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कोरोना संकट में भारत नहीं दुनियाभर में मंदी वाली स्थिति ला दी है. एजेंसियां बड़ी मंदी की खतरा बताते हुए अर्थव्यवसथाओं पर दबाव अभी बने रहने की बात कह रही हैं.
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कोरोना संकट (Coronavirus Pandemic) में भारत नहीं दुनियाभर में मंदी वाली स्थिति ला दी है. ग्लोबल एजेंसियां बड़ी मंदी की खतरा बताते हुए अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव अभी बने रहने की बात कह रही हैं. कुछ एजेंसियों ने इसे 2008 की मंदी की तरह या उससे भी खराब स्थिति बताई है. वित्तीय बाजारों की स्थिति खराब बनी हुई है और फ्रैंकलिन टेम्पलनटन क्राइसिस के बाद डर और बढ़ गया है. इन वजहों से ज्यादातर निवेशकों का सुरक्षित विकल्पों पर जोर बढ़ा है. इसी का नतीजा है कि हाल ही में सरकारी बांड में लोगों का रुझान बढ़ा है, जिसमें अमूमन ट्रेड करने से लोग बचते थे. सवाल यह है कि स्लोडाउन के इस दौर में निवेशकों को अपना पैसा कहां लगाना चाहिए.
जरूरत, वित्तीय बाजारों की स्थिति और रिस्क
एक्सपर्ट भी इस दौर में रिटर्न के लालच में अनाप-शनाप विकल्पों की बजाए बेहतर विकल्प चुनने की सलाह दे रहे हैं. हालांकि उनका कहना है कि निवेशकों को पहले अपनी जरूरत, वित्तीय बाजारों की स्थिति और बाजार के रिस्क को सहन करने की अपनी क्षमता देखनी जरूरी है. मंदी के दौर में हमेशा यह देखा जाता है कि सोने में रिटर्न बेहतर हो जाता है. फ्रैंकलिन क्राइसिस से स्पष्ट है कि इस दौर में खराब कमजोर रेटिंग वाले विकल्प आपका पैसा डुबो सकते हैं. इक्विटी में देखें तो अभी लॉर्जकैप का प्रदर्शन बेहतर है. सरकारी बांड, एफडी जैसी स्कीम हर दौर में बेहतर है, जहां रिटर्न भले ही कम हो लेकिन सॉवरेन गारंटी की वजह से पैसा सुरक्षित रहता है.
इक्विटी में लॉर्जकैप पर लगाएं दांव
फॉर्चून फिस्कल के डायरेक्टर जगदीश ठक्कर का कहना है कि अगर आपके निवेश का लक्ष्य लंबा है और थोड़ा रिस्क ले सकते हैं तो अच्छे लॉर्जकैप शेयरों में पैसा लगाना चाहिए. बाजार में बड़ी गिरावट के बाद जब भी रिकवरी आती है, सबसे पहले लॉर्जकैप ही आउटपरफॉर्म करते हैं. बड़ी कंपनियों की खासियत है कि बेस मजबूत होने की वजह से वह ऐसे दबाव को मैनेज कर सकते हैं. मिडकैप और स्मालकैप अभी रिस्की हैं. ब्रोकरेज हाउस प्रभुदास लीलाधर की एक रिपोर्ट भी बताती है कि मंदी के दौर में लॉर्जकैप शेयरों में नुकसान कम रहता है और रिकवरी के दौर में इनमें तेज ग्रोथ आती है.
सरकारी बांड/FD: कम रिटर्न लेकिन सेफ
मौजूदा समय में सरकारी बांड, टैक्स फ्री बांड पर जोर बढ़ा है, जिसे आमतौर पर निवेशक सामान्य हालात में पूछते नहीं हैं. इन पर यील्ड कम होती है और मेच्योरिटी पीरियड लंबा. लेकिन यह जोखिम न चाहने वालों के लिए बेहतर विकल्प है. आप हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स हैं तो इनमें अभी पोर्टफोलियो का 5 से 8 फीसदी पैसा लगा सकते हैं. BPN फिनकैप कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि इनकी पेपर क्वालिटी और रेटिंग दूसरे बांड के मुकाबले बेहतर होती है. इन पर सरकार की सॉवरेन गारंटी होती है. इन पर स्थिर लेकिन सुरक्षित रिटर्न मिलता है.
एफडी की बात करें तो आरबीआई द्वारा रेट कट किए जाने के बाद बड़े बैंकों की 5 साल की एफडी पर औसतन 6 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा है. यानी मौजूदा दर पर आपके पैसे डबल होने में 12 साल लग जाएंगे. फिर भी सेफ रिटर्न चाहने वालों के लिए यह बेहतर विकल्प है. वहीं कॉरपोरेट एफडी में रिटर्न बैंक एुडी से ज्यादा है. लेकिन उनमें अच्छी रेटिंग वाली स्कीम ही चुनें.
सोना: मंदी में भरोसेमंद
सोना मंदी का हमेशा साथी होता है. इस साल की बात करें तो सोना अबतक 15 फीसदी रिटर्न दे चुका है. अजय केडिया का कहना है कि मंदी अभी चलने वाली है. अर्थव्यवस्था पर दबाव अभी बना रहेगा. ऐसे में यह यलो मेटल की चमक और बढ़ने वाली है. सोने का इतिहस देखें तो पिछले 10 साल में इसने तकरीबन हर साल पॉजिटिव रिटर्न दिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक मंदी के दौर में सोने में सबसे बेहतर (औसतन 19.5%) रिटर्न रहता है. वहीं रिकवरी के दौर में भी इसमें पॉजिटिव रिटर्न मिलता है. उनका कहना है कि अभी गोल्ड बांड और ईटीएफ के जरिए इसमें पैसा लगा सकते हैं.