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Fixed Deposit : बेहतर यह है कि एक ही स्कीम में पूरा पैसा लगाने की बजाए, पोर्टफोलियो में शॉर्ट और लॉन्ग टर्म एफडी स्कीम शामिल करें. (Pixabay)
Latest Fixed Deposit Rates : आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वॉइंट कटौती करते हुए इसे 6 फीसदी कर दिया है. अब माना जा रहा है कि बैंक आने वाले दिनों में जहां लोन पर राहत दे सकते हैं, वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट पर रेट (Bank FD Rates) कुछ कम कर सकते हैं. ऐसे में आप अगर फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने की सोच रहे हैं तो लेटेस्ट रेट पर नजर डालकर बेस्ट डील बुक कर सकते हैं. वैसे भी बाजार में जो अस्थिरता चल रही है, उसके चलते बैंक एफडी का आकर्षण उन निवेशकों में बढ़ गया है, जो सुरक्षित निवेश चाहते हैं. अगर आप 10 लाख रुपये एफडी के जरिए निवेश (Bank FD Portfolio) करना चाहते हैं तो इसके लिए सही स्ट्रैटेजी तैयार करनी जरूरी है.
1, 2, 3 और 5 साल की FD के लेटेस्ट रेट
टेन्योर का रखें ध्यान
फाइनेंशियल एडवाइजर का मानना है कि FD करते समय कुछ जरूरी बातों पर ध्यान देना चाहिए. मसलन एफडी के टेन्योर (अवधि) को तय करने से पहले अच्छे से प्लानिंग करनी चाहिए. बेहतर यह है कि एक ही स्कीम में पूरा पैसा लगाने की बजाए, पोर्टफोलियो में शॉर्ट और लॉन्ग टर्म एफडी स्कीम शामिल करें. उदाहरण के तौर पर आधा पैसा 5 साल की एफडी में लगाएं, जहां इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स का लाभ मिलता है. वहीं बचे हुए पैसे को लिक्विडिटी का ध्यान रखते हुए अलग अलग शॉर्ट टर्म एफडी में लगाएं. यहां 1 साल से 2 साल तक की मैच्योरिटी वाली स्कीम बेहतर है. हालांकि शॉर्ट टर्म एफडी के तहत 7 दिन से 45 दिन का भी विकल्प शामिल है.
लिक्विडिटी का ध्यान रखें
इमरजेंसी में पैसे की जरूरत कभी भी और किसी को भी पड़ सकती है. ऐसे में छोटी अवधि का निवेश काम आता है. मान लिया कि आपने 5 साल की एफडी की है और 1 साल के बाद ही आपको अचानक से पैसे की जरूरत पड़ जाती है. इसमें अगर आप मैच्योरिटी के पहले एफडी तोड़ते हैं तो पेनल्टी देनी पड़ती है. यहीं पर शॉर्ट टर्म एफडी काम आ जाती है. अगर आपको इमरजेंसी में पैसे की जरूरत नहीं भी है तो शॉर्ट टर्म एफडी मैच्योर होने पर उसे रीइन्वेस्ट कर सकते हैं.
पोर्टफोलियो में शॉर्ट टर्म एफडी भी जरूरी
अगर आपने 1 साल की एफडी की है और 1 साल बाद ही एफडी पर ब्याज दरें बढ़ जाती हैं तो आप उस पर फिर से बेहतर ब्याज दर लॉक कर सकते हैं. जबकि लॉन्ग टर्म एफडी में ऐसा नहीं कर पाएंगे. शॉर्ट टर्म एफडी वहां भी काम आती है, जब आपके पास किसी काम के लिए फंड है, लेकिन वह काम 5 से 6 महीने बाद होना है. ऐसे में आप उस फंड को बैंक खाते में रखने की बजाय 7 से 45 दिन या जहां 3 से 6 महीने का विकल्प है, वहां निवेश कर सकते हैं.
शॉर्ट टर्म एफडी के बदले कुछ बैंक लोन भी देते हैं, इसके लिए गारंटर की भी आवश्यकता नहीं होती है. हालांकि यह बैंकों की अपनी पॉलिसी पर निर्भर है. इसमें भी नॉमिनी की सुविधा है.
शॉर्ट टर्म एफडी में निवेश बेहद सुरक्षित है, बाजार के उतार-चढ़ाव का इस पर कोई असर नहीं पड़ता.
5 साल की एफडी पर टैक्स बेनेफिट
5 साल की एफडी पर इनकम टैक्स 80 सी के तहत टैक्स छूट का लाभ मिलता है. यह लाभ अधिकतम 1.50 लाख रुपये पर मिलता है. वहीं इसमें शॉर्ट टर्म एफडी के मुकाबले बेहतर ब्याज मिलता है. लॉन्ग टर्म एफडी को भविष्य में किसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए चुन सकते हैं. लंबी अवधि की एफडी पर कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है. वहीं मैच्योर होने पर इसे फिर निवेश कर सकते हैं.
कॉरपोरेट एफडी भी हैं विकल्प
बैंकों के अलावा कॉरपोरेट एफडी भी विकल्प हैं. कॉरपोरेट एफडी में बैंक की तुलना में आपको ज्यादा ब्याज मिल सकता है. हालांकि कॉरपोरेट एफडी करते समय उसकी क्रेडिट रेटिंग जरूरत देख लेनी चाहिए. रेटिंग अच्छी है तो वह विकल्प सुरक्षित है. मसलन, ट्रिपल-ए रेटिंग वाली कॉर्पोरेट एफडी अधिक सुरक्षित होंगी लेकिन रिटर्न कम देंगी. इससे आपका पैसा अधिक सुरक्षित रहता है.