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Gold ETF Benefits: घर में मत रखिये सोना, Gold ETF में कीजिये निवेश, मिलेंगे ढेरों फायदे

Gold ETF benefits: एक गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होती है. गोल्ड ईटीएफ का कारोबार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर होता है.

Gold ETF benefits: एक गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होती है. गोल्ड ईटीएफ का कारोबार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर होता है.

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FE Hindi Desk
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Gold ETF Benefits: घर में मत रखिये सोना, Gold ETF में कीजिये निवेश, मिलेंगे ढेरों फायदे

Gold ETF benefits: Gold ETF में सोने में निवेश करने का सबसे सुरक्षित और सबसे किफायती तरीका है.

Why to invest in Gold ETF is beneficial: शादी के सीजन में पूरे भारत में सोने की खरीदारी सबसे अहम होती है. भारतीय कल्चर में सोने को शुभ माना जाता है. अक्षय तृतीया, धनतेरस और दीपावली जैसे शुभ अवसरों पर सोना खरीदने की परंपरा है. देश में कई लोग सोने को उपहार के रूप में भी देते हैं. हालांकि वित्तीय महत्व के अलावा सोना निवेश के बदले से भी काफी मायने रखता है. अगर आप सोने में निवेश करने का मन बना चुके हैं तो जान लीजिए क्यों Gold ETF आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है.

Gold ETF में प्योर सोने की गारंटी

भारत में सोने के निवेश के दो सबसे आम तरीके हैं. कोई सोने का आभूषण खरीदता है या कोई बाजार से सोने का सिक्का घर में लाकर रखता है. लेकिन Gold ETF में सोने में निवेश करने का सबसे सुरक्षित और सबसे किफायती तरीका है. ऐसा इसलिए क्योंकि फिजिकल गोल्ड में कई अशुद्धियां भी हो सकती हैं लेकिन Gold ETF में ऐसा नहीं होता है क्योंकि यह आपको बिना फिजिकल फॉर्म में गोल्ड को रखे, आपको निवेश करने का मौका देता है. एक गोल्ड ईटीएफ यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होती है. गोल्ड ईटीएफ का कारोबार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर होता है.

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सोने के आभूषण आपके बच्चे के लिए एक आदर्श निवेश क्यों नहीं हैं?

कई भारतीय परिवार सोना इसलिए खरीदना शुरू कर देते हैं कि वो अपने बच्चों को उनकी शादी के समय उपहार में दे सकें. सोने के आभूषण खरीदना सोने की खरीद का पारंपरिक रूप है, इसमें मेकिंग चार्ज और अशुद्धियों का जोखिम भी शामिल है. क्योंकि एक समय बाद जेवेलरी कि डिजाइन आउटडेटेड हो जाती है और आभूषणों को फिर से बनवाना पड़ता है. सोना बनवाने के लिए आपको कम से कम दो बार मेकिंग चार्ज देना पड़ता है. यही वजह है कि बार और सिक्कों के रूप में सोना में इन्वेस्ट करने एक समझदारी भरा फैसला है. क्योंकि इसमें अशुद्धियां नहीं होती हैं और इसमें मेकिंग चार्ज शामिल नहीं होता है. गोल्ड ईटीएफ का लक्ष्य 99.5% या इससे अधिक प्योरिटी वाला सोना खरीदना है. इसमें निवेश की लागत भी कम होती है. इसके अलावा कर्ज के लिए ईटीएफ को जमानत या गारंटी के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

Gold ETF में निवेश के लिए चाहिए डीमैट एकाउंट

कई परिवार सोने की चोरी के जोखिम से बचने के लिए, सोने को बैंक लॉकर में रखना पसंद करते हैं. इसके लिए उन्हें बैंक को लॉकर शुल्क देना पड़ता है. इसके अलावा सोने की कीमतें भी कई वजहों से प्रभावित होती हैं और इनमें आउटपरफॉर्मेंस और अंडरपरफॉर्मेंस देखने को मिलता रहता है. लेकिन Gold ETF में निवेश करने से ऐसा नहीं होता है. बता दें कि अगर आप एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आपके पास डीमैट और ट्रेडिंग खाते होने चाहिए.

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एसेट के रूप में सोने का महत्व

  • देश में कई लोग लंबे समय के लिए सोने में निवेश करते हैं. इसकी इकोनॉमिक वैल्यू लांग टर्म में भी बनी रहती है. इसलिए अधिकतर लोग सेफ एसेट मानते हैं और इसमें निवेश करते हैं.
  • सोने के अलावा चांदी को भी देश में काफी महत्व है. सोना और चांदी लंबे समय में अपनी Purchasing Power को रिटेन कर के रखते हैं. यही नहीं, इसके अलावा इन्हें इन्फ्लेशन के खिलाफ एक बचाव के रूप में भी देखा जाता है. एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) में सोना अहम भूमिका निभाता है.
  • रिस्क डाइवर्सिफिकेशन (Risk Diversification) एसेट एलोकेशन का एक अनिवार्य पहलू है. अपने निवेश पोर्टफोलियो में सोना जोड़ने से बाजार में आपके पोर्टफोलियो में अधिक स्टेबिलिटी आएगी.

By Siddharth Srivastava is Head – ETF Product, Mirae Asset Mutual Fund.

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