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हायर एजुकेशन के लिए एजुकेशन लोन का विकल्प बेहतर .
हायर एजुकेशन लगातार महंगी हो रही है. देश हो या विदेश एजुकेशन सेक्टर में पढ़ाई के नए ऑप्शन खुलने के साथ ही शिक्षा हासिल करने की लागत भी बढ़ रही है.ऐसे में पैरेंट्स अपनी जमा-पूंजी खर्च बच्चों की पढ़ाई में लगा दे रहे हैं. लेकिन बच्चों की शिक्षा पर पर अपनी पूरी जमा-पूंजी झोंक देने से अच्छा है कि एजुकेशन लोन लिया जाए. इसके कई फायदे हैं.
सस्ते एजुकेशन लोन का फायदा
देश में एजुकेशन लोन ( Education Loan) की दरें सस्ती हैं. इसलिए हायर एजुकेशन के लिए इसका फायदा उठाया जाना चाहिए. सस्ते एजुकेशन लोन का फायदा यह है कि पैरेंट्स इसे चुकाने के बजाय अपना पैसा उन इंस्ट्रूमेंट्स में लगाएंगे,जहां ज्यादा रिटर्न मिल रहा है ताकि वे अपने वित्तीय लक्ष्य पूरे कर सकें. विशेषज्ञों का कहना है कि हायर एजुकेशन के लिए सेल्फ फाइनेंसिंग और बैंक फाइनेंसिंग में संतुलन होना चाहिए
दोहरा टैक्स लाभ
सेंट्रल सेक्टर सब्सिडी के तहत लोन आवेदक को सेक्शन 80 E के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. लोन के लिए आवेदक या सह आवेदक को यह छूट आठ साल तक मिलती है. विदेश में बच्चों को पढ़ाने पर TCS ( Tax Collection at source) घट जाता है. अगर पढ़ाई के मद में एक वित्त वर्ष में सात लाख रुपये से ज्यादा की विदेशी मुद्रा का ट्रांजेक्शन होता है तो एजुकेशन लोन के बगैर भी टीसीएस 5 फीसदी रहेगा. यहां तक कि स्टूडेंट अगर विदेश में पढ़ाई के लिए लोन ले रहा है तो TCS 0.5 फीसदी होगा. हालांकि लोन एक वित्त वर्ष में 7 लाख रुपये से ज्यादा होना चाहिए.
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मोरेटोरियम का फायदा
एजुकेशन लोने वाले स्टूडेंट्स को मोरेटोरियम पीरियड का लाभ मिलता है. यानी उसे मोरेटोरियम पीरियड ( Moratorium Period) में लोन नहीं चुकाना पड़ता है. पढ़ाई के दौरान बैंक साधारण ब्याज लेता है. यह रकम बाद में ईएमआई में एडस्टज की जाती है. इससे बाद में लोन चुकाने के वक्त ईएमआई कम हो जाती है. यह प्रोसेस लोन लेने वाले का बोझ कम कर देती है क्योंकि उसे पढ़ाई के दौरान लोन नहीं चुकाना पड़ता है. जबकि पर्सनल लोन में मोरेटोरियम पीरियड नहीं होता है.आप जब से लोन लेते हैं तभी से इसे चुकाना होता है.