/financial-express-hindi/media/post_banners/nStf2RpOHJeJkJxJa3RH.jpg)
एफडी से जुड़े रिस्क अच्छी तरह समझ लेना चाहिए ताकि अपनी पूंजी के निवेश को लेकर उचित फैसले ले सकें.
FD Investment Risk: फिक्स्ड डिपॉजिट को लंबे समय से निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जाता रहा है और इसलिए रिस्क नहीं उठा पाने वाले निवेशकों के लिए पसंदीदा विकल्प बना हुआ है. हालांकि वास्तव में ऐसा नहीं है और इसमें भी निवेश पर रिस्क होता है और आप अपनी पूंजी गंवा सकते हैं. ऐसे में एफडी में निवेश से जु़ड़े रिस्क समझ लें ताकि अपनी पूंजी को लेकर आप उचित फैसले ले सकें.
बैंक डिफॉल्ट होने का खतरा
एफडी में निवेश पर सबसे बड़ा रिस्क होता है, बैंक डिफॉल्ट होने का. अगर किसी निवेशक ने जिस बैंक में एफडी कराया हुआ है, वह डिफॉल्ट कर गया है तो उसके निवेश का महज 5 लाख रुपये ही सुरक्षित उसे वापस मिल पाएगा क्योंकि बैंक डूबने की स्थिति में इतने का ही इंश्योरेंस रहता है. उदाहरण के लिए मान लें कि किसी निवेशक ने किसी बैंक में 10 लाख का एफडी कराया है और वह बैंक डूब गया है तो ऐसी स्थिति में महज 5 लाख रुपये ही मिलेंगे.
Study Abroad: विदेश में पढ़ाई का खर्च जुटाने में हो रही मुश्किल? ऐसे कर सकते हैं अपने सपने को पूरा
मेच्योरिटी से पहले निकासी नहीं
एफडी में एक निश्चित अवधि के लिए पैसे लगाए जाते हैं और इस अवधि के बाद ही आप पैसे निकाल सकते हैं. हालांकि अगर आपने एफडी कराया हुआ है और इसे तय पीरियड यानी मेच्योरिटी से पहले निकालते हैं तो आपको भारी नुकसान हो सकता है क्योंकि इस पर कुछ चार्ज काटकर आपको रिटर्न मिलेगा.
ऑफलाइन निकासी की बाध्यता
कुछ बैंक एफडी के मेच्योर होने की स्थिति में इससे निकासी के लिए ऑनलाइन प्रोसेस करने की सुविधा नहीं देते हैं. ऐसे में आपको पूरी प्रक्रिया बैंक में जाकर पूरी करनी होती है. आमतौर पर ऐसी दिक्कत तब होती है, जब आपने बैंक में जाकर एफडी शुरू कराया हो यानी कि अगर आपने पांच साल पहले कोई एफडी लिया है तो उसके आज मेच्योर होने पर बैंक जाना पड़ेगा.
महंगाई के चलते निगेटिव रिटर्न
एफडी में निवेश को लेकर एक बड़ा रिस्क इंफ्लेशन यानी महंगाई बढ़ने की दर है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अभी इंफ्लेशन करीब 7 फीसदी है और अगर कोई बैंक 6 फीसदी की दर से एफडी पर ब्याज दे रहा है तो इसका मतलब हुआ कि आपको निवेश पर मुनाफा नहीं मिल रहा है क्योंकि आपको निगेटिव एक फीसदी (7-6) रिटर्न मिल रहा है.
Home Loan Top-Up: होम लोन से पूरी नहीं हो रही फंड की जरूरत, तो टॉप-अप लोन के जरिए कर सकते हैं इंतजाम
एफडी टेन्योर
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद बैंक भी एफडी की दरें बढ़ा रहे हैं. आगे भी दरों में बढ़ोतरी के आसार दिख रहे हैं तो अगर आपने लंबे समय के लिए अभी ही ढेर पूंजी एफडी में डाल दिया है तो आप बढ़ती दरों का फायदा नहीं उठा सकेंगे. इसके विपरीत अगर भविष्य में दरें घटने के आसार दिख रहे हैं और आपने थोड़े समय के लिए कोई एफडी लिया हुआ है जो उस समय मेच्योर होनी है, जब दरें घट चुकी हैं तो मेच्योर हो चुकी एफडी से मिले पैसे को दोबारा एफडी में डालने पर रिटर्न कम मिलेगा. ऐसे में एफडी की अवधि सावधानीपूर्वक चुनें.