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Gold investment: सोने में सही ढंग से निवेश किया जाए, तो इससे आपको अपना पोर्टपोलियो को संतुलिन बनाने में काफी मदद मिल सकती है. (File Photo: Reuters)
How to invest in gold during festive season and balance your portfolio: फेस्टिव सीजन में आमतौर पर लोग सोना खरीदना पसंद करते हैं. और इस पारंपरिक निवेश में अगर आपके पोर्टफोलियो को बेहतर बनाने की संभावना भी छिपी हो, तो इससे बढ़िया क्या हो सकता है. दरअसल, फेस्टिवल सीजन में सोना खरीदने के पुराने रिवाज को आप अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस करने के अवसर में तब्दील कर सकते हैं, बशर्ते आप इस बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद सही ढंग से निवेश का फैसला करें. किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो में ग्रोथ, स्टेबिलिटी और सेफ्टी - तीनों बातों का अच्छा बैलेंस होना जरूरी है. अगर आप भी अपने पोर्टफोलियो को संतुलित बनाना चाहते हैं, तो गोल्ड यानी सोने में निवेश इसका एक बेहतरीन जरिया हो सकता है.
सोने में निवेश के अलग-अलग तरीके
सोने में निवेश कई तरीकों से किया जा सकता है. इनमें से हरेक के अपने फायदे और नुकसान हैं. इसलिए आपको सोने में निवेश के लिए कौन सा तरीका अपनाना चाहिए, इसका फैसला करने से पहले उनसे जुड़े सभी पहलुओं पर विचार कर लेना चाहिए.
फिजिकल गोल्ड
सोने में निवेश फिजिकल (Physical Gold) गोल्ड यानी सोने के गहने, बार या गिन्नियां खरीद कर भी किया जा सकता है. सोना खरीदने के इस तरीके में आमतौर पर लोगों को भावनात्मक संतुष्टि सबसे ज्यादा मिलती है. लेकिन साथ ही इसमें सोने की शुद्धता और उसे सुरक्षित रखने की चिंता जुड़ जाती है. सोने को लॉकर में रखने और जरूरत पड़ने पर उसे बेचने में आने वाली लागत उस पर मिलने वाले रिटर्न को कम कर देती है. लिहाजा, सोना अगर सिर्फ इनवेस्टमेंट के मकसद से खरीदना हो, तो फिजिकल गोल्ड की जगह दूसरे तरीकों पर भी विचार जरूर करना चाहिए.
डिजिटल गोल्ड
डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) दरअसल फिजिकल गोल्ड में निवेश का डिजिटल तरीका है. इसमें आप MMTC-PAMP या कुछ अन्य वेबसाइट्स के जरिए सोने में ऑनलाइन निवेश कर सकते हैं. इसमें आपका सोना विक्रेता के वॉल्ट में सुरक्षित रहता है, जिसे आप ऑनलाइन खरीद या बेच सकते हैं. अच्छी बात यह है कि इसमें आप 24 कैरेट हॉलमार्क वाले सोने में अपना निवेश बेहद छोटी रकम से भी शुरू कर सकते हैं. डिजिटल गोल्ड में निवेश करते समय आपको सोने की शुद्धता और सुरक्षा की फिक्र नहीं करनी पड़ती और इस पर रिटर्न फिजिकल गोल्ड के भाव में उतार-चढ़ाव के हिसाब से ही मिलता है. लेकिन डिजिटल गोल्ड की ऑनलाइन खरीद पर 3 फीसदी की दर जीएसटी का भुगतान करना पड़ता है, जो रिटर्न को कम कर देता है.
गोल्ड ईटीएफ
सोने में निवेश का एक वैकल्पिक तरीका गोल्ड ईटीएफ यानी गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (Gold ETF) के माध्यम से सोने में निवेश करना है. गोल्ड ईटीएफ स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड होते हैं, जिनके जरिए सोने की शुद्धता या चोरी की चिंता किए बिना सोने में आसानी से निवेश किया जा सकता है. गोल्ड वे ईटीएफ की अच्छी बात यह है कि सोने की कीमत को ट्रैक करते हैं, लिहाजा इनमें निवेश पर आपको लगभग उसी तरह का रिटर्न मिलता है, जैसा फिजिकल गोल्ड में निवेश करने पर मिलता. हालांकि थोड़े बहुत ट्रैकिंग एरर (tracking error) की गुंजाइश बनी रहती है. गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने पर मैनेजमेंट फीस और एग्जिट लोड जैसी लागत भी आती है. लेकिन कुल मिलाकर लंबी अवधि के दौरान सोने में चिंतामुक्त निवेश का यह एक बेहतर तरीका हो सकता है.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड या SGB भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की ओर से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं. खास बात यह है कि इसमें निवेश करने पर टैक्स में छूट हासिल की जा सकती है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड से होने वाली इंटरेस्ट इनकम पर तो निवेशक के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है, लेकिन अगर आप एसजीबी को मैच्योरिटी तक होल्ड कर लें, तो पूंजीगत लाभ (capital gains) पर टैक्स नहीं लगता है.
यही वजह है कि टैक्स की बचत के लिहाज से एसजीबी सोने में निवेश का एक बेहतर जरिया हो सकता है. सरकार द्वारा जारी किए जाने की वजह से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में लगाए पैसों की सुरक्षा और रिटर्न के बारे में चिंता करने की भी कोई जरूरत नहीं है. हालांकि टैक्स फ्री कैपिटल गेन्स का लाभ उठाने के लिए आपको अपने पैसों को 8 साल की लॉक-इन अवधि तक के लिए निवेश करना पड़ता है, जिसकी वजह से इसकी लिक्विडिटी कम हो जाती है. यह बात भी ध्यान में रखने वाली है कि एसजीबी में निवेश सिर्फ व्यक्तिगत निवेशक ही कर सकते हैं. कॉरपोरेट्स को इसमें निवेश की इजाजत नहीं है.
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उथल-पुथल से बचाता है सोने में निवेश
सोने में निवेश के इन तमाम तरीकों में आपके लिए कौन सा बेहतर है यह आप अपनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तय कर सकते हैं. आम तौर पर सोने की कीमतों पर बाजार में उथल-पुथल का असर नहीं पड़ता है. बल्कि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी आर्थिक संकट या जियो-पोलिटिकल टेंशन के समय सोने की कीमतें और मजबूत हो जाती हैं. इसके अलावा लंबी अवधि के दौरान सोना आम तौर पर इंफ्लेशन को मात देने में भी सफल रहता है. यही वजह है कि इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो की स्टेबिलिटी और सेफ्टी यानी स्थिरता और सुरक्षा के लिए सोने में निवेश को बेहतर विकल्प माना जाता है. गोल्ड में निवेश के साथ भारत के लोगों का जो इमोशनल लगाव है, उसे आप सोने पर सुहागा मान सकते हैं.