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FD vs RD: आरडी या एफडी को लेकर हो रही उलझन, इस तरह समझें किसमें निवेश बेहतर

FD vs RD: अपनी पूंजी को निवेश करने के लिए बाजार में कई विकल्प उपलब्ध हैं लेकिन किसी भी शख्स को अपनी जरूरतों के मुताबिक बेहतर विकल्प का चयन कर उसमें निवेश करना चाहिए.

FD vs RD: अपनी पूंजी को निवेश करने के लिए बाजार में कई विकल्प उपलब्ध हैं लेकिन किसी भी शख्स को अपनी जरूरतों के मुताबिक बेहतर विकल्प का चयन कर उसमें निवेश करना चाहिए.

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FE Online
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अधिकतर लोग आरडी व एफडी में निवेश को प्रॉयोरिटी देते हैं क्योंकि इस पर बाजार के उतार-चढ़ाव का फर्क नहीं पड़ता है और एक निश्चित रिटर्न मिलता है.

FD vs RD: अपनी पूंजी को निवेश करने के लिए बाजार में कई विकल्प उपलब्ध हैं. हालांकि कहीं भी निवेश करने के पहले किसी भी शख्स को सभी उपलब्ध विकल्पों का अध्ययन करना चाहिए और उनकी तुलना करनी चाहिए. इसके बाद अपनी जरूरतों के मुताबिक बेहतर विकल्प का चयन कर उसमें निवेश करना चाहिए. देश में टर्म डिपॉजिट्स बहुत प्रचलित है और अधिकतर लोग आरडी व एफडी में निवेश को प्रॉयोरिटी देते हैं क्योंकि इस पर बाजार के उतार-चढ़ाव का फर्क नहीं पड़ता है और एक निश्चित रिटर्न मिलता है.

फिक्स्ड डिपॉजिट और रिकरिंग डिपॉजिट दोनों ही किसी बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस में शुरू किए जा सकते हैं. इन खातों को खोलने के समय ही टेन्योर निर्धारित हो जाता है.

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FD vs RD की खास बातें

  • निवेश राशि: अगर किसी शख्स के पास एकमुश्त राशि है तो वह फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश कर सकता है. वहीं दूसरी तरफ अगर कोई शख्स एकमुश्त राशि का इंतजाम नहीं कर सकता है और वह एक निश्चित समय पर एक तय राशि जमा करने में सक्षम है तो उसके लिए आरडी का विकल्प बेहतर है. ऐसे में आरडी सैलरीड लोगों और कम आय वाले लोगों के लिए बेहतर विकल्प है.
  • अवधि: एफडी का टेन्योर 7 दिनों से लेकर 10 साल तक का हो सकता है और इंडिविजुअल अपनी जरूरत के मुताबिक टेन्योर चुन सकता है. आरडी के मामले में सबसे कम टेन्योर 6 माह का है और अधिकतम 10 साल तक के लिए आरडी खाता खुलवा सकता है.
  • ब्याज राशि: मेच्योरिटी के समय एफडी पर जो ब्याज मिलता है, वह आरडी पर मिले ब्याज से अधिक होता है.
  • ब्याज: एफडी पर ब्याज तिमाही या मासिक आधार पर या मेच्योरिटी पर क्रेडिट होती है जबकि एफडी में ब्याज मेच्योरिटी के समय मिलती है.
  • लोन सुविधा: इस मामले में एफडी और आरडी एक समान ही हैं. कोई भी शख्स पैसों की आकस्मिक जरूरत आने पर एफडी या आरडी खाते में जमा राशि के 90 फीसदी तक का लोन इसके अगेंस्ट ले सकता है.
  • डिफॉल्ट क्लॉज: एफडी इंवेस्टमेंट के मामले में कोई भी शख्स कभी डिफॉल्ट नहीं हो सकता है क्योंकि इसमें एकमुश्त रकम शुरू में ही जमा की जा चुकी है. वहीं दूसरी तरफ आरडी खाते में अगर लगातार छह महीने तक किश्तों का भुगतान नहीं किया गया तो बैंक के पास ऐसे आरडी खाते को बंद करने का अधिकार है.

    नोट: यहां दी गई जानकारी सिर्फ सूचना के लिए है और निवेश को लेकर कोई भी फैसला लेने से पहले अपने सलाहकार से जरूर विमर्श कर लें.

    (स्रोत: एचडीएफसी बैंक)