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ELSS vs PPF: ELSS और PPF में टैक्स बचाने के लिए कौन है बेहतर? किसमें रहती है अधिक रिटर्न की गुंजाइश?

ELSS vs PPF: सेक्शन 80सी के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक निवेश पर ही टैक्स बचा सकते हैं. अब इसमें सबसे बेहतर विकल्प की बात करें तो इसका फैसला सभी विकल्पों की खूबियों और खामियों यानी रिस्क के आधार पर ही लिया जा सकता है.

ELSS vs PPF: सेक्शन 80सी के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक निवेश पर ही टैक्स बचा सकते हैं. अब इसमें सबसे बेहतर विकल्प की बात करें तो इसका फैसला सभी विकल्पों की खूबियों और खामियों यानी रिस्क के आधार पर ही लिया जा सकता है.

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ELSS vs PPF investment tips know here which is better among section 80c tax saving instruments

नया वित्त वर्ष 2023-22 अभी शुरू ही हुआ है और इसका पहला महीना चल रहा है लेकिन टैक्स बचाने के लिए अभी से कसरत शुरू कर देनी चाहिए.

ELSS vs PPF: टैक्स बचाने के लिए टैक्सपेयर्स के पास निवेश के कई विकल्प होते हैं. इसमें सेक्शन 80सी के तहत ईएलएसएस, पीपीएफ और एफडी समेत कई इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर टैक्स डिडक्शन का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि इन सभी विकल्पों में निवेश की शर्तें होती हैं जैसे कि सेक्शन 80सी के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक निवेश पर ही टैक्स बचा सकते हैं और इसके अलावा लॉक इन पीरियड भी होता है.

अब इसमें सबसे बेहतर विकल्प की बात करें तो इसका फैसला सभी विकल्पों की खूबियों और खामियों यानी रिस्क के आधार पर ही लिया जा सकता है लेकिन सबसे कम लॉक इन पीरियड के चलते ईएलएसएस तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. आम टैक्सपेयर्स को पीपीएफ और ईएलएसएस, दोनों में कौन बेहतर है, इसे लेकर उलझन होती है तो आइए देखते हैं कि अपने पैसे को किस विकल्प में लगाना बेहतर है.

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ELSS vs PPF

  • रिस्क: पीपीएफ भारत सरकार की योजना है तो इसमें निवेश सुरक्षित है लेकिन ईएलएसएस इक्विटी से जुड़ी हुई निवेश योजना है तो ऐसे में इसमें निवेश पर मार्केट रिस्क है.
  • रिटर्न: पीपीएफ निवेश पर ब्याज की दर हर साल सरकार तय करती है और अभी इसकी दर 7.1 फीसदी है. वहीं ईएलएसएस मार्केट से जुड़ी हुई योजना है जिसमें रिटर्न स्कीम पर निर्भर करेगी. हालांकि ईएलएसएस में आमतौर पर 12-14 फीसदी का रिटर्न पा सकते हैं.
  • लॉक-इन पीरियड: पीपीएफ में 15 साल का 15 लॉक-इन पीरियड होता है. हालांकि 5 साल के बाद आंशिक निकासी भी की जा सकती है. वहीं दूसरी तरफ ईएलएसएस में 3 साल का लॉक-इन पीरियड है.

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  • टैक्स बेनेफिट्स: पीपीएफ में निवेश पर तिहरा टैक्स बेनेफिट मिलता है यानी कि इसमें निवेश किए गए पैसे पर टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है तो ब्याज व मेच्योरिटी राशि पर भी टैक्स बेनेफिट्स मिलता है. इसके विपरीत ईएलएसएस में निवेश पर एक लाख रुपये से अधिक का मुनाफा मिलता है तो 10 फीसदी की दर से एलटीसीजी (लांग टर्म कैपिटल गेन्स) टैक्स देय होगा.
  • टेन्योर: पीपीएफ में निवेश पीरियड 15 साल का होता है और इसके बाद इसे 5 साल के ब्लॉक में बढ़ाया जा सकता है. वहीं दूसरी तरफ ईएलएसएस में ऐसा कोई अपर टाइम लिमिट नहीं है.
  • कितना कर सकते हैं निवेश: पीपीएफ में एक वित्त वर्ष में एकमुश्त या अधिकतम 12 किश्तों में 500-1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. वहीं ईएलएसएस में कितनी भी राशि निवेश कर सकते हैं लेकिन एक वित्त वर्ष में टैक्स बेनेफिट्स सिर्फ सेक्शन 80सी की लिमिट तक ही मिलेगी.

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साल भर की कसरत है टैक्स सेविंग एक्सरसाइज

नया वित्त वर्ष 2023-22 अभी शुरू ही हुआ है और इसका पहला महीना चल रहा है लेकिन टैक्स बचाने के लिए अभी से कसरत शुरू कर देनी चाहिए. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि अंतिम समय में हड़बड़ी के चलते गलत फैसले हो जाते हैं जिससे वित्तीय हित प्रभावित हो सकते हैं.

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