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सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स बेनेफिट्स मिलता है. इसके तहत कई विकल्पों में निवेश कर टैक्स बचाया जा सकता है लेकिन इसमें एक विकल्प ईएलएसएस का भी है धीरे-धीरे तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है.
ELSS vs Other 80C Investments: नए वित्त वर्ष 2022-23 का पहला महीना चल रहा है लेकिन चूंकि टैक्स बचाने की कसरत पूरे साल चलने वाली प्रक्रिया है तो अभी से इस पर फोकस करना बेहतर है ताकि अंतिम समय में हड़बड़ी के चलते गलतियों से बच सकें. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स बेनेफिट्स मिलता है. इसके तहत कई विकल्पों में निवेश कर टैक्स बचाया जा सकता है लेकिन इसमें एक विकल्प ईएलएसएस (ELSS) का भी है धीरे-धीरे तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है. यह इकलौता ऐसा म्यूचुअअल फंड है जिस पर टैक्स बेनेफिट्स मिलता है, हालांकि सेक्शन 80सी में उपलब्ध विकल्पों में इसके लोकप्रिय होने की सबसे बड़ी वजह इसका सबसे छोटा लॉक इन पीरियड है.
क्यों है ELSS लोकप्रिय
- सेक्शन 80सी के तहत उपलब्ध सभी विकल्पों में सबसे छोटा लॉक इन पीरियड ईएलएसएस का है. इसमें सिर्फ तीन साल का लॉक इन पीरियड होता है यानी कि तीन साल के बाद बिना किसी चार्ज के अपने पैसे निकाल सकते हैं. अन्य विकल्पों की बात करें तो कम से कम पांच साल का लॉक इन पीरियड है और पीपीएफ का तो 15 साल लॉक इन पीरियड है.
- इसके तहत निवेश किए गए पैसों को पेशेवर तरीके से मैनेज किया जाता है जिससे इसमें अधिक रिटर्न की गुंजाइश बढ़ती है. फंड मैनेजर अधिक से अधिक रिटर्न के लिए पेशेवर तरीके से इसे मैनेज करते हैं.
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- यह इकलौता ऐसा म्यूचुअल फंड है जिसमें टैक्स डिडक्शन मिलता है और एक साल में 46800 रुपये तक का टैक्स बचा सकते हैं. हालांकि ईएलएसएस के तहत सेक्शन 80सी की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये से भी अधिक जमा कर सकते हैं लेकिन टैक्स बेनेफिट्स सिर्फ 1.5 लाख रुपये तक की जमा पर मिलता है. इसके अलावा इसमें डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स और कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होता है. 1 लाख रुपये से अधिक के लांग टर्म कैपिटल गेन पर 10 फीसदी की दर से टैक्स (सरचार्ज और सेस अतिरिक्त) और डिविडेंड को ओवरऑल इनकम में जोड़कर स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स देय होता है.
- रिटर्न टैक्सेबल होने के बावजूद ईएलएसएस पीपीएफ और यूलिप की तुलना में अधिक लोकप्रिय इसलिए हो रहा है क्योंकि इसमें टैक्स काटने के बाद भीी रिटर्न अधिक होता है. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 10 साल से अधिक के ईएलएसएस ने अब तक 12 फीसदी से ऊपर का रिटर्न दिया है जबकि इसकी तुलना में पीपीएफ ने 8 फीसदी का रिटर्न दिया है. हालांकि पीपीएफ की मौजूदा दर अब और कम हो गई है, 7.1 फीसदी.
- ईएलएसएस की एक खास बात फ्लेक्सिबिलिटी भी है. मान लेते हैं कि आपने बीमा कंपनी से सीधे यूलिप प्लान लिया हुआ है जो लंबे समय में ईएलएसएस के बराबर रिटर्न दे रहा है तो भी यह ईएलएसएस से एक मामले में मात खा जाता है. अगर आप अपने ईएलएसएस फंड से खुश नहीं हैं तो आप किसी और फंड में शिफ्ट हो सकते हैं जबकि इसके विपरीत यूलिप के मामले में आप सिर्फ समान यूलिप द्वारा ऑफर किए जाने वाले फंड में शिफ्ट हो सकते हैं.