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आम आदमी की जेब होगी ढीली, FMCG कंपनियां दाम बढ़ाने की तैयारी में, 10% तक महंगे हो सकते हैं रोजमर्रा के सामान

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से FMCG कंपनियों को झटका लगा है. उनका मानना है कि इसके चलते, गेहूं, खाद्य तेल और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आएगा.

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से FMCG कंपनियों को झटका लगा है. उनका मानना है कि इसके चलते, गेहूं, खाद्य तेल और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आएगा.

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FE Online
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FMCG makers to go for around 10 pc price hike to mitigate inflationary pressures

आम आदमी पर महंगाई को बोझ बढ़ता ही जा रहा है.

आम आदमी पर महंगाई को बोझ बढ़ता ही जा रहा है. रोजमर्रा की जरूरत के सामान के लिए भी अब आपको अपनी जेब अधिक ढीली करनी पड़ सकती है. गेहूं, पाम तेल और पैकेजिंग सामान जैसे कमोडिटी के दामों में उछाल की वजह से FMCG कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स की कीमतों में बढ़ोतरी की तैयारी कर रही हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी एफएमसीजी कंपनियों को झटका लगा है. उनका मानना है कि इसके चलते, गेहूं, खाद्य तेल और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आएगा.

डाबर और पारले जैसी कंपनियों की स्थिति पर नजर है और वे महंगाई के दबाव से निपटने के लिए सोच-विचार कर कदम उठाएंगी. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) और नेस्ले (Nestle) ने पिछले सप्ताह अपने खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ा दिए हैं.

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कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव के चलते अभी अनुमान लगाना कठिन

पारले प्रोडक्ट्स के सीनियर कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा, 'हम इंडस्ट्री द्वारा कीमतों में 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं.' शाह ने आगे कहा कि कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव है और इसलिए ऐसे में अभी यह कहना मुश्किल है कि मूल्यवृद्धि कितनी होगी. उन्होंने आगे कहा कि पाम तेल (Palm Oil) का दाम 180 रुपये लीटर तक चला गया था. अब यह 150 रुपये लीटर पर आ गया है. इसी तरह कच्चे तेल का दाम 140 डॉलर प्रति बैरल पर जाने के बाद 100 डॉलर से नीचे आ गया है. शाह ने कहा, ‘‘हालांकि, कीमतें अब भी पहले की तुलना में ज्यादा हैं.’’

शाह का कहना है कि कंपनियां कीमतों में वृद्धि करने में भी संकोच कर रही हैं क्योंकि कोविड के बाद मांग बढ़ी है और वे इसके साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहते हैं. पिछली बार एफएमसीजी कंपनियों ने पूरी तरह कीमतों में वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला था. शाह ने कहा, ‘‘अब सभी 10-15 प्रतिशत वृद्धि की बात कर रहे हैं. हालांकि, उत्पादन की लागत कहीं अधिक बढ़ी है.’’ उन्होंने कहा कि अभी पारले के पास पर्याप्त स्टॉक है. कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला एक या दो माह में लिया जाएगा.

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सोच-विचार के बाद करेंगे उपाय: डाबर इंडिया

इस तरह की राय जताते हुए डाबर इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी अंकुश जैन ने कहा कि महंगाई लगातार ऊंची बनी हुई है और यह लगातार दूसरे साल चिंता की वजह है. उन्होंने कहा, ‘‘महंगाई के दबाव की वजह से कंज्यूमर्स ने अपना खर्च कम किया है. वे छोटे पैक खरीद रहे हैं. हमारी स्थिति पर नजर है और सोच-विचार के बाद महंगाई के दबाव से बचाव के उपाय करेंगे.’’

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एडलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज के कार्यकारी उपाध्यक्ष अबनीश रॉय ने कहा कि एफएमसीजी कंपनियां महंगाई का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल रही हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले के पास ऊंचा मूल्य तय करने की ताकत है. वे कॉफी और पैकेजिंग सामान की मूल्यवृद्धि का बोझ ग्राहकों पर डाल रही हैं. हमारा अनुमान है कि सभी एफएमसीजी कंपनियां 2022-23 की पहली तिमाही में कीमतों में तीन से पांच प्रतिशत की वृद्धि करेंगी.’’ मीडिया की खबरों में कहा गया है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले जैसी कंपनियों ने पहले ही चाय, कॉफी और नूडल्स के दाम बढ़ा दिए हैं. इन कंपनियों ने कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी का कुछ बोझ उपभोक्ताओं पर डाला है.

(इनपुट-पीटीआई)

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