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Gold Finance Stocks : आज Muthoot Finance में 14%, IIFL Finance के शेयर में 5% और Manappuram Finance में भी 2.5% की गिरावट है. (Reuters)
Gold Finance Stocks in Focus : सेंट्रल बैंक RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने ऐलान किया है कि सोने को गिरवी रखकर मिलने वाले लोन (Gold Loan) पर जल्द ही नई गाइडलाइन जारी की जाएगी. जिसके बाद से गोल्ड फाइनेंस कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आ गई. आज के कारोबार में गोल्ड फाइनेंस कंपनियों के स्टॉक 14 फीसदी तक कमजोर हुए. Muthoot Finance में 14%, IIFL Finance के शेयर में 5% और Manappuram Finance में भी 2.5% की गिरावट देखी जा रही है.
Gold Loan पर आरबीआई की क्या है चिंता
RBI ने गोल्ड लोन पर बैंकों व एनबीएफसी की मानमानी को लेकर चिंता जताई है. एमपीसी (RBI MPC) की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक जल्द ही गोल्ड लोन को लेकर नए नियम जारी करेगा. यह बैंकों और एनबीएफसी की जोखिम उठाने की क्षमता पर आधारित होगा, ताकि कर्ज के इस व्यापक क्षेत्र को भी अन्य लोन की तरह कंट्रोल किया जा सके. रिजर्व बैंक ने लोन के आगे बढ़ाने की मौजूदा व्यवस्था और इसके पार्ट पेमेंट जैसी चीजों पर भी चिंता जताई है.
RBI की चिंता इस बात को भी लेकर है कि लोन लेने वालों की ठीक से जांच नहीं होती, लोन का इस्तेमाल कहां हो रहा है, इसकी निगरानी नहीं की जा रही है. लोन-टू-वैल्यू रेश्यो की कमजोर निगरानी और रिस्क का सही आकलन न होना भी आरबीआई की चिंता की वजह है.
EMI में चुका सकेंगे गोल्ड लोन?
रिजर्व बैंक का मानना है कि गोल्ड लोन का मौजूदा मॉडल बैंकों के साथ-साथ आम आदमी के लिए भी जोखिम भरा है. डिफॉल्ट की वजह से आम ग्राहक अपना आभूषण भी बैंक से नहीं छुड़ा पाता और बैंक को भी अपने लोन के डिफॉल्ट होने का जोखिम रहता है. इस स्थिति से बचने के लिए होम और ऑटो लोन जैसी ईएमआई व्यवस्था शुरू करना बेहतर होगा. इससे आम आदमी के लिए गोल्ड लोन चुकाना आसान हो जाएगा और डिफॉल्ट जैसी स्थिति से भी बचाव होगा.
क्या होगा फायदा
आरबीआई के फैसले से गोल्ड लोन ज्यादा ज्यादा पारदर्शी बनेगा. गोल्ड लोन पर सभी संस्थानों के लिए एक जैसे नियम लागू किए जाएंगे. बड़े गोल्ड लोन पोर्टफोलियो की सख्त निगरानी हो सकेगी. अब तक सिर्फ स्टैंडर्ड एसेट्स को सिक्योरिटाइज किया जा सकता था. अब ये सुविधा स्ट्रेस्ड लोन पर भी लागू की जाएगी. अभी तक को-लेंडिंग की व्यवस्था बैंक और NBFC के बीच सिर्फ प्राथमिकता वाले सेक्टर मसलन एग्री, एजुकेशन तक सीमित थी. अब इसे सभी तरह के लोन और सभी रेगुलेटेड संस्थानों तक बढ़ाया जाएगा.