scorecardresearch

FD Portfolio: अभी शार्ट टर्म एफडी चुनने में है समझदारी, या 5 साल की स्कीम में उठाएं कंपाउंडिंग का फायदा

Why FD is Safe: FD बचत के सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक है जो फाइनेंशियल मार्केट में उठा पठक के बाद भी फिक्स्ड रिटर्न की गारंटी देता है.

Why FD is Safe: FD बचत के सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक है जो फाइनेंशियल मार्केट में उठा पठक के बाद भी फिक्स्ड रिटर्न की गारंटी देता है.

author-image
Sushil Tripathi
New Update
FD Investment

FD Rates: बैंकों ने हाल फिलहाल में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरों में कुछ न कुछ बढ़ोतरी की है.

How to Build FD Portfolio: बैंकों ने हाल फिलहाल में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरों में कुछ न कुछ बढ़ोतरी की है, जिससे एक बार फिर इस ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट के विकल्प का आकर्षण बढ़ा है. वैसे भी FD बचते के सबसे सुरक्षित विकल्पों में से एक है जो फाइनेंशियल मार्केट में उठा पठक के बाद भी फिक्स्ड रिटर्न की गारंटी देता है. रेट हाइक साइकिल का दौर अभी थमा नहीं है, आगे भी केंद्रीय बैंक द्वारा एक या 2 बार दरों में बढ़ोतरी की जा सकती है. कम से कम मौजूदा महंगाई इसी बात की ओर इशारा कर रही है. ऐसा होता है तो एफडी जमा दरों में भी इजाफा होने की उम्मीद है. ऐसे में जब कैपिटल मार्केट में अनिश्चितता है, FD और आकर्षक होगा. लेकिन सवाल उठता है कि इस दौर में किस टेन्योर की FD चुनने में समझदारी है. शार्ट टर्म या 5 साल की टैक्स सेविंग या अलग अलग टेन्योर वाली FD.

थ्री बकेट स्ट्रैटेजी: रिटायरमेंट फंड को सही तरीके से करें निवेश, दूर होगी हर टेंशन, आराम से कटेगी लाइफ

कितना मिल रहा है रिटर्न

Advertisment

वैसे तो लॉन्ग टर्म फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें अधिक होती हैं. फिक्स्ड डिपॉजिट न्यूनतम 7 दिनों से लेकर 10 साल तक के लिए होता है. शॉर्ट-टर्म फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि 7 दिनों से 1 साल तक होती है, जबकि 2 साल या उससे अधिक के लिए लॉक किए गए डिपॉजिट को लॉन्ग-टर्म डिपॉजिट माना जाता है. शॉर्ट-टर्म फिक्स्ड डिपॉजिट में ब्याज दरें 3 फीसदी से 6 फीसदी तक हैं. जबकि लंबी अवधि की फिक्स्ड डिपॉजिट पर वर्तमान में 6.75 फीसदी से 8 फीसदी तक ब्याज मिल रहा है. दूसरे शॉर्ट टर्म उफडी में कपाउंडिंग का फायदा नहीं मिलता है.

शॉर्ट-टर्म एफडी में पैसे लगाने की वजह

मौजूदा दौर की बात करें तो रेट हाइक का दौर रह सकता है. बैंक भी एफडी पर ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं. ऐसा होता है तो शार्ट टर्म एफडी मैच्योर होने पर उसे भुनाकर बढ़े ब्याज दर के साथ फिर एफडी में निवेश किया जा सकता है. इसके उलट अगर आने वाले दिनों में केंद्रीय बैंक दरों में कटौती भी कर सकते हैं. ऐसे में आगे बॉन्ड मार्केट से फिर रिटर्न बेहतर होगा. अगर आपके पास कुछ शॉर्ट टर्म एफडी है तो उसे भुनाकर बॉन्ड मार्केट में शिफ्ट कर सकते हैं.

शॉर्ट टर्म एफडी ऐसे निवेशकों के लिए भी अच्छा विकल्प है, जिनके वित्तीय लक्ष्य नजदीक हैं. यानी लिक्विडिटी को ध्यान में रखें तो अलग अलग शॉर्ट टर्म एफडी में निवेश करना बेहतर तरीका है. इसमें 7 दिन से 1 साल में पैसा मैच्योर होता है.

इमरजेंसी में पैसे की जरूरत कभी भी और किसी को भी पड़ सकती है. ऐसे में अगर 5 साल की एफडी की है और 1 साल के बाद ही आपको अचानक से पैसे की जरूरत पड़ जाती है. इस केस में मैच्योरिटी के पहले एफडी तोड़ते हैं तो पेनल्टी देनी पड़ती है.

अगर आपको इमरजेंसी में पैसे की जरूरत नहीं भी है तो शॉर्ट टर्म एफडी मैच्योर होने पर उसे रीइन्वेस्ट कर सकते हैं. शॉर्ट टर्म एफडी में निवेश बेहद सुरक्षित है, बाजार के उतार-चढ़ाव का इस पर कोई असर नहीं पड़ता.

शॉर्ट टर्म एफडी वहां भी काम आती है, जब आपके पास किसी काम के लिए फंड है, लेकिन वह काम 5 से 6 महीने बाद होना है. ऐसे में आप उस फंड को बैंक खाते में रखने की बजाय 7 से 45 दिन या जहां 3 से 6 महीने का विकल्प है, वहां निवेश कर सकते हैं.

Mutual Funds Portfolio: 10 लाख रुपये करना चाहते हैं निवेश, म्यूचुअल फंड में कैसे बनाएं मजबूत पोर्टफोलियो

1 साल की एफडी पर रिटर्न

SBI: 6%
ICICI बैंक: 6%
HDFC बैंक: 6%
PNB: 7%
Kotak Bank: 7%
IndusInd बैंक: 7%
Axis Bank: 6.75%
Post Office: 6.6%
बैंक ऑफ इंडिया: 6%
DCB बैंक: 7%

लॉन्ग टर्म एफडी में क्यों लगाएं

कंजर्वेटिव इन्वेस्टर हैं और निकट अवधि में फंड की जरूरत नहीं है, साथ ही कंपाउंडिंग का फायदा लेना चाहते हैं तो 2 साल से 5 साल की एफडी बेहतर विकल्प है. यहां न सिर्फ रिटर्न ज्यादा होगा, बल्कि टैक्स बेनेफिट भी मिलेगा. लॉन्ग टर्म एफडी को भविष्य में किसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए चुन सकते हैं. लंबी अवधि की एफडी पर कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है. वहीं मैच्योर होने पर इसे फिर निवेश कर सकते हैं.

हालांकि, यह ध्यान रखें कि अगर निवेशक का नजरिया 5 साल से अधिक का है तो फिक्स्ड डिपॉजिट एक उचित प्रोडक्ट नहीं हो सकता है. लंबी अवधि में बाजार के रिस्क कवर हो जाते हैं, इसलिए महंगाई का ध्यान रखते हुए ज्यादा रिटर्न वाले ​लेकिन सुरक्षित विकल्पों की ओर जा सकते हैं.

Fixed Deposits Fixed Deposit Rates In Sbi