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Family Pension: महिला कर्मचारी की डेथ के बाद फैमिली पेंशन नॉमिनेट किए गए बच्चे को मिलेगी, लेकिन वह उस समय एडल्ट और पात्र होना चाहिए. (PTI)
Family Pension Rules Change: केंद्र सरकार ने फैमिली पेंशन के नियमों (Family Pension Rules) में बड़ा संशोधन किया है. सरकार ने केन्द्रीय सिविल सेवा पेंशन (सीसीएस पेंशन) नियम, 2021 में संशोधन किया है, जिससे सरकारी महिला कर्मचारियों को अपने पति की जगह अपने योग्य बच्चे या बच्चों को पेंशन के लिए नॉमिनेट करने की अनुमति मिल गई है.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीओपीपीडब्ल्यू ने केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 में एक संशोधन किया है. उन्होंने कहा कि संशोधन उन स्थितियों से निपटने में मददगार होगा, जहां वैवाहिक कलह के कारण तलाक की कार्यवाही होती है या घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, दहेज निषेध अधिनियम या भारतीय दंड संहिता (इंडियन पीनल कोड-आईपीसी) जैसे कानूनों के तहत मामले दर्ज किए जाते हैं.
महिला कर्मचारी को क्या करना होगा
डीओपीपीडब्ल्यू ने कहा कि महिला सरकारी कर्मचारी या महिला पेंशनर्स को संबंधित कार्यालय प्रमुख को एक लिखित अनुरोध करना होगा, जिसमें कहा जाएगा कि कानूनी कार्यवाही की जारी अवधि के दौरान उसकी डेथ की स्थिति में पति से पहले पात्र बच्चे/बच्चों को पारिवारिक पेंशन (Family Pension) दी जानी चाहिए. अगर कार्यवाही के दौरान महिला सरकारी कर्मचारी या पेंशनर की डेथ हो जाती है तो फैमिली पेंशन उसी के अनुसार दी जाएगी.
नए नियम में फैमिली पेंशन के लिए जरूरी शर्तें
- डीओपी एंड पीडब्ल्यू की अधिसूचना में कहा गया है, यदि किसी महिला कर्मचारी के जीवित रहने पर कोई पात्र बच्चा नहीं है, तो फैमिली पेंशन उसके जीवित पति को मिलेगी.
- अगर उसका पति किसी नाबालिग बच्चे या मानसिक विकार से पीड़ित बच्चे का अभिभावक है, तो उसे फैमिली पेंशन तब तक मिलेगी, जब तक वह अभिभावक बना रहेगा.
- उसके बाद जब बच्चा एडल्ट हो जाए और फैमिली पेंशन के लिए पात्र हो, तब यह पेंशन सीधे उस बच्चे को मिलेगी.
- ऐसे मामलों में जहां महिला सरकारी कर्मचारी या पेंशनर की डेथ होने पर उसके बच्चे एडल्ट हैं तो फैमिली पेंशन पति के बजाए बच्चे या बच्चों को मिलेगी.
- लेकिन महिला कर्मचारी के डेथ होने पर बच्चे फैमिली पेंशन के लिए पात्र नहीं हैं तो यह उस महिला के पति को तबतक मिलेगी, जब तक कि उसकी डेथ न हो जाए या वह दोबारा शादी न कर ले.
पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग में महिला-केंद्रित सुधारों पर जोर देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पहले के एक आदेश ने एक तलाकशुदा बेटी को, जिसके मामले में उसके माता-पिता की मृत्यु के बाद तलाक की डिक्री जारी की गई थी, फैमिलीर पेंशन के लिए उस स्थिति में पात्र बनाया था कि उसके माता पिता की मृत्यु से पहले न्यायालय में तलाक की याचिका दायर की गई हो.