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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने छह करोड़ से ज्यादा मेंबर्स को 2019-20 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) पर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान शुरू कर दिया है.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने गुरुवार को छह करोड़ से ज्यादा मेंबर्स को 2019-20 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) पर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान शुरू कर दिया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईपीएफओ के ज्यादातर सदस्य 2019-20 के लिए 8.5 फीसदी ब्याज दर के साथ अपने अपडेटेड ईपीएफ खातों को देख सकेंगे. अधिकारी ने आगे बताया कि श्रम मंत्रालय ने 2019-20 के लिए ईपीएफ पर 8.5 फीसदी ब्याज देने का निर्देश पहले ही ईपीएफओ को भेज दिया था और संस्था ने पिछले वित्त वर्ष के लिए खाताधारकों के खातों में ब्याज जमा करना शुरू कर दिया है.
खातों में ब्याज दर को जमा करने की प्रक्रिया शुरू
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि उन्होंने कहा था कि 2019-20 के लिए ईपीएफ पर 8.5 फीसदी की दर से ब्याज देने की वे कोशिश करेंगे. उन्होंने 2019-20 के लिए ईपीएफ पर 8.5 फीसदी का ब्याज देने के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया है. उन्होंने सब्सक्राइबर्स के खातों में ब्याज की बताई गई दर को जमा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जो सभी सदस्य 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं, उन्हें 8.5 फीसदी ब्याज (2019-20 के लिए) मिले.
इसके आगे गंगवार ने कहा कि कैपिटल गेंस के 2019-20 के लिए 0.35 फीसदी ब्याज के भुगतान की प्रक्रिया को भी पूरा कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि यह (8.5 फीसदी ब्याज) में ऋण आय से 8.15 फीसदी और ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स) की बिक्री से 0.35 फीसदी (कैपिटल गेन) शामिल होगा जिनका 31 दिसंबर तक रिडेंपशन करना होगा. इससे पहले दिन में गंगवार ने वित्त मंत्रालय की सहमति मिलने के बाद पिछले वित्त वर्ष के लिए 8.5 फीसदी को मंजूरी दे दी थी. इसके बाद EPFO को सब्सक्राइबर्स के खातों में ईपीएफ पर ब्याज को डालने का निर्देश भेजा गया.
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मार्च में 8.5 फीसदी ब्याज को मिली थी मंजूरी
इस साल मार्च में EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज ने गंगवार की अगुवाई में 2019-20 के लिए ईपीएफ पर 8.5 फीसदी ब्याज को मंजूरी दी थी. इस साल सिंबर में ईपीएफओ ने 8.5 फीसदी ब्याज को गंगवार की अध्यक्षता में हुई ट्रस्टीज की बैठक में 8.15 फीसदी और 0.35 फीसदी की दो किस्तों में बांटने का फैसला किया था. लेकिन, बाद में, मंत्रालय ने एक बार में ही, पूरे 8.5 फीसदी ब्याज को डालने का फैसला किया था.