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गोल्ड प्राइस के अपसाइड मूवमेंट को लेकर फंडामेंटल बहुत मजबूत हैं लेकिन मैक्रोइकोनॉमिक डेवलपमेंट्स के चलते विरोधाभास की स्थिति बन रही है. इस वजह से गोल्ड की कीमतों पर दबाव बने रहने की संभावना है और नियर टर्म में इसके भाव रेंज बाउंड रह सकते हैं. (Image- Reuters)
Gold Investment Strategy: दुनिया भर में वैक्सीनेशन में तेजी आ रही है और मैक्रोइकोनॉमिक स्थितियां सुधर रही हैं. इसके चलते निवेशक रिस्क एसेट्स में निवेश को प्रमुखता दे रहे रहे हैं. रिस्क एसेट्स में बढ़ते निवेश के कारण जुलाई में गोल्ड की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव रहा, हालांकि पिछले महीने के अंत तक इसने अधिकतर गिरावट को कवर कर लिया. फेडरल ओपन मार्केट कमेटी के बयान और अनुमान से कमजोर अमेरिकी इकोनॉमिक डेटा के चलते डॉलर में कमजोरी आई. इस वजह से तक गोल्ड 2 फीसदी की बढ़त के साथ 1815 डॉलर के भाव पर पहुंच गया. अमेरिकी जीडीपी दूसरी तिमाही में 6.5 फीसदी सालाना की दर से बढ़ी बाजार के अनुमान के विपरीत रही. मजबूत फंडामेंट्लस के बावजूद गोल्ड में अधिक निवेश करने की बजाय 10-15 फीसदी का एक्सपोजर बनाए रखना ही इस समय पर्याप्त होगा.
गोल्ड प्राइसेज को लेकर पॉजिटिव हैं फंडामेंटल्स
- अमेरिकी फेडरल बैंक ने अपनी जुलाई में अपनी मौद्रिक नीतियों के ऐलान में बेंचमार्क रेट को 0-0.25 फीसदी की रेंज में अपरिवर्तित रखा था और यह 12 हजार करोड़ मासिक बांड की खरीदारी जारी रखेगा. इसमें गिरावट को लेकर कोई टाइमलाइन निश्चित नहीं है लेकिन मार्केट प्राइसिंग के मुताबिक यह अगले साल की पहली तिमाही जनवरी-मार्च 2022 में हो सकता है.
- अमेरिका में सेंटर फॉर डिजीजेज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कोरोना को लेकर अपनी गाइडलाइंस में बदलाव किया है और वैक्सीन लगवाए हुए लोगों को भी इनडोर स्थानों पर मास्क पहनने की सलाह दी गई है. ऐसे में निवेशकों का मानना है कि अगर अमेरिका में डेल्टा वैरिएंट फैलता है तो फेड अपनी नीतियों में ढील में दे सकता है. मॉनिटरी सपोर्ट से गोल्ड को सहारा मिलेगा.
- बढ़ती महंगाई और दरों में गिरावट को लेकर विमर्श के बावजूद अमेरिका का 10 वर्षीय ट्रेजरी यील्ड्स जुलाई में 1.5 फीसदी से घटकर 1.25 फीसदी पर आ गया जिसके चलते रियल ट्रेजरी यील्ड (-)1.15 फीसदी रह गया. यील्ड में गिरावट से धीमी इकोनॉमिक ग्रोथ के संकेत मिलते हैं. यील्ड में गिरावट और हाई इंफ्लेशन के चलते स्टैगफ्लेशन की स्थिति बन सकती है जो गोल्ड में निवेश को आकर्षक बनाएगा.
- आदर्श स्थिति की बात करें तो फेड इंफ्लेशन को नियंत्रित रखने के लिए एसेट्स की खरीदारी कम करेगा औऱ सही समय पर रेट में बढ़ोतरी करेगा जिससे इकोनॉमिक ग्रोथ कतो स्टेबल होने में मदद मिलेगी. हालांकि इससे इकोनॉमिक रिकवरी पर नकारात्मक असर पड़ेगा. वहीं फेड यह भी कर सकता है कि वह बहुत अधिक, बहुत जल्दी या बहुत कम विकल्प आजमा सकता है, इससे इंफ्लेशन को लेकर चिंता बढ़ेगा. ये दोनों ही स्थितियां गोल्ड को फायदा पहुंचाएगी.
10-15 फीसदी का गोल्ड एक्सपोजर बनाए रखें
गोल्ड प्राइस के अपसाइड मूवमेंट को लेकर फंडामेंटल बहुत मजबूत हैं लेकिन मैक्रोइकोनॉमिक डेवलपमेंट्स के चलते विरोधाभास की स्थिति बन रही है. इस वजह से गोल्ड की कीमतों पर दबाव बने रहने की संभावना है और नियर टर्म में इसके भाव रेंज बाउंड रह सकते हैं यानी कि इसके भाव में अधिक तेजी की उम्मीद नहीं की जा सकती है. ऐसे में निवेशकों को गोल्ड में अधिक निवेश से बचना चाहिए. हालांकि उन्हें अपने पोर्टफोलियो में 10-15 फीसदी का एक्सपोजर गोल्ड में बनाए रखना चाहिए.
(आर्टिकल: चिराग मेहता, वरिष्ठ फंड मैनेजर, अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट्स, क्वांटम म्यूचुअल फंड. यह लेखक के अपने विचार और सुझाव हैं जिसका फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन से कोई संबंध नहीं है. निवेश से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने सलाहकार से जरूर संपर्क कर लें.)