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Should you switch to fixed interest home loan : ऊंची ब्याज दरों के दौर में होम लोन को फ्लोटिंग से फिक्स्ड रेट में बदलना कितना सही होगा?
Fixed vs Floating Rate Home Loan : Which is better : क्या आप अपने होम लोन की लगातार बढ़ती ब्याज दरों से परेशान हैं? क्या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के बार-बार नीतिगत ब्याज दर (Repo rate) बढ़ाने की वजह से आपकी ईएमआई (EMI) भी बढ़ती जा रही है? इन हालात से निपटने का आपने क्या उपाय सोचा है? कहीं आप अपने होम लोन को फ्लोटिंग रेट (Floating Rate) से फिक्स्ड रेट (Fixed Rate) में बदलने के बारे में तो नहीं सोच रहे? अगर इन सवालों का जवाब हां में हैं, तो आप अकेले नहीं है. देश में फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लेने वाले लाखों लोगों को इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले आपको फ्लोटिंग और फिक्स्ड रेट होम लोन की तुलना करके उनका नफा-नुकसान अच्छी तरह समझ लेना चाहिए.
ब्याज दरें बढ़ने की वजह क्या है?
देश के ज्यादातर होम लोन लेने वालों को बढ़ती ब्याज दरों का सामना इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इस वित्त वर्ष के दौरान अब तक कुल मिलाकर ब्याज दर में 225 बेसिस प्वाइंट्स या 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है. जाहिर है इसका सीधा असर लोगों की ईएमआई का लोन की अवधि (Tenure) पर पड़ रहा है. क्योंकि रेपो रेट बढ़ने पर बैंक या वित्तीय संस्थान आपके फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन की ब्याज दर बढ़ा देते हैं.
अपने लोन को फ्लोटिंग से फिक्स्ड रेट में बदलना कितना सही होगा?
अगर आप ब्याज दरें बढ़ने की वजह से अपने फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन को फिक्स्ड रेट में बदलने का मन बना रहे हैं, तो ज़रा ठहर जाइए. कोई भी फैसला करने से पहले इन बातों पर विचार करना जरूरी है :
- सभी बैंक या वित्तीय संस्थान फिक्स्ड रेट पर होम लोन नहीं देते.
- अगर कोई बैंक या वित्तीय संस्थान फिक्स्ड रेट पर होम लोन देता भी है, तो उसके लिए फ्लोटिंग रेट के मुकाबले ऊंचा ब्याज वसूल करता है. मौजूदा माहौल में फिक्स्ड रेट होम लोन की ब्याज दर 10 फीसदी से ऊपर हो सकती है.
- अपने होम लोन को फ्लोटिंग से फिक्स्ड रेट में बदलने के लिए भी आपको अलग से चार्ज देना पड़ सकता है.
- ज्यादातर फिक्स्ड रेट होम लोन पर प्री-पेमेंट और प्री-क्लोजर चार्ज भी देने होते हैं.
- फ्लोटिंग रेट के होम लोन में आम तौर पर प्री-पेमेंट या प्री-क्लोजर चार्ज नहीं देने पड़ते.
कब तक जारी रहेगा ब्याज दरों में तेजी का दौर?
ऊपर दिए गए तमाम फैक्टर्स पर विचार करने के अलावा आपको यह बात भी ध्यान में रखनी होगी कि रिजर्व बैंक (RBI) अब अपने रेट हाइक साइकल के पीक पर या तो पहुंच चुका है या पहुंचने वाला है. इसका मतलब यह हुआ कि आने वाले दिनों में रेपो रेट बढ़ाए जाने का सिलसिला रुकने के पूरे आसार हैं. नवंबर में खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी के आरबीआई के टारगेट से कम रहने के कारण ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला थमने की उम्मीद और बढ़ी है. ऐसे में हो सकता है, फरवरी में होने वाली मॉनेटरी पॉलिसी की अगली समीक्षा में आरबीआई रेपो रेट में कोई बढ़ोतरी न करे या फिर बेहद मामूली बढ़ोतरी हो.
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट का क्या होगा ब्याज दरों पर असर?
अक्टूबर के महीने में देश का औद्योगिक उत्पादन (IIP) 4 फीसदी घटने का आंकड़ा भी हाल ही में आया है. अगर आरबीआई इसे ध्यान में रखता है, तब भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला थमने की संभावना बनती है. ऐसा इसलिए क्योंकि ब्याज दरें बढ़ने का औद्योगिक उत्पादन और ग्रोथ रेट पर निगेटिव असर पड़ता है. कुल मिलाकर मौजूदा हालात ऐसे बन रहे हैं कि अगले कुछ महीनों में ब्याज दरों के स्थिर होने के पूरे आसार हैं. यह भी हो सकता है कि अगले एक-दो साल के दौरान ग्रोथ की चिंता के चलते ब्याज दरों में कुछ कटौती भी हो जाए. अगर ऐसा हुआ तो मौजूदा ब्याज दरों के आधार पर अपने फ्लोटिंग रेट होम लोन को फिक्स्ड रेट में तब्दील करना समझदारी भरा कदम नहीं होगा, क्योंकि ऐसा करने के साथ ही आपकी ब्याज दर फौरन ही और बढ़ जाएगी.
मौजूदा हालात में क्या करें होम लोन लेने वाले?
आरबीआई के रेट हाइक साइकल की मौजूदा स्थिति, इकनॉमिक ग्रोथ से जुड़ी चिंताओं के ब्याज दरों पर संभावित असर और अपने लोन को फ्लोटिंग से फिक्स्ड रेट में बदलने की तात्कालिक लागत जैसे फैक्टर्स पर विचार करने के बाद यही लगता है कि फिलहाल अपने लोन को फ्लोटिंग रेट पर बनाए रखने में ही समझदारी है. हां, अगर आपकी वित्तीय हालत इजाजत दे, तो आप मौजूदा हालात में होन लोन की बढ़ती ईएमआई या कर्ज की लंबी होती अवधि (Tenure) की समस्या से निपटने के लिए एक और तरीका आजमा सकते हैं. यह तरीका है, अपने होम लोन के एकाउंट में नियमित रूप से कुछ रकम प्री-पेमेंट के तौर पर जमा करते रहना. अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो आपके लोन का टेन्योर भी ज्यादा नहीं बढ़ेगा और आपके लोन री-पेमेंट में ब्याज का कुल हिस्सा भी कम होगा. और अगर आने वाले एक-दो साल में ब्याज दरें कम हुईं तो फ्लोटिंग रेट होम लोन में आपका उसका फायदा भी ले पाएंगे.