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EPFO New Rule: ईपीएफओ के नए आदेश से पीएफ ट्रांसफर हुआ आसान, सिर्फ सर्विस पीरियड ओवरलैप से रिजेक्ट नहीं होगा एप्लीकेशन

EPFO New Circular : प्रॉविडेंट फंड के ऐसे ट्रांसफर एप्लिकेशन अब सिर्फ इस आधार पर रिजेक्ट नहीं किए जाएंगे कि पिछली और अगली नौकरी के सर्विस पीरियड में ओवरलैपिंग है.

EPFO New Circular : प्रॉविडेंट फंड के ऐसे ट्रांसफर एप्लिकेशन अब सिर्फ इस आधार पर रिजेक्ट नहीं किए जाएंगे कि पिछली और अगली नौकरी के सर्विस पीरियड में ओवरलैपिंग है.

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Viplav Rahi
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EPFO ने पीएफ ट्रांसफर की प्रक्रिया को पहले से ज्यादा आसान बना दिया है. (Image: X/@socialepfo)

EPFO New Circular on PF Transfer Claims : ईपीएफओ (EPFO) ने कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए पीएफ ट्रांसफर (EPF Transfer) की प्रक्रिया को पहले से ज्यादा आसान बना दिया है. अब ऐसे ट्रांसफर एप्लिकेशन सिर्फ इस आधार पर रिजेक्ट नहीं किए जा सकेंगे कि पिछली और अगली नौकरी के सर्विस पीरियड में कोई मामूली ओवरलैपिंग हो रही है. यानी दोनों नौकरियों के सर्विस पीरियड में ओवरलैप की वजह से पीएफ ट्रांसफर का क्लेम अपने आप रिजेक्ट नहीं किया जाएगा. ईपीएफओ ने इस संबंध में 20 मई 2025 को नया सर्कुलर जारी किया है, जिससे हजारों कर्मचारियों को फायदा होगा.

क्या होता है पीएफ ट्रांसफर क्लेम?

जब कोई कर्मचारी नौकरी बदलता है, तो वह अपने पुराने एंप्लॉयर के ईपीएफ खाते से नए एंप्लॉयर के ईपीएफ खाते में बैलेंस ट्रांसफर कर सकता है. इसी प्रक्रिया को ट्रांसफर क्लेम कहा जाता है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि पुराने और नए एंप्लॉयर की सर्विस डेट्स ओवरलैप हो जाती हैं, जिससे ट्रांसफर क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाता है.

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ओवरलैपिंग तारीखें अब नहीं बनेंगी अड़चन

ईपीएफओ ने साफ किया है कि अब ट्रांसफर क्लेम को सिर्फ इसलिए रिजेक्ट नहीं किया जाएगा क्योंकि दो कंपनियों की सर्विस डेट्स में ओवरलैप है. ईपीएफओ ने कहा है कि “ओवरलैपिंग सेवा के कारण ट्रांसफर क्लेम को सीधे रिजेक्ट नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह कई बार जेनुइन यानी सही कारणों से भी हो सकता है.”

क्लेम रिजेक्शन पर रोक, जांच के बाद ही मांगी जाएगी सफाई

नए सर्कुलर के मुताबिक, अगर किसी ट्रांसफर क्लेम में ओवरलैपिंग डेट्स मिलती हैं तो संबंधित क्षेत्रीय ऑफिस को उस क्लेम को रिजेक्ट नहीं करना है. ऐसे मामलों में केवल तब ही सफाई मांगी जाएगी जब असल में ऐसा करने की जरूरत हो. सर्कुलर में कहा गया है कि “ट्रांसफर ऑफिस को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे बिना क्लेम लौटाए या रिजेक्ट किए, प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं और केवल जरूरी मामलों में ही स्पष्टीकरण लें.”

नए सर्कुलर में क्या लिखा है 

ईपीएफओ के 20 मई 2025 के सर्कुलर में लिखा है, “यह देखा जा रहा है कि क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा ट्रांसफर क्लेम  के अनुरोधों को सर्विस पीरियड में ओवरलैप (एक ही समय में दो सेवाएं दर्ज होने) की समस्या के कारण खारिज किया जा रहा है. हालांकि सेवाओं में ओवरलैपिंग वास्तविक कारणों से भी हो सकती है, इसलिए इसे ट्रांसफर को रोकने का आधार नहीं माना जाना चाहिए….इसलिए, अगर सर्विस पीरियड ओवरलैप कर भी रहे हों, तब भी ट्रांसफर क्लेम अनुरोधों को ट्रांसफर करने वाले (सोर्स) ऑफिस द्वारा प्रोसेस किया जाना अनिवार्य है, इन्हें बिना प्रोसेस किए लौटाया या रिजेक्ट नहीं किया जाना चाहिए. केवल उन्हीं मामलों में, जहां वास्तव में ओवरलैपिंग की स्थिति को समझना जरूरी हो, क्लेम को आवश्यक जानकारी मिलने के बाद आगे बढ़ाया जाना चाहिए.”

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जांच की जिम्मेदारी ट्रांसफर ऑफिस पर

सर्कुलर में पुराने निर्देशों को दोहराते हुए कहा गया है कि ट्रांसफर करने वाले (source) ऑफिस की जिम्मेदारी है कि वह सभी डिटेल्स की जांच कर यह पक्का करें कि ट्रांसफर में कोई गलती न हो. साथ ही, पेंशन डिवीजन ने उन कर्मचारियों के लिए गाइडलाइन भी दी है जिनके पास एक से अधिक पीएफ खाता नंबर हैं, ताकि उन्हें ईपीएस (पेंशन योजना) का लाभ मिल सके.

EPFO का यह कदम कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. अब ओवरलैपिंग डेट्स जैसी तकनीकी वजहों से पीएफ ट्रांसफर क्लेम रिजेक्ट नहीं होगा, जिससे नौकरी बदलने वालों की परेशानियां कम होंगी. इससे ट्रांसफर प्रक्रिया न केवल तेज़ और आसान होगी, बल्कि पारदर्शिता और भरोसे का माहौल भी बनेगा.

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