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डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होता है तो देश से बाहर के किसी कंपनी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे आईटी सेक्टर के कर्मियों के हाथ में अधिक पैसा आता है.
Income Tax Rule For IT Sector Employees Working On Foreign Projects: डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होता है तो देश से बाहर के किसी कंपनी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे आईटी सेक्टर के कर्मियों के हाथ में अधिक पैसा आता है. हालांकि रुपये की कमजोरी के चलते जो अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है, उस पर कर्मियों को टैक्स चुकाना पड़ सकता है. आरएसएम इंडिया के फाउंडर डॉ सुरेश सुराना के मुताबिक रुपये में कमजोरी के चलते बढ़ी हुई आय पर कर्मियों को स्पेशिफाइड कंवर्जन रेट्स के आधार पर टैक्स चुकाना होगा. हालांकि कुछ मामलों में कोई टैक्स देनदारी नहीं बनेगी.
टैक्स देनदारी को लेकर ये है नियम
डॉ सुराना के मुताबिक कई कंपनियां आमतौर पर आईटी सेक्टर की कंपनियां अपने कर्मियों को किसी प्रोजेक्ट या खास समय के लिए विदेश भेजती हैं. कंपनियों अपने एंप्लाई को दैनिक खर्चों के लिए मॉनीटरी बेनेफिट्स देती हैं. डॉ सुराना के मुताबिक इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के रूल 2बीबी(1) के सेक्शन 10(14)(आई) के प्रावधानों के तहत दैनिक खर्च के लिए मिलने वाले भत्तों पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनेगी, अगर इसे खर्च कर दिया गया हो या उसे विदेशों में दिया गया हो यानी कि ड्यूटी के नॉर्मल प्लेस से अलग जगह पर.
वहीं दूसरी तरफ अगर कर्मी इस दैनिक भत्ते को पूरा खर्च नहीं करता है तो बचे पैसे पर भारत में टैक्स देना होगा. हालांकि यह ध्यान रहे कि आईटी एक्ट के सेक्शन 10(7) के प्रावधानों के तहत अगर भारत सरकार किसी भारतीय नागरिक को विदेश में किसी सेवा के लिए कोई भत्ता देती है तो उस पर भारत में कोई टैक्स देनदारी नहीं बनेगी.
एक उदाहरण से समझें
मान लीजिए किसी कर्मी को देश से बाहर किसी खास प्रोजेक्ट से जुड़े काम के लिए हर दिन 500 डॉलर देती है. कर्मी को एक महीने के लिए प्रोजेक्ट पर काम पर भेजा गया है और वह हर दिन 300 डॉलर खर्च करता है तो 200 डॉलर बच रहे हैं. अब ऐसे में 300 डॉलर पर उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा लेकिन 200 डॉलर पर यहां टैक्स चुकाना होगा.
(Article: Rajeev Kumar)