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Financial Well-Being Tips: निवेश कब शुरू करें? इसका कोई बुनियादी नियम नहीं हैं, लेकिन अपने पहले वेतन चेक से बचत और निवेश करना शुरू करें.
Financial Well-Being Tips: फाइनेंशियल वेल-बीइंग पर लोगों ने कुछ न कुछ कहा है लेकिन इसपर सबसे बेहतरीन कोट जैक बेनी (Jack Benny) का है जिन्होंने कहा कि जब आपका वेतन कम हो तो कुछ बचाने की कोशिश करें, क्योंकि जब आप अधिक कमाने लगते हैं तो बचत करना असंभव हो जाता है. यह विरोधाभासी है, लेकिन सच है. पैसा बचाना एक ऐसी आदत है जिससे आप फाइनेंशियली स्टेबल हो सकते हैं. आइये जानते हैं इसके 5 बेहतरीन तरीके क्या हैं.
अपने लंबे और छोटे टारगेट को चार्ट करें
वित्तीय भलाई के लिए सबसे अच्छा तरीका अपने लक्ष्यों को कागज पर लिखना है. मान लीजिए आप अपना पहला घर खरीदना चाहते हैं और यह आपका सपना भी हो सकता है, लेकिन सिर्फ सपना होना ही काफी नहीं है. आपको घर खरीदने से पहले सभी चीजों की सटीक जानकारी होनी चाहिए. जैसे, डाउन पेमेंट के लिए मुझे कितने पैसे की आवश्यकता होगी? मैं कर्ज के माध्यम से कितना फंड जुटा पाऊंगा? वैसे तो आपके करियर की शुरुआत में आपके लक्ष्य शॉर्टटर्म के हो सकते हैं जैसे कार खरीदना या अपनी खुद की शादी के लिए धन इकठ्ठा करना. इसलिए छोटी अवधि के लक्ष्य होने के नाते, कम जोखिम वाले डेट फंडों के माध्यम से उनकी योजना बनाएं. वहीं, लंबी अवधि के लक्ष्यों पर जल्दी शुरुआत करके, आप समय और इक्विटी की शक्ति का लाभ उठा सकते हैं.
निवेश जल्दी शुरू करें
निवेश कब शुरू करें? इसका कोई बुनियादी नियम नहीं हैं, लेकिन अपने पहले वेतन चेक से बचत और निवेश करना शुरू करें. मान लीजिए एक व्यक्ति जो 5 साल के लिए 15 फीसदी पर 20,000 रुपये प्रति माह निवेश करता है, तो उसने करीब 12 लाख रुपये का निवेश किया है, जो 5 साल बाद बढ़कर 18 लाख रुपये हो जाता है. 15 फीसदी पर 20 साल के लिए 5,000 रुपये प्रति माह निवेश करने पर कुल निवेश 12 लाख रुपये का होता है लेकिन इसमें आपका पैसा 6.33 गुना बढ़कर 76 लाख रुपये हो जाता है. दोनों ही मामलों में इन्वेस्टमेंट समान हैं लेकिन प्रभाव बहुत अलग है.
अनुशासन दिखाएं
जब आपके पूर्ण फाइनेंशियल वेल-बीइंग की बात आती है, तो निरंतरता और अनुशासन बहुत मायने रखते हैं. सबसे पहले, निवेशकों को लंबी अवधि के म्यूच्यूअल फंड निवेश के लिए एकमुश्त निवेश करने के लिए एसआईपी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. इस तरह रुपये की औसत लागत अनुकूल तरीके से काम करती है.
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बचत को आदत बनाएं
रोजर बैब्सन ने ठीक ही कहा है, “व्यक्तियों को अपना पैसे को बताना चाहिए कि उसे कहां जाना है बजाय पूछने के कि वे कहां गए.” फाइनेंस पर नियंत्रण के लिए घर का बजट काम आता है. यह बताता है कि प्रत्येक रुपया कहां से आता है और प्रत्येक रुपया कहां जाता है. अपने फाइनेंस पर नियंत्रण हासिल करने के दो चरण हैं. सबसे पहले, उच्च लागत वाले कर्ज से छुटकारा पाएं. होम लोन, कार लोन आदि जैसे उचित ऋण के लिए मासिक ईएमआई कुल आय के 40 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए. वॉरेन बफेट कहते हैं कि खर्च करने के बाद जो बचता है उसे बचाएं नहीं, बल्कि बचत करने के बाद जो बचता है उसे खर्च करें.
शॉक प्रूफ आपकी दौलत
एक बार जब आप एक कार्पस बना लेते हैं तो पहली प्राथमिकता धन को बाहरी झटकों से बचाने की होनी चाहिए. 4-6 महीने की कमाई के लायक इमरजेंसी फंड होने से अनावश्यक ड्रॉडाउन से बचा जा सकता है.