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इस बार बजट के बाद से बाजार में उतार चढ़ाव देखा जा रहा है. (image: pixabay)
Assets Allocation Strategy After Budget 2022: बजट को कैपिटल मार्केट के लिए बूस्टर माना जाता है. लेकिन इस बार बजट के बाद से बाजार में उतार चढ़ाव देखा जा रहा है. वैसे शेयर बाजार में कमजोरी के पीछे ग्लोबल सेंटीमेंट ज्यादा जिम्मेदार नजर आ रहे हैं. जियोपॉलिटिकल टेंशन, क्रूड की बढ़ रही कीमतें, ब्याज दरें ज्यादा सख्त किए जाने की आशंका, महंगाई, कोविड 19 के चलते अनिश्चितता, बॉन्ड यील्ड में तेजी जैसे कुछ फैक्टर इक्विटी में गिरावट की वजह बन रहे हैं. वहीं कुछ खास कमोडिटी में तेजी है तो बॉन्ड मार्केट में भी तेजी देखने को मिल रही है. ऐसे में निवेशकों के सामने सवाल यह है कि वे आगे के लिए अपना एसेट अलोकेशन स्ट्रैटेजी कैसे तैयार करें. किस एसेट में कितना पैसे लगाएं.
एक्सपर्ट का कहना है कि बजट में कई सेक्टर के लिए बड़े एलान हुए हैं, जिससे आगे उनसे जुड़ी कंपनियों में ग्रोथ आएगी. इक्विटी मार्केट का भी लॉन्ग टर्म आउटलुक बेहतर है. लेकिन मौजूदा समय में भी बाजार में जो फैक्टर हैं, उनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. उसे देखते हुए सोच समझकर निवेशकों को अपना पैसा बैलेंस तरीके से लगाना चाहिए. जिससे हर तरह के रिस्क कवर हो सकें.
गोल्ड और सिल्वर में कितना लगाएं पैसे
IIFL के VP-रिसर्च, अनुज गुप्ता का कहना है कि मौजूदा समय में देखें तो अगले एक साल के लिए कमोडिटी में ओवरआल इन्वेस्टमेंट का 25 से 30 फीसदी अलोकेशन होना चाहिए. उनके अनुसार बजट में सरकार ने एग्री सेक्टर पर फोकस किया है. रूरल इकोनॉमी को कैसे बूस्ट मिले, इसके लिए आगे भी कई रोडमैप सामने आएंगे. ऐसे में अगर रूरल इनकम बढ़ती है तो गोल्ड और सिल्वर जैसे एसेट में खरीदारी बढ़ेगी. ओवरआल इन्वेसटमें का 10 से 15 फीसदी पैसा अभी गोल्ड और सिल्वर जैसे एसेट क्लास में लगाना चाहिए.
गोल्ड का घरेलू बाजार में मौजूदा भाव 48200 रुपये प्रति 10 ग्राम है, यह बहुत ही शॉर्ट टर्म में 49000 रुपये का भाव देख सकता है. वहीं अगले बजट तक यह 5000 रु से 52000 रु की रेंज में रह सकता है.
क्रूड को न करें नजरअंदाज
उनका कहना है कि बाजार में जो भी हलचल है, उसमें सबसे ज्यादा योगदान क्रूड की बढ़ रही कीमतों का है. क्रूड इंटरनेशनल मार्केट में 94 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है. रूस और यूक्रेन के बीच जिस तरह से टेंशन बए़ रहा है, उसके चलते क्रूड में आगे और तेजी का अनुमान है. जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ा तो क्रूड 98 डॉलर से 100 डॉलर प्रति बैरल जा सकता है. ऐसे में शॉर्ट टर्म में इसमें 8 से 10 फीसदी अलोकेशन के जरिए फायदा उठा सकते हैं. इसके अलावा कम से कम 5 फीसदी निवेश एग्री कमोडिटी में करने की सलाह है.
इक्विटी और डेट का क्या हो रेश्यो
BPN फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि बजार में अभी भले ही दबाव है, लेकिन लॉन्ग्बॉ टर्म आउटलुक बेहतर है. हालांकि अभी इक्विटी और डेट का रेश्यो बैलेंस रखने की सलाह है. अलोकेशन अपनी उम्र और रिस्क प्रोफाइल देखकर करें.
अगर आप युवा हैं और रिस्क लेने की क्षमता है तो इक्विटी और डेट का रेश्यो 80 और 20 फीसदी होना चाहिए. अगर आप मॉडरेट इन्वेस्टर हैं और उम्र 40 साल से 50 साल के बीच है तो यह रेश्यो 60 और 40 फीसदी का होना चाहिए. इसी तरह से अगर आप बाजार का रिस्क बिल्कुल नहीं लेना चाहते हैं या उम्र 50 साल से ज्यादा है तो यह रेश्यो 20 और 80 फीसदी का रखें. उेट में भी शॉर्ट ड्यूरेशन के बॉन्ड बेहतर विकल्प हैं क्योंकि आगे ब्याज दरें बढ़ने वाली हैं. इससे लॉन्ग् टर्म बॉन्ड के यील्ड में गिरावट आएगी. उनका कहना है कि यह समय इक्विटी और डेट में करने का है. अगर इक्विटी मार्केट में तेजी आती है तो प्रॉफिट बुक करें और डेट में डालें. इसी तरह से अगर इक्विटी में गिरावट आती है तो डेट का कुछ फीसदी इक्विटी की ओर शिफ्ट करें.
(Disclaimer: अलग अलग एसेट क्लास में निवेश की सलाह एक्सपर्ट के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)