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Dividend Income: डिविडेंड के जरिए इक्विटी में निवेश करना पैसे कमाने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक होता है.
Should You Invest in Equity After Retirement: डिपॉजिटरी डाटा के अनुसार भारत में डीमैट अकाउंट्स की संख्या हाल ही में 10 करोड़ के पार चली गई है. आंकड़ों के अनुसार 70 फीसदी से अधिक नए अकाउंट 30 साल से कम उम्र वालों के द्वारा खोले गए हैं. फिलहाल ऐसी धारणा चल रही है कि रिटायरमेंट के बाद शेयर बाजार से दूर रहना चाहिए, क्योंकि बाजार वोलेटाइल होता है. इसमें पैसे डूबने का डर होता है. हो सकता है कि रिटायर हो चुके लोगों को पेंशन, पुरानी प्रॉपर्टी पर किराया और रिटायरमेंट फंड पर ब्याज का लाभ मिल रहा हो. लेकिन इक्विटी में निवेश इन्हें महंगाई का मुकाबला करने के साथ अपनी दौलत और बढ़ाने में मदद कर सकता है. जानते हैं ऐसी 7 वजह कि क्यों रिटायरमेंट के बाद इक्विटी में पैसे लगा सकते हैं.
पहले बनाएं इमरजेंसी फंड
रिटायर हो चुके लोगों को इक्विटी में निवेश करने से पहले फिक्स्ड डिपॉजिट या उसी तरह के लिक्विड इंस्ट्रूमेंट में करीरब 2 से 3 साल के लिए एक इमरजेंसी फंड रखना चाहिए. इसके अलावा मेडिकल इमरजेंसी को मैनेज करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट रखना जरूरी है. बची हुई राशि को एकमुश्त और एसआईपी के जरिए इक्विटी में निवेश किया जा सकता है. शॉर्ट टर्म में इक्विटी मार्केट अस्थिर होता है, इसलिए व्यापक तौर पर बाजार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हों तो एसआईपी में निवेश से नुकसान का डर कम होता है.
दूसरे एसेट क्लास से ज्यादा लाभ
रिटर्न हिस्ट्री देखें तो इक्विटी ने दूसरे एसेट क्लास की तुलना में अधिक लाभ दिया है. पिछले दशक के दौरान, गोल्ड में करीब 5.43 फीसदी सीएजीआर के हिसाब से रिटर्न मिला. एफडी की दरें ल्रगातार घटी हैं. आरबीआई के हाउस प्राइस इंडेक्स के अनुसार, जून 2010 और जून 2020 के बीच रियल एस्टेट में औसत रिटर्न 11.6 फीसदी सालाना था. अक्टूबर 2012 से अक्टूबर 2022 के बीच यह 9 फीसदी से कम था. होम लोन पर ब्याज देखें तो रिटर्न और कम होगा. वहीं इस दौरान निफ्टी ने 12 फीसदी सीएजीआर से रिटर्न दिया है. इसमें लिक्विडिटी भी ज्यादा होती है.
महंगाई को दे सकते हैं मात
महंगाई पर काबू पाने के लिए इक्विटी सबसे अधिक प्रभावशाली एसेट क्लास है. पिछले 2 दशकों के दौरान, निफ्टी ने 14 फीसदी सीएजीआर रिटर्न दिया है. भारत में औसत उम्र बढ़ रही है, ऐसी संभावनाएं ज्यादा हैं कि रिटायर होने के बाद 25-30 साल का जीवन हो सकता है. इसलिए इक्विटी में सोच-समझकर निवेश करने से लंबी अवधि में स्थायी संपत्ति का निर्माण करने में मदद मिल सकती है.
जितना निवेश, उतना फायदा
अगर आपके पास निवेश करने के पर्याप्त राशि है, तो इक्विटी में अच्छा लाभ हासिल कर सकते हैं. कोई व्यक्ति जो 60 साल में रिटायर हुआ है, वह इक्विटी पोर्टफोलियो में अगर 25 लाख का निवेश करता है और 15 फीसदी सीएजीआर से रिटर्न मिलता है तो 70 साल पूरा होने पर पोर्टफोलियो की वैल्यू 1 करोड़ होगा
अपने अनुभव का इस्तेमाल करें
रिटायर होने वाले कुछ लोगों को कुछ सेक्टर या कुछ कंपनियों की गहरी समझ या जानकारी होती है. इससे उन्हें सही शेयरों में निवेश करने के बारे में समझ-बूझ भरा निर्णय लेने में मदद मिलेगी. उदाहरण के लिए, अगर किसी ने कुछ दशकों के लिए केमिकल इंडस्ट्री में काम किया है, तो उसे सेक्टर के बारे में ज्यादा समझ होगी.
पैसे कमाने पर ध्यान देना
जब तक कोई व्यक्ति रिटायर होता है, तब तक वो बच्चों को पढ़ाने, उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने, नया घर खरीदने और बहुत कुछ करने के अपने लक्ष्यों को पूरा कर चुके होते हैं. रिटायर होने के बाद, उनके ऊपर डिपेंड कुछ लोग हो भी सकते हैं और नहीं भी. इसका अर्थ है कि अधिक लाभ अर्जित करने के लिए आप आत्मविश्वास के साथ अपने पोर्टफोलियो के मिश्रण में इक्विटी को शामिल कर सकते हैं.
डिविडेंड से इनकम
डिविडेंड के जरिए इक्विटी में निवेश करना पैसे कमाने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक होता है. अच्छे डिविडेंड देने की कंपनियों में निवेश करने से आपको कई साल तक स्थिर इनकम पाने में मदद मिल सकती है. कभी-कभी, डिविडेंड से रिटर्न रियल एस्टेट या एफडी के रिटर्न से अधिक हो सकती है.
एक विरासत छोड़ना
धन की एक विरासत अगली पीढ़ी के लिए बहुत ही बढ़िया साबित हो सकती है. यह आपके की अगली पीढ़ियों को अपने सपनों को पूरा करने या पैसा जमा करने के अपने मौजूदा प्रयासों को और बढ़ाने में सक्षम बनाती है. यह उन्हें इक्विटी की क्षमता की जानकारी भी प्रदान कर सकती है. आमतौर पर यह सुझाव दिया जाता है कि रिटायर होने वाले लोग अपने पोर्टफोलियो का 20 से 25 फीसदी इक्विटी में निवेश करें. ऐसे लोग डिविडेंड देने वाले, कम अस्थिर ब्लू चिप्स पर फोकस कर सकते हैं.
(लेखक: जसप्रीत सिंह अरोड़ा, मुख्य निवेश अधिकारी (CIO), रिसर्च एंड रैंकिंग)