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Financial Planning: लाइफ में फाइनेंशियल फ्रीडम चाहिए तो इन 5 तरीकों को आजमाकर प्लानिंग कर सकते हैं. (फोटो एक्सप्रेस)
अपने भविष्य के लिए जब भी कोई फाइनेंशियल प्लानिंग करने के बारे में सोचता है, तो आम तौर पर ज्यादातर लोगों को रिटायरमेंट प्लानिंग को लेकर चिंता होती है. और मुख्य रुप से उनकी चिंता इस बात को लेकर होती है कि रिटायरमेंट प्लानिंग का टार्गेट बहुत लंबा है और कई तरह की रुकावट इसके बीच आ सकती हैं.
एक रिसर्च से पता चलता है कि लोग सुखद नतीजों के लिए योजना बनाना पसंद करते हैं और बहुत से लोगों के लिए रिटायरमेंट कोई बहुत अच्छा अहसास देने वाला परिणाम नहीं है. डॉक्टर या वकील जैसे पेशेवर तो जब तक चाहें तब तक अपनी प्रैक्टिस जारी रख इनकम कर सकते हैं, लेकिन इसके विपरीत कॉर्पोरेट कर्मचारी रिटायरमेंट को लेकर चिंता महसूस करते हैं.
बच्चों की शिक्षा, घर खरीदने, कार खरीदने, बिजनेस शुरू करने या उसे बढ़ाने के लिए आप लोन हासिल कर सकते हैं, लेकिन रिटायरमेंट के लिए कोई इस तरह का कोई लोन स्कीम नहीं है. ऐसे में आपको सही वक्त पर रिटायरमेंट की प्लानिंग करनी होगी. हम सभी को अपनी रिटायरमेंट की योजना बनाते समय इस बात को ध्यान में जरूर रखना चाहिए कि अगर टार्गेट पूरा करने में कोई गैप आता है तो उसे लोन लेकर नहीं भर सकते हैं. जबकि अन्य दूसरे वित्तीय लक्ष्य में आने वाले गैप को लोन लेकर पूरा किया जा सकता है.
इसे एक सुखद परिणाम के रूप में देखें
रिटायरमेंट एक सुखद परिणाम नहीं हो सकता है क्योंकि इससे जो छवि बनती है, वह उतनी अच्छी नहीं है. इससे निपटने के लिए, सबसे पहली चीज जो आपको करनी होगी वह यह है कि इसे एक खुशी देने वाले अहसास के रूप में तैयार करना. आम तौर पर लोग सभी दूसरी जरूरतों को पूरा करने के बाद रिटायरमेंट के लिए बचत करते हैं.
जिनके पास निवेश, रेंट,स्किल जैसे इनकम के सेकेंडरी हैं वे अपनी इस कमाई के जरिए रिटायरमेंट प्लानिंग के साथ भविष्य में अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में अधिक आश्वस्त महसूस कर सकते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक जो लोग बड़े परिवारों, संयुक्त परिवारों या यहां तक कि परिवार और दोस्तों के बड़े समूह से आते हैं, उन्हें अपने फाइनेंशियल फ्यूचर और रिटायरमेंट जैसे वित्तीय लक्ष्यों के बारे में टेंशन कम होती है, क्योंकि उनके पास इमोशनल और फाइनेंशियल सपोर्ट होता है.
नए कौशल हासिल करें/ उसे निखारें
रिटायरमेंट प्लानिंग का अर्थ सिर्फ एक फंड बनाना नहीं है. एक वित्तीय सलाहकार आपको यह फंड बनाने में मदद कर सकता है. लेकिन वास्तविक रिस्क (जोखिम) एकाग्रता का है - यानी कि आप जीवन भर केवल एक स्किल (नौकरी) पर निर्भर रहते हैं.
जब आप रिटायरमेंट पर विचार कर रहे हों तो इसे लेकर चिंता दूर करने का एक तरीका यह है कि शुरुआत से ही एक नए स्किल को निखारना या हासिल करना. ताकि आपके पास इनकम बनाने का सेकेंडरी सोर्स हो, अपने सेकेंडरी सोर्स (स्किल) से भी आप पैसे बना सके. स्किल एक पैशन (जुनून) हो सकता है, जिसे आपने अपनी किशोरावस्था से लेकर जीवन भर बनाए रखा है - मसलन एक फिटनेस ट्रेनर, योग शिक्षक, अनुवादक, फोटोग्राफर आदि.
सोशल सर्कल
एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू बड़ा परिवार, मित्र मंडली का होना है जो आपको अपने वित्तीय भविष्य के बारे में टेंशन कम करने में मदद कर सकते हैं. परिवार से जुड़े रहना वास्तव में उस वित्तीय भविष्य के मेंटल पार्ट (मानसिक हिस्से) में मदद करता है.
अपना स्वास्थ्य बनाए रखें
60 से 70 साल की उम्र में लोगों के सामने आने वाली एक और आम समस्या स्वास्थ्य की होती है. अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने से आपको इलाज पर होने वाले खर्च को कम करने में मदद मिलती है. इसके अलावा, उद्देश्यपूर्ण होना और किसी ऐसी चीज पर काम करना जिससे आपको खुशी मिलती है, इन चीजों से आपका स्वास्थ्य बेहतर रहता है और रिटायरमेंट के बाद के सालों में भी आप अच्छी जिंदगी जी सकते हैं.
रिटायरमेंट के संबंध में परंपरा से हटकर एक सलाह यह है कि फंड के बारे में चिंता न करें बल्कि अतिरिक्त इनकम का इंतजान करें. अब समय आ गया है कि हम अपनी शब्दावली से 'रिटायरमेंट' शब्द को हटा दें और इसे फाइनेंशियल फ्रीडम का नाम दें.
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अपने फंड का निवेश कैसे करें
इसे अपने फाइनेंशियल फ्रीडम लक्ष्य के रूप में विचार करें और इसके लिए योजना बनाएं. अपने एसेट अलोकेशन की योजना बनाने के लिए एक अच्छे फाइनेंशियल एडवाइजर यानी एक्सपर्ट की मदद लेना समझदारी है.
- पहला कदम आपकी वर्तमान उम्र और रिटायरमेंट की उम्र के आधार पर रिटायरमेंट के लिए जरूरी फंड का अनुमान लगाना होना चाहिए. मान लीजिए कि आपकी वर्तमान उम्र 30 साल है और आप 60 साल की उम्र में रिटायर होना चाहते हैं, तो आपके पास अपना फंड जुटाने के लिए 30 साल हैं. इस फंड को 60 तक पहुंचने के लिए आज से जरूरी मंथली निवेश का कैलकुलेशन करें. इसके कैलकुलेशन के लिए आप रिटायरमेंट कैलकुलेटर या गोल का उपयोग कर सकते हैं.
- एक बार जब आपके पास यह फंड जमा हो जाए, तो आप इस फंड को 30 साल की अवधि के लिए 3 बकेट में रख सकते हैं. आप पहले 10 साल के लिए कंजर्वेटिव उत्पादों में निवेश कर सकते हैं, जिसमें से आप पैसा निकाल सकते हैं. अगले 10 साल के लिए हाइब्रिड फंड पर विचार करें. तीसरी कैटेगरी के लिए, डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड पर विचार करें.
- असल में होता यह है कि जब तक आप पहली 2 बकेट के लिए अपने पैसे खर्च कर रहे होते हैं, तब तक आखिरी बकेट को कंपाउंड करने के लिए 20 साल का समय मिल जाता है. यह कंपाउंडिंग आपको अपना दौलत बढ़ाने में मदद करती है. तो आपकी तीसरी बकैट जो आपने लगाई है, उसमें 20 साल लगेंगे और यह आपके फंड को स्वस्थ रखेगा. एक अच्छा वित्तीय सलाहकार आपको अपना वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में मदद कर सकता है.
अजीत मेनन अपनी उम्मीद जाहिर करते हुए कहते हैं कि जब आप फाइनेंशियल फ्रीडम के बारे में सोच रहें हों तो इन अप्रोच को अपनाने से आपके फाइनेंशियल टार्गेट पूरा करने में मदद हो.
(आर्टिकल : अजीत मेनन, सीईओ, पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड)