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समान निवेश की राशि और CAGR के बावजूद, सिर्फ टाइम बदल सकता है आपको मिलने वाली रिटर्न की राशि
हर निवेशक अपने पूंजी पर कई गुना मुनाफा कमाना चाहता है. ज्यादा से ज्यादा रिटर्न पाने का ये सपना पूरा करना बिलकुल मुमकिन है, बशर्ते आप नियमित निवेश करें और अपनी पूंजी को बढ़ने के लिए पूरा वक्त दें. ऐसा करने पर ही आप देख पाएंगे कंपाउंडिंग का कमाल. युवा निवेशक इस स्ट्रैटेजी का सबसे बेहतर ढंग से फायदा उठा सकते हैं, क्योंकि उनके पास अपनी पूंजी को कई गुना बढ़ते हुए देखने के लिए पर्याप्त समय होता है. इसके साथ ही युवा निवेशक बाजार के जोखिम का सामना भी बेहतर ढंग से कर सकते हैं.
इसे हम इस उदाहरण के जरिए और बेहतर ढंग से समझ सकते हैं : युवा निवेशक राहुल 20 साल की उम्र में निवेश करना शुरू करता है. वो एक इक्विटी म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए हर महीने 10,000 रुपये का निवेश करता है. राहुल ये निवेश 60 साल की उम्र तक जारी रखता है. यानी वो कुल 40 साल तक हर महीने 10 हजार रुपये का नियमित निवेश एसआईपी में करता है.
दूसरी तरफ पंकज है, जो 40 साल की उम्र में एसआईपी के जरिए उसी इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना शुरू करता है, जिसमें राहुल करता है. लेकिन निवेश की शुरुआत देर से करने की वजह से पंकज हर महीने एसआईपी में 20,000 रुपये डालता है. वह भी 60 साल की उम्र तक निवेश करता है. यानी उसके निवेश की कुल अवधि 20 साल हुई.
इस उदाहरण में राहुल और पंकज, दोनों के ही निवेश की कुल राशि 48 लाख रुपये होगी. लेकिन दोनों को मिलने वाले रिटर्न में जमीन-आसमान का अंतर होगा. आइए समझते हैं कि ये कैसे होगा. समझने में आसानी के लिए मान लेते हैं कि राहुल और पंकज - दोनों को ही अपने निवेश पर औसतन 12 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से रिटर्न मिलता है. लेकिन राहुल को ये रिटर्न 40 साल तक मिलेगा और पंकज को 20 साल तक. समय का यही फर्क दोनों को मिलने वाले रिटर्न में जमीन-आसमान का अंतर ला देगा. दोनों जब 60 साल के होंगे तो राहुल को मिलेगा करीब 9.79 करोड़ रुपये का फंड, जबकि पंकज के फंड में जमा हुए होंगे करीब 1.84 करोड़ रुपये. यानी दोनों का निवेश भले ही बराबर हो, लेकिन पंकज के मुकाबले राहुल को मिलेगी पांच गुने से भी ज्यादा रकम. हमारे उदाहरण में निवेश की गई रकम और रेट ऑफ रिटर्न बराबर है, लेकिन सिर्फ समय के फर्क ने सारी तस्वीर बदल दी है.
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कंपाउंडिंग का ये कमाल रेट ऑफ रिटर्न में मामूली बदलाव होने पर भी दिखाई देता है. मिसाल के तौर पर अगर CAGR को 12 फीसदी की जगह 15 प्रतिशत कर दें, तो निवेश की अवधि खत्म होने पर राहुल का फंड 23 करोड़ रुपये से ज्यादा हो जाएगा, जबकि पंकज का फंड करीब 2.65 करोड़ रुपये का होगा. यानी ऐसा होने पर 48 लाख रुपये का एक बराबर निवेश करने वाले राहुल को पंकज के मुकाबले 20 करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे. ये है कंपांडिंग का वो चमत्कार, जिसकी वजह से अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक ने चक्रवृद्धि ब्याज को "दुनिया का आठवां आश्चर्य" कहा था!
(Article: Amitava Chakrabarty)