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गोल्ड की तुलना में बिट क्वाइन चार गुना अधिक वोलेटाइल है.
Gold vs Bitcoin: पिछले कुछ वर्षों से निवशकों का रूझान तेजी से बिट क्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज में निवेश को लेकर बढ़ा है. निवेशक अपने पोर्टफोलियो में इसे शामिल कर रहे हैं. आमतौर पर अधिकतर निवेशक क्रिप्टो में निवेश को गोल्ड में निवेश की तरह लेते हैं. कुछ मामलों में समानताओं और निवेश के लगभग समान वजह के चलते गोल्ड और क्रिप्टो को एकसमान कहा जा रहा है लेकिन इन दोनों विकल्पों के मतलब अलग हैं. गोल्ड और क्रिप्टो दोनों की सीमित आपूर्ति और फिएट करेंसीज (केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी की जाने वाली मुद्राएं) के विकल्प के तौर पर उनकी भूमिका के चलते इन्हें समान समझा जाता है, हालांकि दोनों के अन्य व्यवहार पूरी तरह अलग हैं.
2016 के बाद से खनन के जरिए दुनिया भर में गोल्ड स्टॉक्स सालाना 1.7 फीसदी की दर से बढ़ रहा है और पिछले 20 वर्षों से करीब यही ट्रेंड बना हुआ है. इसकी तुलना में बिट क्वाइन का स्टॉक सालाना 3 फीसदी की दर से बढ़ रहा है लेकिन 2140 तक आते-आते इसकी सालाना ग्रोथ शून्य फीसदी हो जाएगी.
निवेश के साथ कंज्यूमर गुड्स का विकल्प भी गोल्ड
बिट क्वाइन समेत सभी क्रिप्टोकरेंसीज नॉन-टैंजिबल (जिसे छुआ न जा सके) एसेट्स हैं और इसे पोर्टफोलियो में निवेश के तौर पर शामिल किया जाता है. वहीं दूसरी तरफ गोल्ड की बात करें तो यह टैंजिबल (जिसे छुआ जा सके) एसेट्स (फिजिकल गोल्ड) भी है और नॉन-टैंजिबल (डिजिटल गोल्ड) भी. निवेश के अलावा गोल्ड की खपत भी होती है जैसे कि ज्वैलरी, टेक्नोलॉजी में. 10 साल के औसत डेटा के मुताबिक सालाना गोल्ड की जो डिमांड है, उसमें से 34 फीसदी ज्वैलरी, 7 फीसदी टेक्नोलॉजी और 17 फीसदी केंद्रीय बैंकों की है और शेष 42 फीसदी डिमांड निवेश की है. गोल्ड का इस्तेमाल कंप्यूटर्स, मोबाइल फोन के साथ-साथ ऐसी तकनीक में भी होता है जिसके इस्तेमाल से क्रिप्टोकरेंसीज का खनन किया जाता है.
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गोल्ड ओनरशिप में अधिक डाइवर्सिटी
दुनिया भर में गोल्ड माइनिंग होती है और सबसे अधिक चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और कनाडा में इसकी माइनिंग होती हैं. हालांकि सालाना उत्पादन की बात करें तो यूरोप महाद्वीप में 10 फीसदी से कम गोल्ड उत्पादित होता है और शेष महाद्वीप में 10 फीसदी से अधिक और 25 फीसदी से कम गोल्ड उत्पादित होता है. गोल्ड उत्पादन के साथ-साथ इसके स्वामित्व में भी विविधता है.
दुनिया में सबसे अधिक गोल्ड यूएस ट्रेजरी के पास है लेकिन दुनिया भर में मौजूद गोल्ड स्टॉक्स का सिर्फ चार फीसदी ही उसके पास है. 50 फीसदी गोल्ड तो ज्वैलरी के रूप में ही मौजूद है और 21 फीसदी गोल्ड बार, क्वाइन व गोल्ड ईटीएफ के रूप में इंडिविजुअल व इंस्टीट्यूनल निवेशकों के पास है.
इसकी तुलना में बिट क्वाइन की बात करें तो पांच बड़ी माइनिंग कंपनी चीन की है और उसके पास इस नेटवर्क के 49.9 फीसदी पर नियंत्रण है. इसके अलावा बिट क्वाइन होल्डिंग की बात करें तो महज 2 फीसदी लोगों को पास उपलब्ध बिट क्वाइन का 95 फीसदी है.
Bitcoin चार गुना अधिक वोलेटाइल
पिछले साल 2020 में Bit Coin ने करीब चार गुना रिटर्न दिया और पिछले दो साल में इसने निवेशकों को करीब 9 गुना का रिटर्न दिया था. हालांकि इसमें निवेश पर बहुत तगड़ा रिस्क है. पिछले दो साल की बात करें तो एसएंडपी 500 की तुलना में यह तीन गुना अधिक वोलेटाइल है और गोल्ड की तुलना में चार गुना अधिक.
भारत में Bitcoin पर लग सकती है रोक
दुनिया भर में बिट क्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर नीतियां तैयार की जा रही हैं और इससे इनके वैल्यू पर प्रभाव पड़ेगा. बिट क्वाइन जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसीज पर भारत में रोक लग सकती है. इस बजट सत्र में ऐसे बिल पर विचार किया जाना है जिसके जरिए निजी क्रिप्टोकरेंसीज पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. बिल के जरिए केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाने वाले ऑफिशियल डिजिटल करेंसी के लिए रास्ता तैयार किया जाएगा.
भारत में अभी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई निर्धारित गाइडलाइंस नहीं हैं. तीन साल पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था. इस सर्कुलर के मुताबिक केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं पर क्रिप्टोकरंसीज से जुड़ी कोई भी सेवा प्रदान करने पर रोक लगा दी गई थी. इसके बाद यह मामला देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में गया. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मार्च 2020 में आरबीआई द्वारा क्रिप्टोकरंसीज पर लगाए गए प्रतिबंध को खारिज कर दिया. इसके बाद से भारत में बिट क्वाइन में निवेश पूरी तरह निवेशकों के अपने रिस्क पर होता है क्योंकि इससे जुड़ी कोई नियमन अभी यहां नहीं है.
(इनपुट- वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल रिपोर्ट)