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आज के दौर में सुरक्षा के साथ स्थिर रिटर्न चाहने वालों में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD) निवेश का बेहद पॉपुलर विकल्प है.
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आज के दौर में सुरक्षा के साथ स्थिर रिटर्न चाहने वालों में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD) निवेश का बेहद पॉपुलर विकल्प है. आपकी जमा पूंजी की सुरक्षा और साथ में गारंटेड रिटर्न वाले फीचर्स इन दोनों ही स्कीम की लोकप्रियता और बढ़ा देते हैं. यह उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है, जो बाजार का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और शॉर्ट टर्म फाइनेंशियल गोल को ध्यान में रखकर निवेश करते हैं. यहां पांच तथ्य दिए गए हैं, जिन्हें हर एफडी और आरडी निवेशक को जानना चाहिए.
5 लाख तक की जमा पर सुरक्षा की गारंटी
शिड्यूल्ड बैंक में खोले गए एफडी और आरडी में 5 लाख तक की जमा पर इंश्योरेंस मिलता है. यानी अगर किसी कंडीशन में वह बैंक डिफाल्ट भी कर गया तो आपकी एफडी या आरडी में जमा 5 लाख रुपये तक पर सुरक्षा की गारंटी होती है. ऐसे में इन स्कीम का आकर्षक और बढ़ जाता है. पहले 1 लाख रुपये तक की जमा पर ही इंश्योरेंस होता था. कुछ छोटे बैंक और स्माल फाइनेंस बैंक एफडी पर ज्यादा ब्याज आफर कर रहे हैं. ऐसे में सुरक्षा के साथ ज्यादा रिटर्न तलाश रहे निवेशक इसका फायदा लेने के लिए इन बैंकों में एफडी या आरडी अकाउंट खोल सकते हैं. स्माल फाइनेंस बैंकों में अमूमन बड़े बैंकों की तुलना पर एफडी या आरडी पर ब्याज 200-300 बेसिस प्वॉइंट अधिक हो सकता है.
टैक्स लायबिलिटी
जब किसी वित्तीय वर्ष में एफडी या आरडी से ब्याज आय 40,000 रुपये (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपये) से अधिक हो जाती है तो बैंक 10 फीसदी टीडीएस काटते हैं. उन लोगों के लिए जो बैंक को अपनी पैन जानकारी प्रदान नहीं करते हैं, 20% टीडीएस काटा जाता है.
प्री मेच्योर निकासी
एफडी और आरडी अकाउंट से प्रीमेच्योर पैसा निकालने या बंद करने पर 1% तक पेनल्टी देनी होती है. यह पेनल्टी ब्याज की प्रभावी दर से काट ली जाती है, जो कि ओरिजिनल बुक रेट से कम है. इसलिए, जब आप एफडी या आरडी में निवेश की अवधि का चयन कर रहे हों, उसी समय यह देख लें कि अपनी तरलता की जरूरत को अच्छे से समझ लेना चाहिए.
इस कंडीशन में नहीं बचा सकते टैक्स
टैक्स लायबिलिटी को कम करने के लिए बहुत से निवेशक अपने बच्चों या पति या पत्नी के नाम से एफडी या आरडी खोलते हैं. लेकिन परिवार के उन सदस्यों के नाम पर एफडी या आरडी खोलने से हमेशा टैक्स की बचत नहीं हो सकती है, जिनके इनकम का कोई सोर्स न हो. मसलन अपनी वाइफ के नाम पर एफडी या आरडी करते हैं, तो उससे जो भी ब्याज आय होती है, वह आपके इनकम में जोउ़ दी जाती है और आप की इनकम स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स लगता है. जबकि आपके नाबालिग बच्चे के नाम पर खोली गई एफडी या आरडी के लिए एक ही नियम लागू होता है. प्रति बच्चे 1,500 रुपये की छूट की ही अनुमति है. हालांकि, मेलर चाइल्ड या माता-पिता के नाम पर खोली गई एफडी या आरडी से अर्जित ब्याज आय आपकी आय में शामिल नहीं होती है.
टैक्स सेविंग्स एफडी
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्सन 80 सी के तहत टैक्स पेयर्स को टैक्स सेविंग्स एफडी में एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक निवेश पर टैक्स कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं. हालांकि, इन टैक्स-सेविंग एफडी में 5 साल की लॉक-इन अवधि होती है. ब्याज की कमाई उनके कर स्लैब के अनुसार कर योग्य होती है, जिससे पोस्ट-टैक्स रिटर्न कम होता है.
(लेखक: साहिल अरोरा, डायरेक्टर एंड ग्रुप हेड, इन्वेस्टमेंट, Paisabazaar.com)