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FD vs RD: एफडी और आरडी में निवेश को लेकर हो रही है उलझन? समझें कौन सा विकल्प है बेहतर

FD और RD में से किसी एक को चुनने में अगर दिक्कत आ रही है, तो आपको सबसे पहले अपनी जरूरतों को समझना होगा. अपने फाइनेंशियल गोल्स को ध्यान में रखते हुए आप सही विकल्प को चुनाव कर सकते हैं.

FD और RD में से किसी एक को चुनने में अगर दिक्कत आ रही है, तो आपको सबसे पहले अपनी जरूरतों को समझना होगा. अपने फाइनेंशियल गोल्स को ध्यान में रखते हुए आप सही विकल्प को चुनाव कर सकते हैं.

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Fixed Deposit vs Recurring Deposit

टर्म डिपॉजिट में सेविंग अकाउंट की तुलना में ज्यादा ब्याज मिलता है.

Fixed Deposit vs Recurring Deposit: अगर आपने हाल ही में अपने करियर की शुरुआत की है और अपनी भविष्य की जरूरतों के लिए पैसे बचाना शुरू करना चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत करने का सबसे बेहतर तरीका बैंक में टर्म डिपॉजिट करना है. टर्म डिपॉजिट में सेविंग अकाउंट की तुलना में ज्यादा ब्याज मिलता है. इतना ही नहीं, इस पैसे का इस्तेमाल आप किसी इमरजेंसी में या ट्रैवल जैसी जरूरतों में बड़ी आसानी से कर सकते हैं. टर्म डिपॉजिट करना काफी आसान है. आप इसे अपने बैंक ऐप के माध्यम से या ब्रांच में जाकर कर सकते हैं. इसमें जरूरत पड़ने पर पैसा निकालना भी काफी आसान है. अगर आप सेविंग की शुरुआत करने जा रहे हैं तो आपको जान लेना चाहिए कि ये टर्म डिपॉजिट कैसे काम करते हैं. टर्म डिपॉजिट मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं- फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रिकरिंग डिपॉजिट (RD).

अगर आपको FD और RD में से किसी एक को चुनना है, तो आप किसे चुनेंगे? ये नॉन-मार्केट लिंक्ड फिक्स्ड रिटर्न फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं. अगर आपको इन दोनों में से किसी एक को चुनने में दिक्कत आ रही है, तो आपको इनके फीचर्स को चेक करना होगा और यह समझना होगा कि इनमें से कौन सा विकल्प आपके फाइनेंशियल गोल्स के हिसाब से सही है. आइए समझते हैं कि जरूरत के अनुसार, आपके लिए कौन सा विकल्प बेहतर है.

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फिक्स्ड डिपॉजिट क्या है?

फिक्स्ड डिपॉजिट एक सेविंग इंस्ट्रूमेंट है, जिसके तहत निश्चित अवधि के लिए डिपॉजिट किए गए पैसे पर ब्याज मिलता है. जब अवधि पूरी हो जाती है, तो डिपॉजिट रकम मैच्योर हो जाता है और आपको इसे वापस कर दिया जाता है. निवेशकों के पास FD में संचयी (Cumulative) और गैर-संचयी ब्याज (Non-Cumulative) ऑप्शन में से चुनने का विकल्प होता है. संचयी ब्याज FD में, आपको मैच्योरिटी पर प्रिंसिपल और कंपाउंडेड इंटरेस्ट मिलता है. वहीं, गैर-संचयी FD में, आपके पास नियमित अंतराल, यानी मासिक, त्रैमासिक आधार पर ब्याज प्राप्त करने का विकल्प होता है.

आमतौर पर, ऐसे निवेशक जो युवा हैं और जिनके पास इनकम के अन्य स्रोत हैं, वे संचयी FD पसंद करते हैं. इसके अलावा, सीनियर सिटीजन्स या ऐसे लोग जो रिटायरमेंट के बाद नियमित इनकम चाहते हैं, वे रेगुलर इंटरेस्ट के लिए गैर-संचयी FD पसंद करते हैं. आइए एक उदाहरण के साथ FD पर TDS को समझते हैं.

मान लीजिए कि आपने (एक नॉन-सीनियर सिटीजन) 5 साल के टेन्योर के लिए 7% के ब्याज पर 10 लाख रुपये जमा किए. टीडीएस के बाद मैच्योरिटी अमाउंट 13.68 लाख रुपये होगी. बैंक 5 साल में 40888 रुपये का टीडीएस काटता है. डिपॉजिटर उस अमाउंट पर कंपाउंडिंग का फायदा नहीं उठा सकता है जो बैंक टीडीएस के रूप में काटता है. एक वित्तीय वर्ष में इंटरेस्ट इनकम 5000 रुपये से अधिक होने पर कंपनी डिपॉजिट के मामले में टीडीएस काटा जाता है. अगर आपके पास एकमुश्त राशि है और कम जोखिम के साथ रिटर्न हासिल करने के लिए उन्हें निवेश करना चाहते हैं, तो फिक्स्ड डिपॉजिट आपके लिए एक अच्छा विकल्प है. आप बड़े बैंकों में पैसा जमा कर सकते हैं जहां पैसे सुरक्षित होते हैं और रिटर्न भी ठीक-ठाक मिल जाता है. आप ऐसे छोटे बैंकों में भी निवेश कर सकते हैं, जो अच्छा रिटर्न देते हैं, हालांकि इन्हें कम सुरक्षित माना जाता है.

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रिकरिंग डिपॉजिट क्या है?

रिकरिंग डिपॉजिट फिक्स्ड इंटरेस्ट और फिक्स्ड टेन्योर के लिए मंथली सेविंग इंस्ट्रूमेंट हैं. FD की तरह, RD पर भी आपको पूरे टेन्योर में वही ब्याज मिलता है, जिस पर कार्यकाल की शुरुआत में सहमति होती है. हालांकि, एफडी के विपरीत, आरडी डिपॉजिटर्स को किस्तों में बचत करने की अनुमति देता है. इसका मतलब है कि आपके बैंक अकाउंट से हर महीने एक निश्चित राशि काट ली जाती है.

RD में कोई टैक्स सेविंग विकल्प नहीं होता है, लेकिन FD में आपके पास सेक्शन 80C के तहत टैक्स बचाने के लिए पांच साल की टैक्स सेविंग FD का विकल्प होता है. आरडी में ज्यादातर बैंक डिपॉजिट की मैच्योरिटी पर ब्याज देते हैं जबकि एफडी में आपको नियमित अंतराल पर ब्याज का विकल्प मिलता है. आरडी जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है. इसमें एक निश्चित अवधि तक किस्तों में बचत करते हुए एक बड़ा फंड बनाया जा सकता है.

कौन सा विकल्प है बेहतर

फिक्स्ड डिपॉजिट एकमुश्त निवेश है. इसलिए, इसमें आपको RD से ज्यादा रिटर्न मिलता है. एफडी और आरडी के बीच ब्याज रिटर्न में अंतर को समझने के लिए आप यहां इस टेबल पर एक नज़र डालें.

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वही चुनें, जो आपके लिए बेहतर हो.

FD और RD में से किसी एक का चुनाव इस बात पर निर्भर करता है कि निवेश के समय आपके पास कितना फंड उपलब्ध है. अगर आपके पास एक फिक्स्ड टेन्योर के लिए निवेश करने के लिए एक बड़ा फंड है, तो आप FD का विकल्प चुन सकते हैं क्योंकि इसमें आपको अधिक कंपाउंडिंग बेनिफिट मिल सकता है. हालांकि, अगर आप हर महीने एक निश्चित रकम निवेश करना चाहते हैं, आरडी बेहतर विकल्प है. FD और RD में से किसी एक को चुनते समय अपने फाइनेंशियल गोल्स का ध्यान रखना जरूरी है.

(Article: Adhil Shetty)

(The author is CEO, Bankbazaar.com)

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