/financial-express-hindi/media/member_avatars/RsG3L7DqXrOWG11NtQsz.jpeg )
/financial-express-hindi/media/post_banners/fUwlRK4LyEDgwI3U1r4P.jpg)
TER: फंड हाउस अलग अलग एक्सपेंस रेश्यो चार्ज करते हैं, जिससे पारदर्शिता की कमी है.
Mutual Fund Investment: मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा वसूल जा रहे अलग अलग एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio) पर चिंता जताई है. जिसके बाद सेबी ने फंड हाउसेस की तरफ से लगाए जाने वाले चार्जेज में बदलाव की रूप रेखा तैयार करनी शुरू कर दी है. सभी म्यूचुअल फंड्स स्कीम्स के लिए एक समान टोटल एक्सपेंस रेश्यो (uniform total expense ratio) को लेकर मार्केट रेगुलेटर ने एक प्रस्ताव दिया है. उद्देश्य है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को यह पता होना चाहिए कि उनसे कितना पैसा म्यूचुअल फंड कंपनियां 'लागत' के तौर पर वसूल रही हैं. इस कदम से इसमें पारदर्शिता आएगी. असल में एक्सपेंस रेश्यो म्यूचुअल फंड में मिलने वाले असली रिटर्न को कम कर देता है. लेकिन बहुत से निवेशक पैसा लगाते समय एक्सपेंस रेश्यो चेक करने की अनदेखी कर देते हैं.
निवेशक जब किसी म्यूचुअल फंड स्कीम की तलाश करते हैं तो उनके मन में सिर्फ यह होता है कि इसका पिछला रिटर्न कैसा रहा है और आगे इसमें अच्छा रिटर्न मिलेगा या नहीं. लेकिन वह उस स्कीम के एक्सपेंस रेश्यो यानी निवेश की लागत पर नजर नहीं डालते हैं. ऐसे में अगर एक्सपेंस रेश्यो ज्यादा है तो स्कीम में मिलने वाली असली रिटर्न पर असर पड़ता है. फंड का एक्सपेंस रेश्यो ही यह तय करता है कि उस स्कीम में निवेश करना आपको सस्ता पड़ेगा या महंगा.
Post Office TD: एक ही जगह 1, 2, 3 और 5 साल की कर सकते हैं FD, 10 लाख पर 4.5 लाख तक फायदा
क्या होता है एक्सपेंस रेश्यो
आप जिस म्यूचुअल फंड स्कीम में पैसा लगाते हैं, उसको फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है. इसी मैनेजमेंट पर जो खर्च आता है, उसे एक्सपेंस रेश्यो के रूप में वसूला जाता है. एक्सपेंस रेश्यो एक तरह से सालाना फीस होती है, जो प्रति यूनिट आने वाले खर्च को दिखाता है. लेकिन एक्सपेंस रेश्यो अलग अलग फंड हाउस अलग अलग लेते हैं. मसलन किसी स्कीम में यह 0.50 फीसदी तो दूसरे में 1 फीसदी औक्र तीसरे में 2 फीसदी या ज्यादा भी हो सकता है.
कैसे आपके रिटर्न पर होता है असर
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि मान लिया आपने किसी फंड में 1 साल के लिए 50 हजार रुपये निवेश किया है. इस निवेश पर आपसे कुछ चार्ज लिए जाते हैं. इनमें सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (STT), जो किसी सिक्योरिटी को खरीदने के लिए लिया जाने वाला डायरेक्ट टैक्स है. मान लिया कि STT 0.005 फीसदी है. यानी आपका असली निवेश 50 हजार नहीं बल्कि 49997.50 रुपये (Rs 50,000 - Rs 2.5) होगा. अब इस पर एक साल में आपको 1.5 फीसदी एक्सपेंस रेश्यो भी देना है.
कुल निवेश: 50,000 रुपये
STT: 0.005 फीसदी यानी 2.5 रुपये
एक्चुअल इन्वेस्टमेंट: 49,997.5 रुपये
फंड का रिटर्न: 10 फीसदी सालाना
निवेश पर कुल रिटर्न: 54997.25 रुपये
एक्सपेंस रेश्यो: 1.5%
एक्सपेंस रेश्यो के लिए चार्ज: 824.96 रुपये
असली रिटर्न: 54172.29 (54997.25-824.96 रुपये)
Actual return (%): 8.35%
यानी आपने जो 50 हजार रुपये निवेश किया है, उस पर 10 फीसदी रिटर्न के लिहाज से उस निवेश की वैल्यू 54997.25 रुपये होनी चाहिए. लेकिन 824.96 रुपये एक्सपेंस रेश्यो देने की वजह से आपका असल में 54172.29 रुपये ही मिलेंगे. ऐसे में अगर एक्सपेंस रेश्यो 1.5 फीसदी की जगह 1 फीसदी या कम होता तो आपका रिटर्न बढ़ जाता.
(नोट: हालांकि यहां यह बात ध्यान देने की होती है कि कम या ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो से रिटर्न की गारंटी नहीं तय होती है. कई बार ज्यादा एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड कम एक्सपेंस रेश्यो वाले फंड के मुकाबले ज्यादा रिटर्न देते हैं.)
क्या है SEBI का प्रस्ताव?
SEBI ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि TER मैक्सिसम एक्सपेंस रेश्यो को दर्शाता है, जो एक निवेशक को भुगतान करना पड़ सकता है और इसलिए निवेशक को इसमें लगाए जाने वाले सभी खर्चों को शामिल किया जाना चाहिए. साथ ही निवेशक से निर्धारित TER सीमा से अधिक राशि नहीं ली जानी चाहिए. इसके अलावा सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) सहित निवेश के सभी खर्च और लागत TER लिमिट के भीतर होनी चाहिए. SEBI ने कंसल्टेशन पेपर में कहा है कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को B30 शहरों से निवेश पर अतिरिक्त कमीशन जारी रखा जा सकता है. उन्हें केवल इंडस्ट्रियल लेवल पर B30 शहरों के नए व्यक्तिगत निवेशकों (New Pan) से निवेश के लिए भुगतान किया जा सकता है.
सेबी ने प्रस्ताव दिया कि एग्जिट लोड के प्रावधान वाली स्कीम्स के लिए 5 बेसिस पॉइंट के अतिरिक्त खर्च को सक्षम करने वाला प्रावधान खत्म किया जा सकता है. TER पर लिमिट, AMC स्तर पर रखने का प्रस्ताव किया गया है और इसमें प्रबंधन शुल्क, ब्रोकरेज और लेनदेन लागत, बी-30 रिवार्ड आदि पर GST सहित सभी लागत और व्यय शामिल हैं. 20% AMC वर्तमान में इंडस्ट्री का करीब 75% AUM का मैनेजमेंट कर रही हैं और कई छोटे AMC लगातार घाटे में चल रहे हैं. इसे देखते हुए SEBI ने संशोधित TER स्लैब का प्रस्ताव रखा है, ताकि इंडस्ट्री के छोटे खिलाड़ी नुकसान में न रहें.