buyback
शेयर बाय बैक वह प्रक्रिया है, जिसमें कंपनियां अपने शेयर वापस बाजार से खरीदती हैं. इस तरह कंपनी खुद में ही री-इन्वेस्ट करती है. शेयर बायबैक बाजार भाव से ज्यादा पर किया जाता है तो निवेयाकों के पास मुनाफा कमाने का मौका होता है. वहीं इसके बाद बाजार में शेयरों की संख्या कम हो जाती है तो हर शेयरहोल्डर का मालिकाना हक तुलनात्मक आधार पर कुछ बढ़ जाता है. जब कभी कंपनी को लगता है कि उसके पास अधिक पूंजी है तो वह बायबैक करती है.
Bonus Issue
बोनस इश्यू एक तरह का स्टॉक डिविडेंड है जो कंपनी अपने शेयरधारकों को देती है. इसमें कंपनी डिविडेंड की तरह पैसे नहीं बल्कि शेयर देती है. बोनस शेयर इस आधार पर मुफ्त में दिए जाते हैं कि उनके पास कंपनी के कितने शेयर मौजूद हैं. बोनस शेयर आमतौर पर एक खास रेश्यो में जारी किए जाते हैं, मसलन 1:1, 2:1, 3:1. अगर अनुपात 2:1 है तो शेयरधारक को हर एक शेयर के बदले में दो और शेयर मिलते हैं. उसके पास शेयर तो बढ़ जाते हैं लेकिन उसकी निवेश की कीमत नहीं बढ़ती है.
Stock Split
कंपनियां Stock Split का भी फैसला लेती हैं. Stock Split शेयर के फेस वैल्यू से जुड़ी होती है. मान लीजिए शेयर की फेस वैल्यू 10 रुपये है और 1:2 के अनुपात में शेयर स्प्लिट होता है. इससे शेयर की फेस वैल्यू 5 रुपये हो जाएगी और अगर आपके पास 100 शेयर था तो अब आपके पास 200 शेयर हो जाएंगे.