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फिक्सड डिपॉजिट: शॉर्ट टर्म कॉर्पोरेट FD में बैंक से ज्यादा मिलेगा रिटर्न, लेकिन निवेश के पहले जांच लें क्रेडिट रिस्कड और क्वाटलिटी

कॉर्पोरेट फिक्स डिपॉजिट में निवेश करते समय निवेशक को उससे जुड़े क्रेडिट जोखिमों पर थोड़ी सी रिसर्च जरुर करनी चाहिए. जैसे यदि हम पेपर की गुणवत्ता की बात करें क्रिसिल FAAA या ICRA MAAA ज्यादा सुरक्षित विकल्प हैं.

कॉर्पोरेट फिक्स डिपॉजिट में निवेश करते समय निवेशक को उससे जुड़े क्रेडिट जोखिमों पर थोड़ी सी रिसर्च जरुर करनी चाहिए. जैसे यदि हम पेपर की गुणवत्ता की बात करें क्रिसिल FAAA या ICRA MAAA ज्यादा सुरक्षित विकल्प हैं.

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FE Hindi Desk
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कॉरपोरेट FD में निवेश करने से पहले पूरी सावधानी बरतें, जाने कैसे मिलेंगी हाई क्रेडिट रेटिंग

फिक्स डिपॉजिट में निवेश करने वाले निवेशक हाई इंटरेस्ट रेट और ज्यादा रिटर्न पाने के लिए बैंक की बजाय कॉर्पोरेट सेक्टर के फिक्स डिपॉजिट में निवेश कर सकते हैं. हालांकि निवेशक को निवेश से पहले रकम की सुरक्षा को देखते हुए शॉर्ट टर्म के लिए ट्रिपल-ए रेटेड कंपनियों में निवेश करना चाहिए.

क्रेडिट रेटिंग पर रखें नज़र

कॉर्पोरेट सेक्टर में निवेश के लिए सबसे पहले निवेशक को कॉर्पोरेट की क्रेडिट रेटिंग को ध्यान रखना होता है, क्योंकि कॉर्पोरेट में निवेश करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानदंड कॉर्पोरेट डिपॉजिट की क्रेडिट रेटिंग को ही माना जाता है. हालांकि कम जोखिम वाले कॉर्पोरेट्स की रेटिंग बेहतर रहती है, लेकिन इनमें निवेश पर ब्याज की दर बहुत कम होती है. जबकि कम रेटिंग वाले हाई रिस्क वाले कॉर्पोरेट्स निवेशक को हाई रेट इंटरेस्ट देते हैं. इसलिए पेपर की गुणवत्ता की बात करें तो निवेशक के लिए क्रिसिल FAAA या ICRA MAAA ज्यादा सुरक्षित विकल्प हैं.

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दरअसल, AA रेटिंग में आपको कम निवेश पर कम रिटर्न मिलेगा. लेकिन यहां आप की निवेशित राशि सबसे ज्यादा सुरक्षित है. साथ ही आपको यहां पर आपकी निवेश की गई रकम ब्याज समेत सही समय पर मिल जाएगी.

बैंक बाजार. कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी के मुताबिक निवेशकों को AA से कम रेटिंग वाली जमाओं में निवेश से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि निवेशक को निवेश से पहले कंपनी और उस सेक्टर के प्रिंसिपल सिद्धांत को समझना होगा कि जितना ज्यादा रिस्क उतना ज्यादा रिटर्न यानी रिटर्न जितना अधिक होगा, जोखिम उतना ही ज्यादा होता चला जाएगा.

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AZUKE की संस्थापक चैताली दत्ता के माने तो एक या दो दौर की दरों में बढ़ोतरी को लेकर आरबीई द्वारा कोई भी बदलाव नहीं किया गया है. जिसके चलते ही मुद्रास्फीति अभी तक कम नहीं हुई है. ऐसे में निवेशकों को हमेशा शॉर्ट टर्म के के मकसद से निवेश करना चाहिए और निवेश की अवधी पूरी होने के बाद प्राप्त रकम का फिर से निवेश कर देना चाहिए. निवेशक को यह ध्यान में देना चाहिए कि एक बार जब ब्याज दरें हाई रेट पर पहुंच जाती है और आगामी समय में उसके कम होने के संकेत या आशंका दिखाई देती है तो उस समय डिपॉजिट रकम को पांच साल या उससे अधिक समय के लिए फिक्स में डाल देना चाहिए. मौजूदा दौर में FD की अवधि 12 महीने रखी जा सकती है.

आप बेहतर रिटर्न के लिए बड़े-छोटे बैंकों और AAS-रेटेड वाली कंपनियों को चुन सकते हैं. साथ ही निवेश के जोखिमों को कम करने के लिए कंपनी और उसके फाइनेंशल हेल्थ पर नजर बनाए रखें.

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