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Flexi Cap vs. Multi Cap : म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को कई बार यह तय करने में उलझन होती है कि अपने पैसे फ्लेक्सी कैप फंड में लगाएं या मल्टी-कैप फंड में? (Image : Pixabay)
Flexi Cap vs. Multi Cap : Which One Should You Invest In: म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को कई बार यह तय करने में उलझन होती है कि अपने पैसे फ्लेक्सी कैप फंड में लगाएं या मल्टी-कैप फंड में? ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि दोनों ही तरह के फंड पहली नजर में एक जैसे ही लगते हैं. क्योंकि दोनों फंड्स के जरिए पूरे बाजार के अलग-अलग सेगमेंट के शेयरों में निवेश किया जाता है. इसलिए डायवर्सिफाइड फंड की तलाश कर रहे निवेशकों को इन दोनों ही तरह के फंड्स में से किसी एक का चुनाव करने में थोड़ा कनफ्यूजन होना आम बात है. लेकिन दोनों फंड एक जैसे लगने के बावजूद असल में पूरी तरह एक जैसे नहीं हैं. किस निवेशक को इनमें से किस म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करना चाहिए, यह जानने के लिए दोनों फंड्स के अंतर को समझना जरूरी है.
फ्लेक्सी कैप फंड
फ्लेक्सी कैप फंड (Flexi Cap Funds) में फंड मैनेजर को किसी पाबंदी के बिना लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप सेगमेंट में आने वाले किसी भी स्टॉक में निवेश करने की पूरी छूट होती है. यह लचीलापन मैनेजर को बाजार की परिस्थितियों के आधार पर अपने हिसाब से अलग-अलग सेगमेंट और सेक्टर के शेयरों में फंड अलोकेट करने की इजाजत देता है. अगर फंड मैनेजर को लगता है कि लार्ज कैप अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, तो वे फंड का एक बड़ा हिस्सा लार्ज-कैप स्टॉक में अलोकेट कर सकते हैं. इसी तरह, जरूरत पड़ने पर मिड-कैप या स्मॉल-कैप स्टॉक में भी फंड अलोकेशन कम या ज्यादा कर सकते हैं.
मल्टी-कैप फंड
फ्लेक्सी कैप फंड से अलग, मल्टी-कैप फंड (Multi Cap Funds) के पूरे पोर्टफोलियो में, लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप तीनों सेगमेंट के शेयरों को शामिल करना जरूरी है. फंड मैनेजर को इनमें से हर सेगमेंट में हर वक्त कम से कम 25 फीसदी अलोकेशन बनाए रखना पड़ता है. यानी लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक में से हरेक में 25-25 फीसदी निवेश रखना जरूरी है. ऐसा इसलिए ताकि मल्टी-कैप फंड में डायवर्सिफिकेशन का लेवल हमेशा बना रहे.
मल्टीकैप फंड और फ्लेक्सी कैप फंड का फर्क
मल्टीकैप फंड के पोर्टफोलियो में 25-25 फीसदी लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक बनाए रखने की वजह से जो अनिवार्य डायवर्सिफिकेशन होता है, वही इसे फ्लेक्सी कैप फंड से अलग करने वाला सबसे बड़ा फर्क है. इस अनिवार्यता की वजह से मल्टीकैप फंड में लार्ज कैप के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप की मौजूदगी भी हमेशा ही बनी रहती है, जबकि फ्लेक्सीकैप फंड के लिए ऐसा करना जरूरी नहीं है. फ्लेक्सीकैप फंड का मैनेजर चाहे तो पूरा इक्विटी निवेश सिर्फ लार्जकैप में भी कर सकता है या उसे लार्ज और मिडकैप में बांटकर स्मॉलकैप से दूर रहने का फैसला भी कर सकता है. लेकिन मल्टीकैप फंड के मैनेजर के लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं है.
डायवर्सिफिकेशन है जरूरी
डायवर्सिफिकेशन किसी भी निवेश पोर्टफोलियो को बेहतर बनाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. सही तरीके से किया गया डायवर्सिफिकेशन आपके पोर्टफोलियो के परफॉरमेंस को काफी बेहतर बना सकता है. म्यूचुअल फंड के मामले में मल्टी-कैप और फ्लेक्सी कैप दोनों फंड आपके निवेश को डायवर्सिफाई करने यानी उसमें विविधता लाने में मददगार साबित हो सकते हैं. हमने ऊपर यह भी देखा कि डायवर्सिफिकेशन के लिहाज से दोनों फंड्स में क्या फर्क है. इसे देखते हुए ही आपको एक निवेशक के रूप में तय करना होगा कि आपके लिए कौन सा फंड बेहतर रहेगा.
क्या बताता है पिछला प्रदर्शन
मल्टी-कैप फंड और फ्लेक्सी कैप फंड के पिछले प्रदर्शन की तुलना करें तो पता चलता है कि दोनों कैटेगरी के फंड्स के औसत सालाना रिटर्न में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) की वेबसाइट के मुताबिक टॉप 10 फ्लेक्सी कैप फंड्स ने पिछले 10 साल में 16.11 फीसदी से 21.88 फीसदी के बीच सालाना रिटर्न दिया है. वहीं पिछले 5 साल में इस कैटेगरी के टॉप 10 फंड्स का रिटर्न 19.96 फीसदी से 34.22 फीसदी के बीच रहा है.
AMFI की वेबसाइट के मुताबिक इस वक्त मल्टी कैप कैटेगरी में सिर्फ 6 ऐसे फंड हैं, जिनका पिछले 10 साल का रिकॉर्ड उपलब्ध है और इस दौरान इन फंड्स ने 16.46 फीसदी से 22.79 फीसदी के बीच औसत सालाना रिटर्न दिया है. वहीं, जिन 8 मल्टी कैप फंड्स के पिछले 5 साल के प्रदर्शन का रिकॉर्ड AMFI की वेबसाइट पर मौजूद है, उन्होंने इस अवधि के दौरान 20.21 फीसदी से लेकर 32.60 फीसदी तक औसतन सालाना रिटर्न दिया है.
फ्लेक्सी कैप फंड्स की तुलना में मल्टी कैप फंड्स की संख्या काफी कम है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि कुछ साल पहले सेबी ने मल्टी कैप फंड की परिभाषा में बदलाव करके फंड एलोकेशन को लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉल कैप में बांटना जरूरी कर दिया, तो बहुत सारे फंड्स कैटेगरी बदलकर फ्लेक्सीकैप में चले गए. इन फंड्स ने ऐसा इसलिए किया ताकि अपनी निवेश रणनीति में लचीलापन बनाए रखा जा सके.
कौन सा फंड है आपके लिए बेहतर?
अगर सिर्फ डायवर्सिफिकेशन पर ध्यान दें, तो मल्टी-कैप फंड को इस मामले में बेहतर माना जा सकता है, क्योंकि इसके पोर्टफोलियो में हर वक्त लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉल कैप सेगमेंट के शेयर शामिल रहते हैं. इसकी वजह से इसे रिस्क-रिटर्न ट्रेड-ऑफ के लिहाज से बेहतर माना जा सकता है. लेकिन अगर आप फंड मैनेजर की समझदारी पर ज्यादा भरोसा करते हैं और निवेश के मामले में फ्लेक्सिबल एप्रोच यानी लचीलेपन को पसंद करते हैं, तो फ्लेक्सी कैप फंड में निवेश करना बेहतर रहेगा. आप फैसला कुछ भी करें, यह बात जरूर याद रखें कि इन दोनों ही कैटेगरी के फंड मुख्य तौर पर इक्विटी में निवेश करते हैं, जिसकी वजह से बाजार से जुड़ा रिस्क बना रहता है. इसलिए इनमें निवेश तभी करें जब आप यह रिस्क उठाने को तैयार हों. साथ ही इसलिए आपका इनवेस्टमेंट होराइजन काफी लंबा होना चाहिए. क्योंकि किसी भी इक्विटी फंड में पैसे लगाने का पूरा फायदा तभी मिलता है, जब आप लंबे समय तक नियमित निवेश करें.