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Fixed Vs Floating Interest Rate: महंगे होते कर्ज के बीच कौन सा विकल्प है बेस्ट, फैसला लेने से पहले समझ लें नफा-नुकसान

Fixed Vs Floating Interest Rate: फिक्स्स इंटरेस्ट रेट में होम लोन लेते समय ब्याज दर तय हो जाती है और इसी हिसाब से ब्याज पर लोन दिया जाता है.

Fixed Vs Floating Interest Rate: फिक्स्स इंटरेस्ट रेट में होम लोन लेते समय ब्याज दर तय हो जाती है और इसी हिसाब से ब्याज पर लोन दिया जाता है.

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FE Hindi Desk
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Fixed Vs Floating Interest Rate

Fixed Vs Floating Interest Rate: हर कोई चाहता है कि उसका अपना एक घर हो.

Fixed Vs Floating Interest Rate: हर कोई चाहता है कि उसका अपना एक घर हो. हालांकि, इसमें काफी ज्यादा पैसों की जरूरत होती है इसलिए लोन लेना ज्यादातर लोगों के लिए जरूरी हो जाता है. जब आप होम लोन लेते हैं तो इसमें आमतौर पर दो तरह की इंटरेस्ट मोड को फॉलो किया जाता है, जिसमें पहला फिक्स इंटरेस्ट रेट मोड है, जबकि दूसरा फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट मोड है. हाल ही में आरबीआई ने रेपो रेट में लगातार चौथीं बार इजाफा किया है, जिसके बाद से बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों द्वारा ब्याज दरों में बढोतरी का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया है. ऐसे में आइए समझते हैं कि आपके लिए फिक्स्ड और फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में से कौन सा विकल्प बेस्ट होगा.

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क्या है फिक्स्ड और फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट

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फिक्स्स इंटरेस्ट रेट में होम लोन लेते समय ब्याज दर तय हो जाती है और इसी हिसाब से ब्याज पर लोन दिया जाता है. वहीं, फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में सरकार, RBI और मार्केट के हिसाब से ब्याज की दर बढ़ती या कम होती रहती है. आम तौर पर लोग होम लोन में फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट को चुनना पसंद करते हैं, क्योंकि समय-समय पर सरकार, आरबीआई द्वारा दी जाने वाली रियायत की वजह से इंटरेस्ट रेट काफी कम हो जाता है. बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों होम लोन की ब्याज दरों में लगातार इजाफा कर रही हैं. जो होम लोन लेने वालों के लिए परेशानी की बड़ी वजह बन सकती है. ऐसे में बहुत से लोग फिक्स इंटरेस्ट होम लोन की ओर स्विच करने के बारे में सोच रहे हैं. फिक्स इंटरेस्ट रेट मोड में ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव से बचा जा सकता है. फिक्स लोन रेट में आप बिना EMI या समय बढ़े टेंशन फ्री होकर अपना लोन चुका सकते हैं.

समय या अवधि

इंटरेस्ट रेट मोड तय करते समय लोन की अवधि को ध्यान में रखा जाता है. क्योंकि सभी बैंक या फाइनेंस कंपनियां सिर्फ तीन, पांच या 10 साल की अवधि के लिए फिक्स इंटरेस्ट रेट मोड में लोन देती हैं. यानि अगर आपने 20 साल के लिए लोन लिया है तो आप को सिर्फ 5 या फिर 10 साल के लिए ही फिक्स इंटरेस्ट रेट में लोन मिलेगा और बाकि समय में लोन खुद ही फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट वाले मोड में चला जाएगा.

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ज्यादा रिस्क, ज्यादा मुनाफा

मार्केट का सीधा सा सिद्धांत है कि जहां रिस्क होगा वहां मुनाफ भी होगा. ऐसे में अगर आप रिस्क लेने से नहीं डरते तो आप को फ्लोटिंग इंटरेस्ट मोड को चुनना चाहिए और अगर आप रिस्क नहीं लेना चाहते तो आप फिक्स इंटरेस्ट मोड का चुनाव कर सकते हैं. बैंक बाजार.कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक ने बढ़ती मुद्रास्फीति को रोकने के प्रयास में रेपो दर में 140 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है और अगर मुद्रास्फीति ऐसे ही बनी रही तो इसमें और भी इजाफा किया जा सकता है. ऐसे में अगर आप अभी लोन लेने की सोच रहे हैं तो आपके लिए फिक्स इंटरेस्ट मोड में लोन लेना बेहतर रहेगा, क्योंकि यह आपको भविष्य में होने वाले ब्याज दरों में बढ़ोतरी से बचाएगा. मौजूदा समय में कार लोन और पर्सनल लोन फिक्स इंटरेस्ट मोड में लेना आप को फायदा पहुंचायेगा.

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